फतेहाबाद में ढाई वर्षों से प्रतीक्षा में प्राचीन गेस्ट हाउस के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव, जर्जर हो रही बिल्डिंग

करीब ढाई वर्ष पहले स्थानीय लोगों ने इसके जीर्णोद्धार का मुद्दा उठाया था। इसे लेकर लोगों ने पुरातत्व विभाग को पत्र प्रेषित किया था। इसके बाद हालांकि पुरातत्व विभाग की टीम ने पहुंचकर इस स्थल का निरीक्षण किया था।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 04:06 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 04:06 PM (IST)
फतेहाबाद में ढाई वर्षों से प्रतीक्षा में प्राचीन गेस्ट हाउस के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव, जर्जर हो रही बिल्डिंग
फतेहाबाद में नहर कोठी की जर्जर हालत।

फतेहाबाद, जागरण संवाददाता। जब देश के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान करने वालों का जिक्र होता है तो जुल्म ढाने वाली फिरंगी हुकूमत का किस्सा भी बयान किया जाता है। फिरंगी हुकूमत के ऐसे ही एक किस्सों की गवाह है धारसूल गांव के समीप रतिया ब्रांच के किनारे बनी नहर कोठी। जिसे अंग्रेजों का गेस्ट हाउस कहा जाता था। एक जमाने में जिस गेस्ट हाउस के भीतर अंग्रेज अफसर पार्टी करते थे, आज वे इमारत खंडहर में तब्दील हो गई है। अंग्रेजों के गेस्ट हाउस के नाम से जाने जानी वाली ये प्राचीन धरोहर (कोठी) इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है।

किसी वक्त अंग्रेजों की शान रहा इस आलीशान भवन की जगह आज खस्ताहाल इमारत है। इस प्राचीन अतिथि गृह का जीर्णोद्वार न होने से इसका नामोनिशान इतिहास में दफन हो रहा है। इस प्राचीन धरोहर को सहेजने के लिए इस पर शासन या किसी जनप्रतिनिधि की नज़र नहीं पड़ी है। अमूमन दौ सौ बरस पुरानी अंग्रेजी शासन की इस निशानी से आज की युवा पीढ़ी अंजान है। लोगों द्वारा मांग की जा रही है कि इस प्राचीन धरोहर को सरकार व पुरातत्व विभाग द्वारा जीर्णोद्धार कर विकसित किया जाएं।

प्रतीक्षा में प्रस्ताव

ज्ञातव्य है करीब ढाई वर्ष पहले स्थानीय लोगों ने इसके जीर्णोद्धार का मुद्दा उठाया था। इसे लेकर लोगों ने पुरातत्व विभाग को पत्र प्रेषित किया था। इसके बाद हालांकि पुरातत्व विभाग की टीम ने पहुंचकर  इस स्थल का निरीक्षण किया था। उस वक्त निरीक्षण के बाद विभागीय अधिकारियों ने बताया था कि राज्य सरकार के आग्रह पर इस भवन के जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव बनाकर सरकार के पास भेजा जाएगा, परंतु ढाई साल बीतने के बाद भी प्रस्ताव प्रतीक्षा में है।  

यह है प्राचीन धरोहर के हालात

प्राचीन गेस्ट हाउस के भीतर की सुंदरता एवं कलाकृतियों की भव्यता नष्ट हो गई हैं। आलम ये है कि आज इस भवन के चारों ओर जंगली झाड़ियां व खेत है। धीरे धीरे ये धरोहर मिट्टी में तब्दील होती जा रहीं है। आलम ये है कि देखरेख के अभाव में भवन की छत, खिड़की, दरवाजे, कुर्सी, मेज, सोफे, शीशे से लेकर हर रियासतकालीन चीजें टूट कर खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं।

लाइब्रेरी बनाने की उठाई थी मांग

ढाई साल पहले जब पुरातत्व विभाग के अफसरों ने इस स्थल का निरीक्षण किया था तो लोगों ने उनके समक्ष इस प्राचीन धरोहर का जीर्णोद्धार कर लाइब्रेरी निर्माण करने की इच्छा जताई थी। ग्रामवासियों में इसका जीर्णोद्धार होने का इतना उत्साह है कि अमेरिका में रह रहे ग्रामवासी अमरीक सिंह ने ऑफर किया था कि यदि इस धरोहर को प्रगतिशील साहित्य के लिए लाइब्रेरी की जगह चयन किया जाता है तो वे इसके लिए एक लाख रुपये सहयोग राशि देगे।

पुरातत्व विभाग ने जताई थी सहमति

ढाई वर्ष पूर्व निरीक्षण करने आएं पुरातत्व विभाग के तत्कालीन अधिकारी एसपी चलियां ने उस वक्त इस प्राचीन भवन के जीर्णोद्धार की मांग पर सहमति जताई थी। उनका कहना था कि जगह अच्छी है। उन्होंने इस स्थल का इतिहास करीब दो से ढाई सौ वर्ष पुराना बताया है। उन्होंने बताया था कि इस स्थल का पैनल बनाकर हरियाणा सरकार के पास भेजा जाएगा। सरकार की अनुमति मिलने के तत्काल बाद इस स्थल को पुरातत्व विभाग के अधीन कर यहां जीर्णोद्धार का कार्य आरंभ किया जायेगा, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हो पाया है।

अंग्रेज गवर्नर के ठहराव के लिए किया था निर्माण

अंग्रेज शासन के दौरान अंग्रेज गवर्नर जनपद क्षेत्र में कर वसूली करने आते थे। इस गेस्ट हाउस से जिले के विभिन्न शहर टोहाना, रतिया, भूना, जाखल की दूरी बराबर है। जहां से अंग्रेजों के अफसर इसे संगम मानते हुए यहां पर अपना गेस्ट हाउस तैयार किया था। उस वक्त अंग्रेज अधिकारी भी अक्सर जहां आते जाते थे। जानकारी मुताबिक देश की आजादी के बाद सरकार द्वारा ये स्थल पीडब्ल्यूडी को सौंप दिया था, लेकिन विभाग की देखरेख के अभाव में ये खंडहरनुमा इमारत बन गई।

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