राष्ट्र को सही दिशा देती है गुणवत्ता आधारित शोध : प्रो. कांबोज

गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रो. बलदेव राज कांबोज ने कहा है कि किसी भी शोध की सार्थकता तभी है जब वह समाज व राष्ट्र उपयोगी हो। गुणवत्ता आधारित शोध राष्ट्र को सही दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक परिस्थितियों में बदलाव आया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 09:06 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 09:06 PM (IST)
राष्ट्र को सही दिशा देती है गुणवत्ता आधारित शोध  : प्रो. कांबोज
राष्ट्र को सही दिशा देती है गुणवत्ता आधारित शोध : प्रो. कांबोज

जागरण संवाददाता, हिसार : गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. बलदेव राज कांबोज ने कहा है कि किसी भी शोध की सार्थकता तभी है जब वह समाज व राष्ट्र उपयोगी हो। गुणवत्ता आधारित शोध राष्ट्र को सही दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक परिस्थितियों में बदलाव आया है। इससे शोध की दशा और दिशा भी बदली है। एक तरफ शोध के समक्ष जहां नई चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं वहीं शोध के नए आयाम भी खुले हैं। प्रो. बलदेव राज कांबोज सोमवार को विश्वविद्यालय के हरियाणा स्कूल आफ बिजनेस (एचएसबी) के सौजन्य से रिसर्च मैथेडोलाजी एंड डेटा एनालिसिस विषय पर आरंभ हुई कार्यशाला में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर एचएसबी की डीन प्रो. शबनम सक्सेना, निदेशक प्रो. कर्मपाल नरवाल, कार्यशाला संयोजक डा. उबा सविता एवं डा. हिमानी शर्मा उपस्थित रहे। प्रो. बलदेव राज कांबोज ने कहा कि श्रेष्ठ शोध को अंजाम देने में शोध विधियों की मुख्य भूमिका होती है। शोध विधियां लगातार समय के अनुसार तेजी से बदल रही हैं। नए रूप धारण कर रही हैं। इनके उचित प्रयोग के कौशल का ज्ञान होना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि शोध ऐसा भी होना चाहिए कि व्यक्ति के मानसिक स्तर को मजबूत करने और उसको श्रेष्ठता की ओर ले जाने में सहायक सिद्ध हो। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह कार्यशाला केवल औपचारिकता मात्र नहीं रहेगी, बल्कि कार्यशाला के अंत में कुछ खास निष्कर्ष निकाले जाएंगे तथा अनुशसांए स्थापित की जाएंगी, जो भविष्य में होने वाली कार्यशालाओं का आधार बनेंगी। प्रो. शबनम सक्सेना ने कहा कि इस कार्यशाला के दौरान शोध से जुड़ी सभी विधियों, मापदंडों व तकनीकों के बारे में प्रतिभागियों को विस्तार से बताया जाएगा और यह कार्यशाला प्रतिभागियों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगी। प्रो. कर्मपाल नरवाल ने एचएसबी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अपनी विशेषताओं के चलते एचएसबी समूचे उत्तर भारत में अपनी विशेष पहचान रखता है। एचएसबी में वर्तमान में 260 से अधिक शोधार्थी शोध कर रहे हैं। यह कार्यशाला 17 सितंबर तक चलेगी। इस मौके पर प्रोफेसर हरभजन बंसल, प्रोफेसर विनोद कुमार बिश्नोई, प्रोफेसर पी.के गुप्ता, प्रोफेसर अनिल कुमार, प्रोफेसर संजीव कुमार, प्रोफेसर तिलक सेठी, प्रोफेसर सुरेश मित्तल, प्रोफेसर खुजान सिंह, प्रोफेसर दीपा मंगला, प्रोफेसर अंजू वर्मा, प्रोफेसर दलबीर सिंह, डा. श्वेता सिंह, डा. राजीव कुमार, डा. मनीष श्रेष्ठा, डा. वन्दना सिंह, डा. विजेंद्र पाल सैनी, डा. सुरेश भाकर समेत, डा. कोमल ढांडा, डा. प्रमोद कुमार, डा. अंजली गुप्ता, डा. पूजा गोयल, डा. विवेक कुमार, डा. प्रेरणा टुटेजा समेत सभी शिक्षक उपस्थित रहे।

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