जीना इसी का नाम है : पिता की मौत के छठे दिन झज्‍जर में ज्वाइन कर ली थी कोविड व्‍यवस्‍था की ड्यूटी

डा. सुभाष आयुष विभाग में तैनात हैं। पिछले साल से उनकी कोविड केयर में ड्यूटी लगी हुई है। सितंबर 2020 में उनके पिता की कोविड की वजह से मौत हो गई थी। पिता की मौत के छठें दिन ही डा. सुभाष ने अस्पताल आकर अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली थी।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 03:33 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 03:33 PM (IST)
जीना इसी का नाम है : पिता की मौत के छठे दिन झज्‍जर में ज्वाइन कर ली थी कोविड व्‍यवस्‍था की ड्यूटी
कोरोना काल में पिछले करीब एक माह से घर नहीं गए डा. महेश, विश्राम गृह में रहकर दे रहे सेवाएं

झज्जर [अमित पोपली] कोरोना की दूसरी लहर व्यापक असर दिखा रही हैं। लहर के दबाव को सहकर भी कुछ मिसाल ऐसी हैं जो कि उम्मीद की किरण जगाए रखती हैं कि मिलकर चलने से हम जरूर कोरोना को मात दे देंगे। दरअसल, डा. सुभाष, आयुष विभाग में तैनात हैं। पिछले साल से उनकी कोविड केयर में ड्यूटी लगी हुई है। सितंबर 2020 में उनके पिता की कोविड की वजह से मौत हो गई थी। पिता की मौत के छठें दिन ही डा. सुभाष ने अस्पताल आकर अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली थी।

फिलहाल, वे जिला मुख्यालय स्थित सिविल अस्पताल में कोविड कॉर्नर को संभाल रहे हैं। दिन हो या रात उनके कोविड कॉर्नर से सैंपल लिए जा रहे हैं। एक दिन में सीधा एंबलुेंस से सैंपल लेने की औसत भी 200 से अधिक आ रही हैं। जबकि, कुल 500 से अधिक सैंपल लेने का कार्य हो रहा हैं। वे विश्राम गृह में रह रहे हैं। एक माह से अपने घर भी नहीं गए। परिवार में दो छोटे बच्चे हैं, जिनसे वीडियो कॉल करते हुए अपनी पढ़ाई की तरफ ध्यान देने की सीख देते हैं।

...अब पिता ने तो नहीं आना वापस, सेवाओं से जरूर समय बदलेगा :

कोविड कॉर्नर में सेवाएं दे रहे डा. महेश सैनी के मुताबिक पिछले साल सितंबर माह में पिता की कोरोना से मौत हो गई थी। घटना परिवार को तोड़ने वाली थी। लेकिन, छठें दिन ही मैंने अपनी सेवाएं देना शुरु कर दिया था। कारण कि उन दिनों में कोरोना के केसों का दबाव ज्यादा आन पड़ा था। परिवार से सलाह करते हुए निष्कर्ष निकाला कि पिता जी तो अब वापिस नहीं आएंगे। हां, सेवाएं देकर समय जरूर बदला जा सकता हैं। हालांकि, मौजूदा समय में परिस्थितियां पहले से ज्यादा विषम प्रतीत होती हैं। लेकिन, हिम्मत से ज्यादा विषम कतई नहीं। अब सैंपलिंग का दबाव ज्यादा हैं।

कोविड कॉर्नर पर ड्यूटी दे रहा हैल्थ स्टॉफ भी ज्यादा संक्रमित हो रहा हैं। जो भी ड्यूटी पर हैं, उनका मनोबल कमजोर नहीं हो रहा। वह हर हाल में बेहतर करने के लिए लगे रहते हैं।

रात को भी हो रही सैंपलिंग : मुख्यालय पर स्थित अस्पताल में सैंपलिंग का दबाव दिन ही नहीं रात में भी बना रहता हैं। दिन में एंबुलैंस में आने वाले मरीजों की सीधी सैंपलिंग की जा रहीं हैं। रात के समय में पोस्टमार्टम जैसी आपात स्थिति सहित अदालती मामलों से जुड़े लोगों के भी सैंपल हो रहे हैं। कुल मिलाकर, एक दिन में करीब 500 तक का यह आंकड़ा हो जाता हैं। जबकि, पिछले सप्ताह में आपात स्थिति में करीब 50 सैंपल लिए गए हैं।

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