Karwa Chauth 2021: करवा चौथ पर रोहतक के बाजार हुए गुलजार, खूब हो रही खरीदारी, लुभा रहे राजस्थानी डिजाइन
करवा चौथ पर्व को लेकर बाजारों में नक देखी जाने लगी है। शोरी मार्केट व किला रोड पर जहां कपड़ाें की खरीदारी के लिए महिलाएं पहुंच रही हैं तो वहीं चमेली मार्केट में जाकर महिलाएं कंगन-चूड़ी व श्रंगार के सामान की खरीदारी कर रही है।
जागरण संवाददाता, रोहतक। करवा चौथ पर्व को लेकर रोहतक के बाजार गुलजार हो चले हैं और जमकर खरीदारी हो रही है। कंगन-चूड़ी की दुकानों पर सुबह से ही खरीदारी शुरू हो गई है। वहीं, महिलाओं को मेहंदी के राजस्थानी डिजाइन खूब लुभा रहे हैं। अनेक महिलाओं अपने सजना के नाम महेंदी लगाई है। ज्यादातर महिलाएं अपने पति की पसंद वाले डिजाइन की मेहंदी ही लगवा रही हैं। ऐसे में बाजारों में सुबह से ही रोनक देखी जाने लगी है। रोहतक में किला रोड, बड़ा बाजार, प्रताप मार्केट, चमेली मार्केट, डी पार्क, गांधी कैंप मार्केट, रेलवे रोड के अलावा शापिंग माल के बाहर भी मेहंदी लगाने वाले कारीगर देखे जा रहे हैं।
इस बार रोहिणी नक्षत्र में चंद्र पूजन होगा
करवा चौथ पर्व को लेकर बाजारों में नक देखी जाने लगी है। शोरी मार्केट व किला रोड पर जहां कपड़ाें की खरीदारी के लिए महिलाएं पहुंच रही हैं तो वहीं, चमेली मार्केट में जाकर महिलाएं कंगन-चूड़ी व श्रंगार के सामान की खरीदारी कर रही है। करवा चौथ पर्व के अवसर पर ग्राहकों को लुभाने के लिए दुकानदार आफर भी दे रहे हैं। उधर, ब्यूटी पार्लर में भी खूब चहल पहल बनी हुई है। अनेक महिलाए पर्व के लिए शुभ मुहूर्त के लिए पंडितों से पूछताछ भी कर रही है। उधर, दुर्गा भवन मंदिर के पुजारी आचार्य मनोज मित्र ने बताया कि करवा चौथ प इस बार शुभ योग बन रहा है। इस बार रोहिणी नक्षत्र में चंद्र पूजन होगा।
करवा चौथ शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय
व्रत तिथि : 24 अक्टूबर
चतुर्थी तिथि आरंभ : 24 अक्टूबर रविवार को सुबह 03 बजकर 01 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त : 25 अक्टूबर सोमवार को सुबह 05 बजकर 43 मिनट तक
चंद्रोदय का समय : रात्रि 8 बजकर 9 मिनट पर दिखेगा चांद
करवा चौथ पूजा विधि
करवा चौथ के दिन सुबह उठकर स्नानादि और नित्य कर्म से निव्रत होकर करवा चौथ माता के व्रत का संकल्प करना चाहिए। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं और मुहूर्त के हिसाब से पूजा करती हैं। पूजा के दौरान चौथ माता (गौरी मां) और भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान मां की तस्वीर को रोली का तिलक लगाकर उन्हें फल, फूल और पंचामृत आदि अर्पित किए जाते हैं। रात्रि में चांद निकलने पर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है और पति के हाथों से महिलाएं जल ग्रहण करती हैं और इस तरह उपवास पूरा होता है।