रोडवेज विभाग को हर महीने हो रहा लाखों का घाटा

परिसर में बनी पार्किंग का दो साल तो कैंटीन का 25 साल से नहीं हुआ टेंडर

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 08:34 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 08:34 PM (IST)
रोडवेज विभाग को हर महीने हो रहा लाखों का घाटा
रोडवेज विभाग को हर महीने हो रहा लाखों का घाटा

परिसर में बनी पार्किंग का दो साल तो कैंटीन का 25 साल से नहीं हुआ टेंडर

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संवाद सहयोगी, हांसी : रोडवेज विभाग को अपनी पालिसी के कारण लाखों रुपये का घाटा हो चुका है। इसके बावजूद अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। हांसी रोडवेज परिसर में विभाग की ओर से साइकिल स्टैंड, कैंटीन और करीब 6 दुकानों बनाई गई हैं। लंबे समय से इनका टेंडर नहीं करवाया जा रहा है। परिसर में बनी पार्किंग का ठेका न होने के कारण यात्रियों को अपने वाहन पार्क करने के लिए भटकना पड़ता है। ठेकेदार द्वारा पार्किंग में वाहन खड़ा करने के लिए मामूली कीमत वसूली जाती थी। विभाग की शर्तों के अनुसार ठेकेदार वाहन पार्क करने के लिए बाइक का 10 रुपये और साइकिल के लिए 5 रुपये चार्ज लेता था।

हांसी बस स्टैंड परिसर में विभाग की ओर से कैंटीन का निर्माण कराया हुआ है। करीब 25 सालों से विभाग की अनदेखी के चलते आज तक इस कैंटीन का ठेका नहीं दिया गया है। वहीं दूसरी ओर कोरोना काल के बाद से ही परिसर में बनी पार्किंग व दुकानों का टेंडर अलॉट नहीं हो पाया है। अंतिम बार विभाग की ओर से पार्किंग का ठेका करीब 45 हजार रुपये में दिया गया था। अब तक देखा जाए तो केवल पार्किंग के कारण विभाग को करीब 10 लाख रुपये का घाटा हो चुका है।

बोली के लिए कोई नहीं आता

विभाग के अधिकारियों का कहना है कि टेंडर के लिए कई बार विज्ञापन दे चुके हैं। परंतु बोली के दौरान कोई भी नहीं पहुंचता। जिसके कारण बाद में बोली को कैंसिल कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि विभाग की पालिसी के अनुसार रेट ज्यादा है। यदि विभाग की ओर से टेंडर के रेट कम कर दिए जाए तो बात बन सकती है।

टेंडर अलाट होने के बाद यात्रियों को होंगे ये फायदे

यदि रोडवेज परिसर में बनी पार्किंग, कैंटिन और दुकानों के टेंडर अलाट किए जाते हैं तो यहां पर आने वाले यात्रियों को काफी फायदा पहुंचेगा। पार्किंग का टेंडर अलाट होने के बाद वे अपने वाहनों को बिना किसी दिक्कत परेशानी के यहीं पर पार्क कर सकेंगे। कैंटीन का टेंडर अलाट किया जाता है तो लोगों को चाय-पानी के लिए बाजार के धक्के नहीं खाने पड़ेगे।

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