एन्हांसमेंट री-कैलकुलेशन की प्रक्रिया 20 मार्च तक होगी पूरी, नया फार्मूला नहीं होगा लागू

मुख्यमंत्री ने विधानसभा में की घोषणा। एचएसवीपी मुख्यालय ने जारी की फाइनल डेड लाइन। नया फार्मूला नहीं होगा लागू नोटिफिकेशन के आधार पर ही होगी री-कैलकुलेशन

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 28 Feb 2020 02:29 PM (IST) Updated:Fri, 28 Feb 2020 02:29 PM (IST)
एन्हांसमेंट री-कैलकुलेशन की प्रक्रिया 20 मार्च तक होगी पूरी, नया फार्मूला नहीं होगा लागू
एन्हांसमेंट री-कैलकुलेशन की प्रक्रिया 20 मार्च तक होगी पूरी, नया फार्मूला नहीं होगा लागू

हिसार, जेएनएन। एन्हांसमेंट री-कैलकुलेशन प्रक्रिया में लगातार देरी से सेक्टरवासियों में नाराजगी व ऑल सेक्टर रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की मांग पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधानसभा में पूरी स्थिती स्पष्ट करते हुए 20 मार्च तक सभी सेक्टरों की री-कैलकुलेशन प्रक्रिया पूर्ण करने की समय सीमा निर्धारित की है। उसके बाद खातों से राशि अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

सेक्टर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप वत्स ने यह दावा करते हुए बताया कि एचएसवीपी मुख्यालय द्वारा लगातार पॉलिसी में बदलाव कर नया फार्मूला लागू करने की खबरों के बीच पूरा मामला मुख्यमंत्री व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के संज्ञान में लाया गया। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए 20 मार्च तक की समय सीमा निर्धारित कर दी गई है। वत्स ने बताया इससे पहले इस विषय को लेकर एचएसवीपी मुख्य प्रशासक पंकज यादव की अध्यक्षता में 26 फरवरी बुधवार को मुख्यालय पंचकूला में उच्च अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें पांचों जोनल एडमिनिस्ट्रेटर व सभी इस्टेट आफिसर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए।

एनजीटी सुनवाई से पहले अगर पेड़ों की सांसें नहीं हुईं मुक्त तो लग सकता है बड़ा जुर्माना

हिसार: शहर की हरियाली की सांसें रोकने का मामले में रोचक मोड़ आता दिखाई दे रहा है। पीसीबी यानि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में इस मामले को लेकर अंतरिम एटीआर भेजकर एनजीटी को स्थिति से अवगत कराया है। इस एटीआर को फाइल करने से पहले नगर निगम प्रशासन ने पेड़ों की सांसें खोलने के लिए लगभग दो माह का समय मांगा है। इसको देखते हुए नोडल एजेंसी पीसीबी ने एनजीटी को हकीकत बताई है। इस एटीआर में पीसीबी ने बताया है कि नगर निगम ने शहर में पेड़ों के आसपास टाइलें व कंक्रीट हटाने के लिए काम करना तो शुरू किया है। मगर अभी तक शहर में पूरी तरह से काम नहीं हुआ है। इसके साथ ही ऐसे में एनजीटी में इस मामले की सुनवाई अप्रैल माह में होनी प्रस्तावित है। ऐसे में इस सुनवाई से पहले भी एक बार पीसीबी एनजीटी को मामले की हकीकत से रूबरू कराएगी। अगर तब तक नगर निगम सड़कों से सभी पेड़ों को कंक्रीट से मुक्त नहीं कर पाता है कि एनजीटी को स्वतंत्रता होगी कि वह कितना भी जुर्माना जिम्मेदार अधिकारियों पर लगाए।

जिन टाइलों को उखाड़ा, वह हो रहीं गायब

अर्बन एस्टेट सहित शहर के विभिन्न क्षेत्रों से नगर निगम ने पेड़ों के पास लगी इंटरलॉङ्क्षकग टाइलों को हटाया है। अब लोगों का आरोप है कि यह टाइलें गायब हो रही हैं। अर्बन एस्टेट से तो कई टाइलें रातों रात गायब भी हो गईं। पेड़ों की सांसें खोलने के मामले में तो पहले ही नगर निगम लापरवाही रवैया अपना रही थी अब टाइलों से जुड़े मामले में भी अनदेखी की जा रही है। इधर इस मामले को एनजीटी तक ले जाने वाले अधिवक्ता ङ्क्षजतेद्र आर्य इन टाइलों को लेकर भी जल्द बड़ा खुलासा कर सकते हैं।

यह है मामला

अधिवक्ता जितेंद्र आर्य ने एनजीटी में शिकायत की थी कि शहर में सभी क्षेत्रों में सड़क किनारे पेड़ों को कंक्रीट या टाइलों से ढक दिया है। जिससे पेड़ों के तनों में पानी नहीं पहुंच पाता तो हरियाली समाप्त हो रही है। जहां पर एनजीटी ने पीसीबी यानि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को समय देते हुए नोडल एजेंसी बना दिया और मामले की सच्चाई जानने के लिये रिपोर्ट मांगी। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि एनजीटी में मामला जाने से सुनवाई और इसके बाद रिपोर्ट भेजने के समय तक दोनों विभाग ने एक भी पेड़ से टाइलें या कंक्रीट नहीं हटवाई। बाद में विभाग तेजी से कार्रवाई करता नजर आया। जब पीसीबी के अधिकरियों ने फील्ड पर उतरकर हकीकत जानी तो करीब 60 फीसद ऐसे वृक्ष मिले जहां अभी तक कंक्रीट व टाइलें हटाई ही नहीं गई। नगर निगम को एक मीटर गोलाई में टाइलें या कंक्रीट हटानी है।

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