मसाला, वाशिंग पाउडर और डिश वॉश के बाद अब अचार बनाएंगी ग्रामीण महिलाएं, बढ़ रहा सशक्तिकरण

हिसार में राज्य आजीविका मिशन के तहत जिला कार्यक्रम प्रबंधक विरेंद्र कुमार ने बताया कि स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अचार ही नहीं बल्कि आर्गेनिक मसाले सर्फ डिश वॉश चप्पल चूड़ी कड़े और सॉफ्ट खिलौने आदि उत्पाद बना रही हैं।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 10:57 AM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 10:57 AM (IST)
मसाला, वाशिंग पाउडर और डिश वॉश के बाद अब अचार बनाएंगी ग्रामीण महिलाएं, बढ़ रहा सशक्तिकरण
अवसर मिलने पर ग्रामीण महिलाएं खुद का साबित करके दिखा रही हैं

हिसार, जेएनएन। लॉकडाउन में नुकसान की बात कहते हुए कई लोग आपको मिलेंगे, मगर इस समय को भी स्वयं सहायता समूह ताकत बनाना चाहते हैं। बाजार में अच्छी गुणवत्ता के खाद्य पदार्थों की मांग काफी बढ़ गई है। साफ सफाई से लेकर लोगों के जायके को बेहतर बनाने की बाड्या ब्राह्मण गांव की महिलाओं ने जिम्मेदारी ली है। गांव में ग्रामीण महक महिला स्वयं सहायता समूह ने अचार की यूनिट लगाई है।

खास बात है कि जब लोगों को व्यापार की संभावनाएं कम नजर आ रही हैं, उस दौरान इन महिलाओं ने बैंक से ऋण लेकर इस यूनिट को स्थापित किया है। इनका उद्देश्य है कि अच्छी गुणवत्ता, साफ-सफाई युक्त निर्माण और घर जैसे उत्पाद उपलब्ध कराना है। समूह में शामिल महिलाओं का मानना है कि घर जैसे प्रोडक्ट मिलें तो बाजार में बिक ही जाते हैं। त्योहार पर विशेष पैकेजिंग के साथ उत्पादों को बाजार तक पहुंचा रही हैं। समूह में सुशीला, रोशनी, मनीषा, राजबाला मूर्ति आदि महिलाएं शामिल हैं।

राज्य आजीविका मिशन के तहत जिला कार्यक्रम प्रबंधक विरेंद्र कुमार ने बताया कि स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अचार ही नहीं बल्कि आर्गेनिक मसाले, सर्फ, डिश वॉश, चप्पल, चूड़ी, कड़े और सॉफ्ट खिलौने आदि उत्पाद बना रही हैं। इसमें कुछ महिला समूहों को लघु सचिवालय के पास हुनर बूथ भी अलॉट हुआ है। यहां पर लघु सचिवालय आने वाले लोग समूहों के प्रोडक्ट की जानकारी लेने के साथ ही खरीदते भी हैं।

गांव में महिलाओं के लिए बन रही उदाहरण

बाड्या ब्राह्मण गांव में महिला स्वयं सहायता समूह महिलाओं के लिए एक उदाहरण बन रहा है। ग्रामीण महिलाए इस समूह से जुड़ी महिलाओं से काम सीख रही हैं। इनके प्रोडक्ट की लॉचिंग के बाद मार्केटिंग पर जोर दिया जा रहा है। गौरतलब है कि राज्य आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूहों को अपना रोजगार स्थापित करने के लिए प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता है। इसके बाद बैंक से ऋण उपलब्ध कराकर व्यापार करने की जानकारी दी जाती है।

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