टोल पर ब्लैक लिस्ट हो रही रोडवेज बसें, विभाग को दोगुने टोल की लग रही चपत, यात्री परेशान

रोडवेज डिपो उपप्रधान ने कहा रोडवेज का बैंक अकाउंट खाली हो गया है। अब टोल टैक्‍स दोगुना ज्यादा भरना पड़ रहा है। बसों में फास्‍टैग नहीं चल रहा है। रोडवेज जीएम ने कहा बैंक ने सिस्‍टम बदला है इसलिए फास्‍टैग सुविधा नहीं मिल रही है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 01:19 PM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 01:19 PM (IST)
टोल पर ब्लैक लिस्ट हो रही रोडवेज बसें, विभाग को दोगुने टोल की लग रही चपत, यात्री परेशान
रोडवेज बसों का फास्‍टैग नहीं कट रहा है और टोल टैक्‍स कैश में देना पड़ रहा है।

हिसार, जेएनएन। टोल प्लाजा पर इन दिनों हिसार डिपों की रोडवेज बसें ब्लैक लिस्ट हो रही हैं। इसके कारण यात्रियों के साथ-साथ चालक-परिचालक भी परेशान हो रहे हैं। दो दिन से रोडवेज को हजारों रुपये की चपत लग चुकी है। दरअसल, रोडवेज हर माह रोडवेज विभाग ने बसों का टोल चुकाने के लिए बैंक में अलग से खाता खुलवाया हुआ है। इसमें हिसार डिपो की जो भी बसें टोल से गुजरती हैं उनका पैसा अपने आप टोल से कट जाता है मगर दो दिन से रोडवेज बसें टोल पर फंस रही हैं।

सिर्फ हिसार डिपो की बसों के साथ ऐसा होने पर रोडवेज के डिपो उप प्रधान राजू बिश्नोई लांधड़ी टोल पर पहुंचे। बसों का फास्टैग नहीं चलने के कारण सिरसा जाने वाली बसों के आने-जाने के लिए एक हजार रुपये लिए जा रहे थे जबकि सामान्य तौर पर फास्टैग से 440 रुपये आने-जाने के कटते हैं। हिसार से सिरसा के बीच दो टोल पड़ते हैं। इसी प्रकार सभी रूटों पर टोल पर इसी प्रकार बसें ब्लैक लिस्ट हो रही हैं। इससे रोडवेज को भारी चपत लग रही है। इसके बाद कर्मचारियों ने रोडवेज जीएम राहुल मित्तल को इसकी शिकायत की। रोडवेज जीएम ने टोल संचालकों से बात की तो पता चला की टोल रोडवेज के अकाउंट से पैसे नहीं उठा रहा।

हर माल 30 लाख का टोल देता है हिसार डिपो

हिसार शहर के चारों ओर टोल पड़ते हैं। अकेले हिसार डिपो अपनी बसों को टोल से गुजारने के लिए हर माह 30 लाख रुपये खर्च करता है। यह पैसे एडवांस में एक खाते में डाले जाते हैं जहां से यह पैसे अपने आप कटते रहते हैं। रोजाना करीब 80 हजार रुपये टोल के कटते हैं।

जीएम बोले- बैंक के सिस्टम में बदलाव के कारण हुआ

इस बारे में रोडवेज जीएम राहुल मित्तल ने कहा कि रोडवेज ने टोल चुकाने के लिए बैंक में एक खाता खुलवाया हुआ है। जिसमें हर माह लाखों रुपये एडवांस में डाले जाते हैं। बैंक के सिस्टम में बदलाव के कारण ऐसा हुआ है। अब इसे ठीक करवा दिया गया है। वहीं जब बैंक से इस बारे में बात की तो उन्होंने इस तरह के किसी सिस्टम में बदलाव व खामी से इन्कार कर दिया।

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