Quail farming business: बटेर पालन में भी बढ़ रहा हरियाणा, इस व्यवसाय के लिए लेना पड़ता है लाइसेंस
बटेर पक्षी के अंडे मुर्गियों के अंडों से ज्यादा पौष्टिक होते हैं। बटेर पालन कम जगह कम लागत और कम मेहनत में शुरू हो जाता है। यह पक्षी फार्म खोलने के लिए एक दिन का भी लाया जा सकता है। एक वयस्क बटेर का वजन 150-200 ग्राम तक होता है
जागरण संवाददाता, हिसार। बटेर एक भूरा और छोटा पक्षी है और इनका मांस तथा अंडों का व्यवसाय हरियाणा में दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है क्योंकि इनके रख-रखाव पर अन्य पक्षियों के अलावा कम खर्च आता है। इस पक्षी के अंडे मुर्गियों के अंडों से ज्यादा पौष्टिक होते हैं। बटेर पालन कम जगह, कम लागत और कम मेहनत में शुरू हो जाता है। यह पक्षी फार्म खोलने के लिए एक दिन का भी लाया जा सकता है। एक वयस्क बटेर का वजन 150-200 ग्राम तक होता है और 10-15 ग्राम का अंडा देता है। अंडे की ऊपरी सतह सफेद से भूरे रंग धब्बेदार होती है। बटेर के अंडे में लगभग 40 फीसद पानी, 13 फीसद प्रोटीन, 1 फीसद कार्बोहाइड्रेट तथा 1 फीसद खनिज होते हैं।
बटेर पक्षी 5-6 सप्ताह में मार्किट के लिए तैयार हो जाता है। 6-7 सप्ताह बाद बटेर अंडे देना शुरू कर देती है और 250-300 अंडे एक साल में देती है। बटेर पर खाने की लागत कम आती है। रोग कम लगते हैं। बटेर जल्दी से व्यस्क होते हैं इसलिए व्यवसाय में नुकसान का सवाल ही नहीं उठता। बटरे का मास चिकन की तलुना में ज्यादा स्वादिष्ट होता है। मांस में वसा और कोलोस्ट्रोल कम होता है तथा रक्तचाप के रोगियों के लिए लाभदायक होता है।
बटेर की विभिन्न प्रजातियां
ब्रिटिश रेंज बटरे , टक्सैडो बटरे , कीराने बटेर, मंचूरियन बटेर और अंग्रेजी व्हाइट बटेर, व्हाइट व्रेस्टेड बटेर (भारतीय), बोबीवेट बटेर (अमेरिकन) जैसी नस्लें शामिल हैं। बटेरो को लगभग एक वर्ग फीट में रखा जाता है और इन्हे पिंजरे में भी रखा जा सकता है ताकि शरीर का वजन जल्दी बढ़े । इनको रखने के लिए तीन फीट 2.5 फीट 1.5 फीट का पिंजरा लगभग 100 बटेरों के लिए, जो पक्षी जीरो से दो सप्ताह के हों उपयुक्त रहता है। 4 फीट 2.5 फीट 1.5 फीट का पिंजरा 50 बटेराें के लिए जो 3-6 सप्ताह के हाें उनके लिए ठीक है। एक वयस्क बटेर को 200 वर्ग सेंटी मीटर जगह में रखना चाहिए। दाना रखने के लिए बतर्न लम्बे छाेटे आैर पक्षी के सामने होने चाहिए, जबकि पानी पक्षी के पीछे रखना चाहिए। बटेर के नवजात चूजे का वजन लगभग 8 ग्राम का होता है और ये बहुत नाजुक होते है, इसलिए प्रकाश की व्यवस्था 24 घंटे अच्छी होनी चाहिए ताकि चूजे एक जगह रुके रहे और जल्दी बढ़ सके इसलिए वहाँ का तापमान 950 (फरिनहाइट) तक रहना चाहिए।
बटेर पालन में किन बातों का रखा जाता है ख्याल
- बटेर के आवास में प्रकाश तथा हवा का उचित प्रबंध होना चाहिए।
- बूढ़े बटेरों को तथा रोग से ग्रसित बटेरों को स्वस्थ बटेराें से अलग रखें।
- बटेर फार्म पर पक्षियों, जानवरो और अनजान व्यक्ति को न आने दें।
- बटेर को सूर्य की सीधी रोशनी और सीधी हवा से बचाना चाहिए।
- पहले दो सप्ताह में इनके पालन के लिए 24 घंटे रोशनी, उचित तापमान, बंद कमरा, दाना और पानी इत्यादि का उचित प्रबंध होना चाहिए।
- तीसरे सप्ताह में यह बिकने लायक तैयार हाे जाते हैं।
- नर और मादा बटेर को चार सप्ताह की उम्र में अलग कर देना चाहिए।
- 7-8 सप्ताह में बटेर अंडा उत्पादन शुरू कर देती है।
- 500 मादा बटेर लगभग 1500 बटेर चूजे प्रति सप्ताह देती है।
बटेर पालन के लिए लाइसेंस चाहिए
बटेर पालन के लिए सरकार की अनुमति पत्र की जरूरत होती है, क्योंकि यह संरक्षित पक्षी है। यह अनुमति पत्र पशु पालन एवं डेयरी विभाग द्वारा प्रदान किया जाता है, जोकि वातावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा प्रत्यायोजित है। एक साल के लाइसेंस के लिए 200 रुपये लगते हैं। किसान को बटेर भी किसी लाइसेंस वाले से खरीदने चाहिए। बटेर फार्म शहर से 2.5-3.0 किमी दूर होना चाहिए। लाइसेंस के लिए राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर कार्ड तथा अन्य वैध कार्ड होने अनिवार्य है