रोहतक के शिक्षक ने पांच रुपये के लिए पांच साल लड़ी लड़ाई, अब मिला न्याय, जानें पूरा मामला

रोहतक के इंद्रा कालोनी के रहने वाले ललित कुमार शिक्षक है। उन्होंने वर्ष 2016 में हुडा कांप्लेक्स स्थित नामी कंपनी के स्टोर से कमल काकड़ी (लोटस रूट्स) खरीदी थी। जिसका रेट 30 रुपये था लेकिन शिक्षक से 35 रुपये लिए गए। शिक्षक ने पांच रुपये वापस मांगे

By Naveen DalalEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 10:20 AM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 12:41 PM (IST)
रोहतक के शिक्षक ने पांच रुपये के लिए पांच साल लड़ी लड़ाई, अब मिला न्याय, जानें पूरा मामला
नाप-तौल विभाग में शिकायत सही मिलने पर स्टोर पर 30 हजार रुपये जुर्माना लगा गया।

रोहतक, जागरण संवाददाता। रोहतक के नामी स्टोर में पांच रुपये अधिक वसूलने पर एक शिक्षक ने पांच साल तक लड़ाई लड़ी। नामी स्टोर के खिलाफ नाप-तौल विभाग में शिकायत से लेकर जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में भी केस दायर किया है। अब आयोग ने शिक्षक के हक में फैसला सुनाते हुए स्टोर संचालक को पांच रुपये नौ प्रतिशत ब्याज दर के साथ देने के आदेश दिए हैं।

वर्ष 2016 में 30 रुपये की बजाय नामी स्टोर ने ले लिए थे 35 रुपये

इंद्रा कालोनी के रहने वाले ललित कुमार शिक्षक है। उन्होंने वर्ष 2016 में हुडा कांप्लेक्स स्थित नामी कंपनी के स्टोर से कमल काकड़ी (लोटस रूट्स) खरीदी थी। जिसका रेट 30 रुपये था, लेकिन शिक्षक से 35 रुपये लिए गए। शिक्षक ने पांच रुपये वापस मांगे, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने कस्टमर केयर पर काल की। वहां से भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। शिक्षक ने हार नहीं मानी और चंडीगढ़ स्थित नाप-तौल विभाग में शिकायत कर दी। इसके अगले ही दिन टीम वहां पर पहुंची। मामले में स्टोर को गलत पाया गया और शिकायत सही मिलने पर 30 हजार रुपये जुर्माना लगा दिया।

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में किया केस दायर, अब हुआ फैसला

शिक्षक ने दिसंबर 2018 में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में अधिवक्ता सतीश तंवर के माध्यम से केस दायर कर दिया। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने दोनों पक्षों को सुना, जिसके बाद अब अपना फैसला सुनाया है। आयोग ने आदेश दिए हैं कि पांच रुपये पर नौ प्रतिशत ब्याज दर के शिक्षक को दिया जाएगा। इसके अलावा मुकदमा खर्च में हर्जाने के तौर पर पांच हजार रुपये भी देने होंगे। कोर्ट ने स्टोर संचालक को आदेश दिए हैं कि एक माह के अंदर यह रकम देनी होगी। शिक्षक ने बताया कि यह मामला करीब पांच साल तक चला, जिसके बाद अब उन्हें न्याय मिला है।

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