Rohtak Jat college akhada murder case: अखाड़े की कमाई बनी छह हत्याओं का कारण, मनमर्जी से होता था रुपयों का बंटवारा
रोहतक के जाट कॉलेज के अखाड़े में फरवरी में छह लोगों की हत्या हुई थी। सोनीपत के बरौदा गांव निवासी कुश्ती कोच सुखवेंद्र इस मामले में आरोपित है। सुखवेंद्र को लगता था कि उसे कम रुपये दिए जा रहे हैं।
रोहतक, जेएनएन। जाट कालेज के अखाड़े में फरवरी माह में हुए नृशंस हत्याकांड को अखाड़े की कमाई की वजह से अंजाम दिया गया था। अखाड़े का पूरा खर्च संस्था उठाती थी, जबकि पहलवानों से मिलने वाली फीस को मनमर्जी के मुताबिक आपस में बांटा जाता था। कमाई का ज्यादा हिस्सा नहीं मिलने पर आरोपित सुखवेंद्र ने इस नृशंस हत्याकांड को किया था। पुलिस की तरफ से आठ अप्रैल को कोर्ट में चार्जशीट पेश की गई थी। चार्जशीट पेश होने के बाद अब 24 जून को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश गगनजीत कौर की फास्ट ट्रैक कोर्ट में पहली सुनवाई होनी है।
यह था मामला
12 फरवरी 2021 को जाट कालेज के अखाड़े में शाम के समय नृशंस हत्याकांड हुआ था। सोनीपत के बरौदा गांव निवासी कुश्ती कोच सुखवेंद्र ने एक-एक कर डीपी मनोज, उसकी पत्नी साक्षी, कोच प्रदीप उर्फ फौजी, कोच सतीश, पहलवान पूजा, मनोज व साक्षी के तीन वर्षीय बेटे सरताज व कोच अमरजीत को गोली मारी गई थी। इसमें अमरजीत बच गया था, जबकि बाकी बाकी की मौत हो गई थी। अखाड़े में हुआ नृशंस हत्याकांड काफी सुर्खियों में रहा था। दूसरे ही दिन आरोपित सुखवेंद्र को दिल्ली पुलिस की टीम ने गिरफ्तार कर लिया था। पीजीआइ थाना पुलिस की तरफ से करीब 200 पेज की चार्जशीट आठ अप्रैल को कोर्ट में पेश कर दी गई थी। प्रत्यक्षदर्शी कई पहलवानों समेत 63 लोगों को गवाह बनाया गया था। इसमें पुलिसकर्मी भी शामिल है।
चार्जशीट में कुछ ऐसा है आरोपित का कबूलनामा
पुलिस की तरफ से जो चार्जशीट पेश की गई थी उसमें आरोपित ने नृशंस हत्याकांड को अंजाम देना स्वीकार किया है। आरोपित ने कबूल किया है कि जाट संस्था की तरफ से अखाड़े में मैट समेत अच्छा प्रबंध किया गया है। जहां पर सोनीपत के सरगथल गांव निवासी मनोज को जाट कालेज की तरफ से डीपी लगाया गया था। वहां पर कोच सतीश, कोच प्रदीप भी पहलवानों को कोचिंग देते थे। अखाड़े में जो भी रुपया आता था उसका हिसाब डीपी मनोज के पास होता था। जिस मनमर्जी के मुताबिक कोच में बांटा जाता था। आरोपित सुखवेंद्र को लगता था कि उसे कम रुपये दिए जा रहे हैं। वह अधिक रुपये लेना चाहता था, लेकिन उसे वहां पर प्रेक्टिस कराने के लिए मना कर दिया गया था। इसी वजह से आरोपित ने योजनाबद्ध तरीके से इस नृशंस हत्याकांड को अंजाम दिया था।
चार बार बदले थे बयान
आरोपित सुखवेंद्र ने हथियार को लेकर चार बार बयान बदले थे। पीजीआइ थाना पुलिस ने जब पूछताछ की तो आरोपित ने बताया कि वारदात से चार-पांच दिन पहले वह जम्मु गया था। वहां से प्रदीप नाम के व्यक्ति से बस स्टैंड पर मिला और 20 हजार रुपये देकर एक पिस्तौल व 15 कारतूस खरीदे थे। इससे पहले आरोपित ने बादली थाना पुलिस को बयान दिया था कि यह पिस्तौल और 20 कारतूस उसने प्रदीप मलिक से वर्ष 2018 25 हजार रुपये में खरीदे थे। इसके बाद एसआइटी के सामने आरोपित ने फिर बयान बदला। जिसमें बतया कि यह पिस्तौल उसने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के राजपुर गांव निवासी मनोज से नवंबर 2020 में 70 हजार रुपये में खरीदा था। जिसके बाद पुलिस ने आरोपित मनोज को भी गिरफ्तार कर लिया था। आरोपित मनोज की दो बार जमानत याचिका खारिज हो चुकी है।
अखाड़े की कमाई को लेकर आरटीआइ में भी जवाब नहीं
इस वारदात के बाद आदर्श नगर के रहने वाले वीरेंद्र दलाल की तरफ से आरटीआइ भी लगाई गई थी। अखाड़े में कितने कोच थे, कितने पहलवान प्रेक्टिस करते हैं, उनसे कितनी फीस आती है, अखाड़े का खर्च कौन उठाता है, संस्था को कितनी कमाई होती है और कितने पहलवान कालेज के हैं, जो यहां पर प्रेक्टिस कर रहे हैं। आरटीआइ में भी इसका कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद 20 अप्रैल को भी दोबारा आयुक्त न्यायालय में अपील की गई थी, लेकिन उसका भी कोई जवाब नहीं आया। कालेज प्रशासन भी इस मामले में चुप्पी लगाए बैठा है।
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