शोध : सिजोफ्रेनिया के मरीजों के साथ उनके स्वजन भी हो जाते हैं सीवियर डिप्रेशन के शिकार
पीजीआई रोहतक के स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (आइएमएच) के चिकित्सकों की रिसर्च में यह खुलासा हुआ है। रिसर्च में शामिल किए गए सभी 128 मरीजों के तीमारदार सीवियर डिप्रेशन के शिकार पाए गए। चिकित्सकों की इस रिसर्च को विवि की एथिकल कमेटी से भी अप्रूवल मिल चुकी है।
रोहतक [पुनीत शर्मा] सिजोफ्रेनिया के मरीज का यदि एक वर्ष तक उपचार चलता है तो मरीज के साथ उसके तीमारदार भी सीवियर (उच्च स्तर) के डिप्रेशन और तनाव के शिकार हो जाते हैं। ऐसा हम नहीं, बल्कि पीजीआई रोहतक के स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (आइएमएच) के चिकित्सकों की रिसर्च में खुलासा हुआ है। रिसर्च में शामिल किए गए सभी 128 मरीजों के तीमारदार सीवियर डिप्रेशन के शिकार पाए गए। चिकित्सकों की इस रिसर्च को विवि की एथिकल कमेटी से भी अप्रूवल मिल चुकी है।
सिजोफ्रेनिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज अपने परिवार के सदस्यों पर शक करने के साथ ही उसे वार्तालाप में परेशानी, कानों में विभिन्न प्रकार की आवाजें आना (हैलुसिनेशन), नकारात्मक सोच और अपनी खुद की देखभाल करना भूल जाता है। ऐसे मरीजों का उपचार काफी लंबा चलता है और न केवल मरीज बल्कि उसके परिजनों को भी विभिन्न प्रकार की परेशानी झेलनी पड़ती है। आइएमएच के चिकित्सक डा. भूपेंद्र ने ऐसे मरीजों के तीमारदारों पर रिसर्च की।
एसआइएमएच निदेशक डा. राजीव गुप्ता, चिकित्सक डा. प्रीति और डा. पुरुषोत्तम के साथ मिलकर की गई रिसर्च में विभाग में आए कुल 684 लोगों को शामिल करते हुए रैंडमली प्रत्येक चौथे मरीज और उनके तीमारदारों की सूची तैयार कर 171 मरीजों के तीमारदारों को चिन्हित किया। इनमें से 43 तीमारदारों को रिसर्च में शामिल होने के पात्र नहीं पाया। जिसके चलते 128 तीमारदारों को दो समूह में बांटते हुए उन पर रिसर्च की गई। रिसर्च में जो निष्कर्ष निकलकर सामने आया, उससे चिकित्सक भी चौक गए।
रिसर्च में डिप्रेशन एंग्जाइटी स्ट्रेस स्केन और बर्डन असेंसमेंट शेड्यूल की थ्योरी को इस्तेमाल किया गया। हालांकि दो वर्गों में मरीजों को बांटने के बाद एक वर्ग के मरीजों में डिप्रेशन व अन्य समस्याएं दूसरे वर्ग के मरीजों की अपेक्षा अधिक पाई गई, क्योंकि एक वर्ग के मरीजों की काउंसिलिंग की गई थी, जबकि दूसरे वर्ग के मरीजों का काउंसिलिंग नहीं की गई थी।
बीमारी रिसर्च में स्कोर आदर्श सूचकांक (सीविरयर)
डिप्रेशन 22.23 21-27
एंग्जाइटी 20.50 15-19
स्ट्रेस 36.11 26-33
पारिवारिक दवा 42.08 0-10
बीमार मरीज के साथ आते हैं शिक्षित तीमारदार
अब मरीजों के परिजनों को भी लगने लगा है कि मरीज के साथ अस्पताल में पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही जाए, क्योंकि वहां पर चिकित्सक मरीज की बीमारी और उपचार से संबंधित विभिन्न परामर्श तीमारदार को ही देते हैं। ऐसे में तीमारदार का पढ़ा-लिखा होना आवश्यक है।
शैक्षणिक योग्यता मरीज तीमारदार
पांचवीं पास 48 फीसद 25 फीसद
10वीं पास 30 फीसद 32 फीसद
12वीं पास 10.15 फीसद 27 फीसद
ग्रेजुएट 03 फीसद 14.84 फीसद
अशिक्षित 09 फीसद 00 फीसद
नोट : जरूरी नहीं कि सिजोफ्रेनिया के मरीज को उक्त सभी लक्षण दिखें, एक भी लक्षण दिखने पर तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।