हिसार की राजगुरु मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन में खुलकर सामने आई फूट, चुनाव में सरंक्षक को बुलाया तक नहीं
राजगुरु मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन में फूट एक बार फिर खुलकर सामने आई है। रविवार को हुए चुनाव में एसोसिएशन के संरक्षक को नहीं बुलाया गया। व्यापारियों के चुनाव में मेयर गौतम सरदाना का प्रभाव नजर आया। संरक्षक ने आपत्ति जताई है।
हिसार, जेएनएन। राजगुरु मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान व सचिव के चुनाव पर सवाल खड़े हो गए हैं। राजगुरु मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन के संरक्षक को रविवार को हुए चुनाव में आमंत्रित तक नहीं किया गया। उनकी गैर मौजूदगी में मेयर गौतम सरदाना के जीजा सुभाष उर्फ टीनू आहूजा को प्रधान चुना और पूर्व सचिव सुरेंद्र बजाज को एक बार फिर सचिव चुना गया। ऐसे में व्यापारियों में फूट एक बार फिर खुलकर सामने आई है।
व्यापारियों के चुनाव में मेयर गौतम सरदाना का प्रभाव नजर आया। पिछले 30 साल से अधिक समय से मार्केट में सामाजिक व व्यापारिक कार्यों में सहयोग देने वाले सरंक्षक बाबूलाल अग्रवाल को एसोसिएशन की ओर से चुनाव में आमंत्रित नहीं करने पर उन्होंने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि व्यापारिक चुनाव में भी अब निचले स्तर की राजनीति होने लगी है। वह मार्केट के पहले प्रधान मेहर चंद गांधी के सहयोगी के रूप में मार्केट के लिए कार्य कर रहे हैं। राजगुरु मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन का फाउंडर मैंबर और सरंक्षक हूं इसके बावजूद मुझे चंद व्यापारियों ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए दरकिनार कर दिया है जो सरासर गलत है।
व्यापारियों से इस व्यवहार पर करुंगा बातचीतः अग्रवाल
राजगुरु मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन के संरक्षक बाबूलाल अग्रवाल ने कहा कि मैं खुश हूं कि सुभाष उर्फ टीनू आहूजा को प्रधान व सुरेंद्र बजाज को सचिव बना दिया। लेकिन, व्यापारी एसोसिएशन भाईचारे की एसोसिएशन है। इसमें कुछ व्यापारी मिलकर राजनीति खेल रहे हैं। यह भविष्य में एसोसिएशन और मार्केट हित में नहीं है। मैं 59 वर्ष का हूं और एसोसिएशन से जुड़े व्यापारियों को अपने बुजुर्ग यानि सीनियर व्यापारी का सम्मान करना चाहिए। अपने से बड़ों का जहां सम्मान खत्म होने लगे, समझ जाओ वह एसोसिएशन पतन की ओर अग्रसर हो रही है।
संरक्षक से एसोसिएशन ने बनाई दूरी
राजगुरु मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन के पूर्व प्रधान गौतम नारंग ने कहा कि अतिक्रमण मुद्दे पर बाबूलाल ने एसोसिएशन के विरुद्ध कदम उठाया। उन्होंने अपनी अलग एसोसिएशन बना ली थी। जो हमारी एसोसिएशन के फैसले के विरुद्ध थी। इसलिए एसोसिएशन ने संरक्षक बाबूलाल को इस चुनाव में आमंत्रित नहीं किया।
बाबूलाल का जवाब
केवल बड़े व्यापारी ही मार्केट के हिस्सा नहीं है। हम साल 1987 से यहां कारोबार कर रहे है। छोटे व्यापारी भी मार्केट का अहम हिस्सा है। एसोसिएशन ने जब उनकी जरुरतों को दरकिनार किया तो अपनी जरुरत को देखते हुए कई व्यापारियों ने अपनी अलग एसोसिएशन बनाई है मैं मानता हूं कि व्यापारी हीत में यह उनका सहीं फैसला है।
यह भी जानें नगर योजनाकार विभाग के नक्शानुसार 6 जून 1970 में राजगुरु मार्केट की स्थापित की गई थी। व्यापारियों के अनुसार मार्केट में करीब 70 से 80 फीसद तक व्यापारी पंजाबी समुदाय से ही संबंध रखते है। यहीं कारण है कि पंजाबी समुदाय का मार्केट में दबदबा है और उन्हीं के समुदाय से व्यापारियों ने अधिकांश समय में प्रधान पद की कमान संभाली है।
सर्वाधिक कपड़ा व्यापारियों के हाथों में रही मार्केट की कमान
मेहर चंद गांधी : उनका परिवार भारत-पाक विभाजन में पाकिस्तान से हिसार आकर बसा और कपड़े का कारोबार शुरु किया। मेहर चंद गांधी का इतना दबदबा था कि करीब साल 2014-15 तक वे सर्वसम्मति से प्रधान रहे।
सदानंद कामरा : सदानंद कामरा भी कपड़ा व्यापारी ही थे। मेहर चंद गांधी के बाद वे प्रधान तो बने लेकिन बीमारी के कारण उन्होंने बीच में ही पद की कमान छोड़नी पड़ी।
राजेश जैन : सदानंद के बीमारी होने के बाद कपड़ा व्यापारी राजेश जैन कार्यकारी प्रधान रहे।
महेश चौधरी : वे भी कपड़ा व्यापारी है और राजेश जैन के बाद सर्व सम्मति से प्रधान बने।
गौतम नारंग : गौतम नारंग ने कपड़ा व्यापारियों का एसोसिएशन में एकछत्र राज पर ब्रेक लगाया और सर्व सम्मति से प्रधान बने। गौतम नारंग बरवाला से पूर्व विधायक वेदनारंग के चचरे भाई और सर्राफा व्यापारी है। उनका कार्यकाल 18 फरवरी 2021 तक रहा।
सुभाष उर्फ टीनू आहूजा : 11 अप्रैल 2021 को वर्तमान नवनिर्वााचित प्रधान बने हैं। ये भी कपड़ा व्यापारी है और रिश्ते में मेयर गौतम सरदाना के जीजा है।
एसोसिएशन का संरक्षक बदला जाएगा
राजगुरु मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव सुरेंद्र बजाज ने बताया कि बाबूलाल ने दूसरी एसोसिएशन बना ली थी जो गलत है। इसलिए बाबूलाल अग्रवाल को बुलाया नहीं गया है। राजगुरु मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन का संरक्षक बदला जाएगा।
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