घटते कृषि क्षेत्र की समस्या का उपचार, किसान फसल विविधिकरण व आधुनिक तकनीक से बढ़ाएं आय

हरियाणा में किसान परम्परागत खेती को छोडक़र फसल विविधिकरण जिसमें बागवानी मधुमक्खी पालन सब्जियां उगाकर मशरूम उत्पादन आदि को अपनाकर आय को बढ़ा सकते हैं। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय लगातार ऐसे किसनों को बढ़ावा दे रहा है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 05:53 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 05:53 PM (IST)
घटते कृषि क्षेत्र की समस्या का उपचार, किसान फसल विविधिकरण व आधुनिक तकनीक से बढ़ाएं आय
भूमि के उपजाऊ शक्ति को कैसे बढ़ाएं इस बारे में एचएयू जानकारी दे रहा है

जागरण संवाददाता, हिसार। वर्तमान समय में घट रही जोत के चलते किसानों की आय को कम करने का काम कर रही है। इस समस्या से किसान एक नए तरीके से समाधान प्राप्त कर सकते हैं। वह फसल विविधिकरण एवं आधुनिक तकनीक को अपनाएं तो उनकी आय भी बढ़ेगी और घटती जोत की समस्या भी दूर हो जाएगी। किसान परम्परागत खेती को छोडक़र फसल विविधिकरण जिसमें बागवानी, मधुमक्खी पालन, सब्जियां उगाकर, मशरूम उत्पादन आदि को अपनाकर आय को बढ़ा सकते हैं। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय लगातार ऐसे किसनों को बढ़ावा दे रहा है। विश्वविद्यालय में विभिन्न फसलों की अधिक पैदावार देने वाली उन्नत किस्मों व आधुनिक कृषि तकनीकों पर अनुसंधान जारी है। इसके निरंतर बेहतर परिणाम भी मिल रहे हैं जो किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक साबित हो रहे हैं।

आने वाले समय में पर्यावरण का रखने वाली मिलेंगी किस्में

एचएयू में जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण, भौगोलिक परिस्थितयों, जल व मृदा संरक्षण जैसे अन्य महत्वपूर्ण घटकों को ध्यान में रखकर भी अनुसंधान कार्य किए जा रहे हैं जो न केवल किसानों बल्कि सभी वर्गों के लिए लाभदायक साबित होंगे। कई किस्में इसमें सामने भी आई हैं। गेहूं की रोगों से लड़ने वाली और स्वास्थ्य का ख्याल रखने वाली किस्में आ चुकी हैं। वहीं दूसरी फसलों पर शोध कार्य चल रहे हैं।

लैब टू लैंड की रणनीति पर कर रहे काम

किसान व विज्ञानी एक सिक्के के दो पहलू हैं। किसानों के पास खेती संबंधी अपने क्षेत्र का लंबा अनुभव होता है वहीं दूसरी ओर विज्ञानियों के पास आधुनिक तकनीक व उन्नत किस्में होती हैं। इसलिए इन दोनों के एक हो जाने से बहुत ही सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। जब तक तकनीक लैब से निकलकर किसान के खेत तक नहीं जाएगी तब तक उसका अनुसंधान को कोई महत्व नहीं है। इसलिए लैब टू लैंड की रणनीति को अपनाते हुए विज्ञानियों को काम कराना एचएयू ने शुरू करा दिया है।

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