रोहतक की डॉ. गीता पाठक की स्‍टडी, तनाव कम लेने, संगीत व मंत्रोच्चार से बढ़ता है आक्सीजन लेवल

संगीत में एमए एमफिल और हिंदुस्तान-पाकिस्तान गायकी का तुलनात्मक अध्ययन विषय पर रिसर्च डा. गीता ने रिसर्च की। मंत्रोच्चार या फिर संगीत के सा शब्द का उच्चारण करने से साइनस यानी सर्दी-जुकाम-खांसी से संबंधित परेशानियों में लाभ होता है। श्वांस की नलियां भी खुली रहती हैं

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 05:38 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 05:38 PM (IST)
रोहतक की डॉ. गीता पाठक की स्‍टडी, तनाव कम लेने, संगीत व मंत्रोच्चार से बढ़ता है आक्सीजन लेवल
रोहतक ओमैक्स सिटी निवासी डा. गीता पाठक मुस्कान ने कहा आक्सीजन लेवल बढ़ाने में मिलेगा फायदा

रोहतक [अरुण शर्मा] कोविड-2019 के दौरान संक्रमित होने वाले व्यक्ति आक्सीजन लेवल कम होने से लगातार तनाव में हैं। हालांकि दिल्ली रोड स्थित ओमैक्स सिटी निवासी एवं संगीत विशेषज्ञ डा. गीता पाठक मुस्कान ने आक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए संगीत और मंत्रों के उच्चारण को कारगर होने का दावा किया है। डा. गीता का मानना है कि जब हम संगीत के षड़ज यानी पहले स्वर सा या ऊं का उच्चारण करते हैं तो इससे उत्पन्न होने वाली तरंगे श्वांस नली को खोलने में मददगार होती हैं। फेंफड़ों तक आक्सीजन निर्बाध रूप से पहुंचती है। फेंफड़ों की पसलियों के बीच की मांस पेशियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

संगीत में एमए, एमफिल और हिंदुस्तान-पाकिस्तान गायकी का तुलनात्मक अध्ययन विषय पर रिसर्च डा. गीता ने रिसर्च की। मंत्रोच्चार या फिर संगीत के सा शब्द का उच्चारण करने से साइनस यानी सर्दी-जुकाम-खांसी से संबंधित परेशानियों में लाभ होता है। श्वांस की नलियां भी खुली रहती हैं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। इन्होंने यह भी बताया कि जो व्यक्ति संगीत के जानकार नहीं हैं वह ऊं का उच्चारण कर सकते हैं। यदि संगीत के जानकार हैं तो ऊं और सा का स्वर सहित उच्चारण कर सकते हैं। एक अन्य यह भी बात कही कि लोग हरी सब्जियों, दालों व सलाद का उपयोग ज्यादा करें। इससे भोजन पसाने में दिक्कत नहीं होगी। भोजन अधिक करेंगे तो श्वांस नाभि के बजाय गले से ही आएगी। इससे आक्सीजन लेवल कम होने का खतरा भी रहता है।

नाभि से होता है मंत्रोच्चार और स्वरों का रिहाज

लोगों को आक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए दूसरा सरल फॉर्मूला भी सुझाया है। डा. गीता ने कहा मंत्रों का उच्चारण हो या फिर प्राणायाम या फिर स्वरों का रिहाज। यह भी नाभि से श्वांस लेते हुए किए जाते हैं। इसलिए इन्होंने सभी लोगों से कोविड काल ही नहीं भविष्य में भी बच्चों, बुजुर्गों, युवाओं से लेकर हर वर्ग को सलाह दी है कि आदत डालें कि नाभि से नासिक के दोनों छिद्रों से श्वांस लें। इससे आपका आक्सीजन लेवल कभी गिरेगा नहीं। इससे आप हमेशा स्वस्थ्य रहेंगे।

लॉकडाउन स्टुडियो के लिए दे चुकी हैं प्रस्तुति

अपनी रिसर्च के दौरान पाकिस्तान के उस्ताद गुलाब अब्बास खान, खुसनैन जाबेद, बहादत रमीज के साथ ही हिंदुस्तान के हरिहरन, चंदनदास, अहमद हुसैन, मुहम्मद हुसैन, तलद अजीज, पिनाज सयानी आदि तमाम गजलकारों के साक्षात्कार लिए। बीते साल इन्होंने भारतीय संस्कृति व संगीत किताब लिखी। जल्द ही कोविड के दौरान संगीत के माध्यम से लोग किस तरह तनाव से राहत पाएं या फिर स्वस्थ्य रहें इसे लेकर किताब लिखेंगी। 1998 से आकाशवाणी के सुगम संगीत कार्यक्रम में लोकगीत कलाकार हैं। वहीं, डिपार्टमेंट आफ हायर एजुकेशन के डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉकडाउन स्टुडियो के लिए भी यह प्रस्तुति दे चुकी हैं।

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