आरसिटी प्रकरण: प्रबंधन की अग्रिम जमानत याचिका पर हाइकोर्ट में सुनवाई, आज आ सकता है फैसला
हिसार में मल्टी स्टोरी प्रोजेक्ट के प्रबंधक आरसिटी बिल्डर्स की मुश्किलें अभी ओर भी बढ़ सकती हैं। सोमवार को हाइकोर्ट में आरसिटी प्रबंधन की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। इस प्रकरण को हाइकोर्ट की सिंगल बैंच में न्यायमूर्ति एचएस गिल ने सुना।
जागरण संवाददाता, हिसार। हिसार के सेक्टर 9-11 स्थित मल्टी स्टोरी प्रोजेक्ट के प्रबंधक आरसिटी बिल्डर्स की मुश्किलें अभी ओर भी बढ़ सकती हैं। सोमवार को हाइकोर्ट में आरसिटी प्रबंधन की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। इस प्रकरण को हाइकोर्ट की सिंगल बैंच में न्यायमूर्ति एचएस गिल ने सुना। वहीं फ्लैट बायर्स एसोसिएशन की तरफ से हाइकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता एनके शेखावत तो फ्लैट खरीददार व अधिवक्ता परवीर आर्य की तरफ से अधिवक्ता अनुराग जैन ने पैरवी की। दोनों तरफ के अधिवक्ताओं ने इस मामले पर अपना-अपना पक्ष पुरजोर तरीके से रखा। दो घंटे से अधिक समय तक अधिवक्ताओं के बीच में बहस हुई। इसके बाद कोर्ट ने फैसले को अपने पास सुरक्षित रख लिया है। मंगलवार को अग्रिम जमानत पर फैसला आ सकता है। गौरतलब है कि अग्रिम जमानत को लेकर हिसार में सेशन कोर्ट पहले ही आरसिटी प्रबंधन की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो चुका है। इसी फैसले को लेकर प्रबंधन ने हाइकोर्ट में चुनौती दी थी।
विला की धनराशि को लेकर बायर्स ने लगाए आरोप
आरसिटी प्रबंधन एक तरफ तो कोर्ट के चक्कर काट रहा है वहीं दूसरी तरफ फ्लैट बायर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों का आरोप है कि आरसिटी प्रबंधन ने विला में भी धनराशि से जुड़ी गड़बड़ियां की गई। इसमें बायर्स ने बताया कि समान आकार प्रकार के रेट में हीलाहवाली की जा रही है। एक विला 51 लाख रुपये में मिल रहा है तो उसी के साथ दूसरे विला की कीमत 1.30 करोड़ रुपये दिखाए गए हैं। ऐसे कई विला हैं जिसके दाम अलग-अलग हैं और भारी अंतर भी है। आरोप है कि रुपये को साइफन कर दूसरे प्राेजेक्टों में धनराशि लगाइ जा रही है।
क्या है पूरा प्रकरण
सेक्टर 9-11 में आरसिटी बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड फ्लैट व विला बना रही है। 13 वर्ष बीत जाने पर लोगों को पजेशन नहीं मिली तो इस प्रोजेक्ट में फ्लैट व विला खरीदने वाले 87 लोगों ने हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी में शिकायत कर दी। तब यह बैंच लगातार इस मामले पर लगातार हरेरा में सुनवाई चल रही है। दो बार प्रोजेक्ट का फारेंसिंक आडिट हो चुका है जिसमें प्रोजेक्ट की धनराशि को अन्य स्थान पर लगाने की बात सामने आई है।