दीपेंद्र पर गढ़ बचाने की जिम्मेदारी, भूपेंद्र हुड्डा लड़ रहे वजूद की लड़ाई, जानें इस चुनाव के मायने

रोहतक सोनीपत और झज्जर की 14 सीटों पर प्रत्याशी जिताने का लिया रखा गया लक्ष्य। दीपेंद्र ने खुद चुनाव नहीं लडऩे का लिया निर्णय पुराने रोहतक जिला में कर रहे प्रचार।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Mon, 14 Oct 2019 12:23 PM (IST) Updated:Tue, 15 Oct 2019 10:21 AM (IST)
दीपेंद्र पर गढ़ बचाने की जिम्मेदारी, भूपेंद्र हुड्डा लड़ रहे वजूद की लड़ाई, जानें इस चुनाव के मायने
दीपेंद्र पर गढ़ बचाने की जिम्मेदारी, भूपेंद्र हुड्डा लड़ रहे वजूद की लड़ाई, जानें इस चुनाव के मायने

रोहतक [ओपी वशिष्ठ] कांग्रेस आलाकमान से नेतृत्व मिलने के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा राजनीतिक वजूद की लड़ाई लडऩे के लिए हरियाणा में कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। वहीं, उनके पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा के कंधों पर अपना गढ़ बचाने की जिम्मेदारी है। इसलिए रोहतक, झज्जर और सोनीपत में दीपेंद्र ही स्टार प्रचारक के तौर पर इन जिलों में डेरा डाले हुए हैं। उधर, भाजपा ने भी हुड्डा के गढ़ में ही पूरा फोकस करके स्टार प्रचारकों को मैदान में उतार दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह महम में तीन विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों के समर्थन में चुनावी महासभा कर चुके हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहले कांग्रेस आलाकमान से ही नेतृत्व की लड़ाई लड़ रहे थे और आखिर में इसमें सफल हो गए। आलाकमान ने उनको टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार सहित पूरी आजाद दे दी। अब उनके लिए हरियाणा में भाजपा को टक्कर देकर बेहतर परिणाम लाने का दबाव बढ़ गया है। यहीं कारण है कि वे अब हरियाणा में ताबड़तोड़ कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए प्रचार कर रहे हैं। अपने गढ़ को बचाने की परवाह किए बिना प्रदेश में अन्य कांग्रेस प्रत्याशियों के प्रचार में अधिक समय दे रहे हैं। पुराने रोहतक जिला की सीटें जिताने की जिम्मेदारी उन्होंने अपने पुत्र पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा पर छोड़ दी है।

पुराने रोहतक में 2014 में दस सीटों पर था हुड्डा का कब्जा

2014 में भाजपा की प्रदेश में पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपना गढ़ बचाने में कामयाब हो गए थे। हालांकि रोहतक शहर, बहादुरगढ़, बादली और सोनीपत शहर की सीट हुड्डा के हाथ से चली गई थी। रोहतक में तीन, झज्जर में दो व सोनीपत में पांच सीटों पर हुड्डा समर्थित कांग्रेस विधायक चुने गए थे। इस बार फिर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इन सीटों पर अधिक से अधिक सीटें जितने के लिए जोर लगा रखा है। वहीं, भाजपा ने कांग्रेस की जीती हुई सीटों पर कमल खिलाने की रणनीति बना रखी है। लोकसभा चुनाव में भाजपा काफी  सीटों पर जीतने में कामयाब रही। रोहतक से दीपेंद्र और सोनीपत से भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी शिकस्त झेलनी पड़ी। लेकिन विधानसभा चुनाव के समीकरण अलग रहते हैं, इसलिए कांग्रेस और भाजपा के बीच अधिक से अधिक सीटें जीतने की होड़ लगी हुई है।

पुराने रोहतक  की 14 सीटें,  किस सीट पर  रहा किसका कब्जा

रोहतक जिला

रोहतक विधानसभा सीट - भाजपा

महम विधानसभा सीट -  कांग्रेस

कलानौर विधानसभा सीट आरक्षित - कांग्रेस

गढ़ी-सांपला-किलोई विधानसभा सीट - कांग्रेस

झज्जर जिला

बेरी विधानसभा सीट - कांग्रेस

बादली विधानसभा  सीट - भाजपा 

बहादुरगढ़ विधानसभा सीट- भाजपा

झज्जर विधानसभा सीट आरक्षित - कांग्रेस

सोनीपत जिला

राई विधानसभा सीट - कांग्रेस

गन्नौर विधानसभा सीट - कांग्रेस

खरखौदा विधानसभा सीट आरक्षित- कांग्रेस

गोहाना विधानसभा सीट - कांग्रेस

बरोद विधानसभा सीट - कांग्रेस

सोनीपत विधानसभा सीट - भाजपा

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