रोहतक के युवा ने बनाया अनोखा सतगुणी घर, 50 साल पुरानी जीवनशैली का करें दर्शन, करें जहरमुक्त भोजन

सीसरखास के युवा ने खेत में प्राकृतिक ढंग से घर तैयार किया है। गाय के गोबर पीली मिट्टी और चंदन के झोपड़ियों की दीवारें तैयार की गई हैं। आधा एकड़ में बांस से घर तैयार किया। आधे एकड़ में फल-सब्जियां उगाई हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Sat, 20 Feb 2021 05:27 PM (IST) Updated:Sat, 20 Feb 2021 05:27 PM (IST)
रोहतक के युवा ने बनाया अनोखा सतगुणी घर, 50 साल पुरानी जीवनशैली का करें दर्शन, करें जहरमुक्त भोजन
रोहतक में बनाया गया सतोगुणी घर संस्कृति, स्वास्थ्य और स्वरोजगार का संगम है।

हिसार/रोहतक [ओपी वशिष्ठ]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के नारे के बाद युवा स्वरोजगार की दिशा में नए-नए प्रयोग करने लगे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर सीसरखास गांव में देखने को मिलता है। जहां एक युवा ने अपने खेत में सतगुणी घर बनाया है। इस घर में आपको 50 साल से पहले की प्राचीन जीवनशैली के दर्शन हो जाएंगे।

खास बात यह है कि यहां संस्कृति, स्वास्थ्य और स्वरोजगार की दिशा में यह सार्थक कदम उठाया गया है। इससे आप जहरमुक्त भोजन कर सकते हैं, स्वच्छ और खुले वातावरण में मेडिटेशन, ध्यान व योग से सुकून की जिंदगी जी सकते हैं। साथ ही, स्वरोजगार भी है, जहां लोग घूमने-फिरने आएंगे, जो आमदनी जरिया बनेगा।  

बांस-सरकंडे से तैयार किया घर का ढांचा

सीसरखास के धर्मदेव आचार्य ने बताया कि आधे एकड़ में बांस की चहारदीवारी बनाई गई है। घर में चार झोपड़ीनुमा कमरे हैं, जिसकी दीवारें गाय के गोबर, पीली मिट्टी और गुलाब, चंदन व मोगरा के पाउडर से तैयार की गई हैं। फर्श भी कच्ची मिट्टी से बनाया गया है, जिसमें बरगद और पीपल के नीचे की मिट्टी डाली गई है। छत बांस और सरकंडे से बनाई गई है, जिसमें ऊपर मिट्टी का लेप किया है। इसी तरह एक हॉल है, जो बांस और सरकंडे से बनाया गया है। इसमें एक साथ 20 से 30 लोग बैठक कर सकते हैं। चारपाई व मुढ्ढे यहां रखे गए हैं। 

चूल्हे पर बनता है खाना, रसोई में सभी बर्तन मिट्टी के

रसोई भी मिट्टी के लेप से तैयार की गई है। इसमें हाथ की चक्की है, जिससे आटा तैयार किया जाता है। बर्तन भी मिट्टी के बने हैं। आटा व अन्य राशन रखने के लिए म्टिटी के ही मटकेनुमा बर्तन है। स्टील, तांबा, सिल्वर व अन्य किसी भी धातु के बर्तन रसोई में नहीं है। चूल्हे पर खाना पकाया जाता है। सिलबट्टे व पत्थर की कुंडी में चटनी व मसालें तैयार किए जाते हैं। 

मेडिटेशन व सनबाथ के लिए बनाया प्लेटफॉर्म

बांस से तैयार प्लेटफॉर्म है, जहां मेडिटेशन और सनबाथ लिया जा सकता है। इसके अलावा पाठ-पूजा के लिए अलग से मंच बनाया गया है, जहां किसी भी धर्म के लोग पाठ-पूजा कर सकते हैं। गर्मी व सर्दी में प्रकृति का  आनंद ले सकते हैं। आंगन में औषधीय व फूलों के प्लांट हैं। बाहर से आने वाले लोगों को मेडिटेशन, योगा, एक्यूप्रेशर, बॉडी केयर की सुविधा भी है। 

बारिश के पानी को स्टोर कर किया जाता है इस्तेमाल

सतोगुणी घर की रसोई की छत से बारिश के पानी को स्टोर किया जाता है। इस छत के पानी को पाइप से सीधे जमीन में बने टैंक में स्टोर किया जाता है। इस पानी को खाना बनाने और पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 

चार एकड़ में जैविक खेती

सतोगुणी घर आधार एकड़ में है। आधे एकड़ में विभिन्न फलों के प्लांट और सब्जियां उगा रखी है। सतोगुणी घर में इस्तेमाल होने के लिए कोई भी सामान बाजार से नहीं लाया जाता। फल-सब्जियां घर खेत से ही तैयार की जाती है। चार एकड़ में गेहूं, गन्ना व अन्य सीजन के मुताबिक फसलें लगाई जाती है। तीन किस्म का गेहूं और तीन किस्म का गन्ना फिलहाल खेत में उगा है। शरबती, 306 और काला गेहूं की मांग बहुत ज्यादा है। खेत से ही एडवांस फसल बिक जाती है। 

यहां-यहां से मिला आइडिया

सतोगुणी घर के संचालक धर्मदेव आचार्य ने बताया कि उसने देश के विभिन्न राज्यों का भ्रमण किया। हिमाचल में उनको जैविक खेती का विकल्प मिला। खाने-पीने का आइडिया राजस्थान से  क्योंकि वहां पर भी जैविक खेती का अभी भी इस्तेमाल हो रहा है। कर्नाटक और केरला से बांस के मकान का आइडिया मिला। बांस का वैज्ञानिक आधार भी है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी है। धर्मदेव स्नातक तक पढ़ाई कर चुके हैं। इसके अलावा एक्यूप्रेशर में एमडी व डीएटी, मसाज में डिप्लोमा तथा आचार्य की पढ़ाई कर चुके हैं। 

जनवरी में किया बाहरी लोगों के लिए खोला

धर्मदेव आचार्य ने बताया कि जो लोग ग्रामीण आंचल, सादा खान-पान व प्राकृतिक छटा का आनंद लेना चाहते हैं, उनके लिए भी घर में ठहरने का विकल्प रखा है। यूएसए का एक परिवार यहां ठहर कर गया है। विद्यार्थियों व खिलाड़ियों को बहुत कम खर्च पर यहां ठहरने की व्यवस्था है। कॉर्पोरेट व अन्य लोग भी यहां आ सकते हैं। इस घर को बनाने में करीब 20 लाख रुपए खर्च आया है। 

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