सफेद सच: राकेश टिकैत जी कांग्रेस कहीं बुरा न मान जाए, पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें

किसान नेता राकेश टिकैत ओमप्रकाश चौटाला के फार्म हाउस पर गए और पारिवारिक घनिष्टता के बारे में बताया। आइए ... हरियाणा के साप्ताहिक कालम सफेद सच में राज्य की कुछ ऐसी ही रोचक खबरों पर नजर डालते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 27 Apr 2021 11:16 AM (IST) Updated:Tue, 27 Apr 2021 11:16 AM (IST)
सफेद सच: राकेश टिकैत जी कांग्रेस कहीं बुरा न मान जाए, पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें
किसान नेता राकेश टिकैत की फाइल फोटो।

हिसार [जगदीश त्रिपाठी]। तीन-चार दिन पहले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और कृषि सुधार विरोधी आंदोलन के स्टार राकेश टिकैत सिरसा में चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के फार्म हाउस पर पहुंच गए। टिकैत ने कहा- हमारे परिवार की चार पीढ़ियोंं से घनिष्ठता है। यहां आने का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है। टिकैत के पिता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत तो बीस वर्ष पहले चौधरी ओमप्रकाश चौटाला की सरकार के समय जींद के कंडेला में आंदोलन कर रहे किसानों को समझाने के प्रयास में अपमानित भी हो गए थे। इसलिए टिकैत के चौटाला परिवार के साथ संबंधों को देखते हुए उनके वहां जाने के पीछे भले ही कोई राजनीतिक कारण न हो, लेकिन कांग्रेस को बुरा लग सकता है, क्योंकि वे भी तो टिकैत के समर्थन में पूरा जोर लगाए हुए हैं। वैसे टिकैत की दिक्कत यह भी थी कि जाएं किसके यहां। कांग्रेस के एक क्षत्रप के यहां जाते तो तीन नाराज हो जाते।

तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा

किसी भी शहर की पहचान वहां कंक्रीट से बनी आलीशान इमारतों के कारण नही होती है और न ही चमचमाती सड़कों पर दौड़तीं लंबी-लंबी गाडिय़ों से होती है। शहर की पहचान वहां के लोगों की संवेदनशीलता से होती है। जो घर-परिवार के दायित्वों का निर्वहन करते हैं। ईश्वर की उपासना करते हैं। वे मानते हैं कि जो उनके पास है, वह सब ईश्वर का दिया है। मानवता की सेवा कर वे उसे ईश्वर को अर्पित करने में भरोसा रखते हैं। इसलिए किसी को मदद की जरूरत पड़ती है तो दौड़ पड़ते हैं। पानीपत की एक देवरानी-जेठानी और देवरानी की बहन तीनों मिलकर कोरोना संक्रमितों को भोजन पहुंचा रही हैं। सुबह आरती कर निकलती हैं -तेरा तुझको अर्पण क्या लेगा मेरा। ऐसे बहुत से लोग हरियाणा के हर शहर में हैं, जो जरूरतमंदों को दवा-आक्सीजन, राशन और अन्य वस्तुएं आदि उपलब्ध करा रहे हैं। हर शहर की शान ऐसे ही लोग होते हैं।

याद बहुत आते हैं ब्लंडर प्राइड वाले दिन

हरियाणा के उद्योगों में काम करने वाले अप्रैल के दूसरे सप्ताह से अपने घर जा रहे थे। फैक्ट्री मालिकों को बता रखा था कि साहब, पंचायत के चुनाव हैं। वोट देने जाना जरूरी है। जरूरी था भी। प्रधान पद के प्रत्याशियों ने ऐसे लोगों का आने जाने का टिकट सपरिवार करा दिया था। तब कोविड संक्रमण भी नेपथ्य में था। हरियाणा में भी और उत्तर प्रदेश में भी। चुनाव कई चरणों में थे, इसलिए लोग आगे पीछे जा-आ रहे थे। अब कुछेक को छोड़कर, जिनके यहां अंतिम चरण में चुनाव हैं, शेष लौट आए हैं। लेकिन प्रधान पद के प्रत्याशियों की तरफ से की गई सेवा की यादें रह रहकर सता रही हैं। किसी ने शाही पनीर का भोग लगाया था तो किसी ने चिकन कोरमा उदरस्थ किया था। कोई ब्लंडर प्राइड का आचमन करते हुए भयंकर गौरव की अनुभूति कर रहा था। अब वे दिन तो याद आएंगे ही।

अपनी गलती हमारे सिर

दिल्ली और पंजाब में जब कोविड संक्रमण की दूसरी लहर चली तो वहां की सरकारों ने संजीदगी से नहीं लिया। वे समझ रही थीं कि सब ठीक हो जाएगा। एक वर्ष में वे चाहतीं तो केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत आक्सीजन प्लांट लगवा सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। जरूरत पड़ी तो आक्सीजन के लिए पहले केंद्र पर आरोप लगाया। फिर हरियाणा पर आरोप लगाती हैं कि हमारे आक्सीजन सिलेंडर हरियाणा में रोक लिए जाते हैं। वास्तव में स्थिति इससे ठीक उलट है। हरियाणा तो पंजाब और दिल्ली का पाप भुगत रहा है। वहां इलाज न मिलने से हजारों संक्रमित हरियाणा के अस्पतालों में आकर भर्ती हो रहे हैं। इलाज करा रहे हैं। स्वस्थ हो रहे हैं। इससे हरियाणा के मरीजों के लिए अस्पतालों में बेड का संकट गहरा गया है। इसके बावजूद हरियाणा पर दिल्ली और पंजाब आरोप लगा रहे हैं और अपनी गलती हमारे सिर थोप रहे हैं।

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