Private hospitals strike: फतेहाबाद में डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर जताया रोष, भटकते रहे मरीज

आइएमए की हड़ताल का फतेहाबाद में भी असर दिखा। दो बजे तक निजी अस्पतालों की ओपीडी बंद रही। डॉक्टरों ने आपातकालीन स्थिति में आने वाले मरीजों का ही चेकअप किया। मांगें न मानने पर आने वाले दिनों में भी हड़ताल की चेतावनी दी।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 02:53 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 02:53 PM (IST)
Private hospitals strike: फतेहाबाद में डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर जताया रोष, भटकते रहे मरीज
आइएमए की हड़ताल के चलते अस्पतालों में परेशान होते मरीज।

फतेहाबाद, जेएनएन। अस्पतालों में डॉक्टरों के साथ हो रही हिंसक घटना के विरोध में आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) ने शुक्रवार को नेशनल डिमांड डे मनाया। हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए केंद्रीय सुरक्षा कानून की मांग उठाई गई। साथ ही चेतावनी दी गई कि यदि आइएमए की मांग नहीं मानी गई तो आने वाले दिनों में भी हड़ताल की जाएगी।

फतेहाबाद में शुक्रवार सुबह सभी प्राइवेट अस्पतालों में ओपीडी बंद रही। हालांकि डॉक्टर व अन्य स्टाफ सदस्य मौजूद रहे। सामान्य ओपीडी बंद रखी गई। आपातकालीन स्थिति में आने वाले मरीजों का इलाज भी किया गया। वहीं अनेक मरीज आए उन्हें दवाइयां देकर घर भेज दिया गया। आइएमए के जिला प्रधान डॉ. एचएस दहिया ने बताया कि करीब डेढ़ साल से पूरा देश कोरोना से जूझ रहा है। डॉ. फ्रंटलाइन वर्कर बनकर कार्य कर रहे हैं। इसके बावजूद डॉक्टरों पर हमले हो रहे हैं। यह गलत है। स्टेट के अपने कानून हैं। ऐसी हिंसा करने वालों पर तुरंत कार्रवाई नहीं हो पाती। इसके लिए पीएनडीटी एक्ट की तरह केंद्रीय कानून होना चाहिए। जिसमें अस्पतालों की सुरक्षा व जल्द से जल्द हिसा करने वाले आरोपितों पर कार्रवाई हो।

डॉक्टर से मारपीट को माना जाए राजद्रोह

उन्होंने कहा कि कोरोना को सरकार ने राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया। इस दौरान किसी भी डाक्टर के साथ मारपीट को राजद्रोह माना जाएगा। इसके बावजूद डाक्टरों के साथ मारपीट हो रही है। जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हालात यह है कि अब डाक्टर मरीज को देखने से घबरा रहे है। यदि मरीज के स्वजन ऊंची आवाज में बात करते हैं, तो डाक्टर उसे रेफर कर देता है। जबकि हम हर मरीज की जान बचाने चाहते है।

मरीजों को लौटना पड़ा वापस

शुक्रवार सुबह इंटरनेट मीडिया पर मैसेज वायरल होने के बाद लोग अस्पतालों में कम ही आए। लेकिन जिन लोगों को जानकारी नहीं थी वो सामान्य आते रहे। इस कारण ऐसे लोगों को वापस जाना पड़ा। हालांकि गंभीर मरीजों का इलाज भी किया गया। लेकिन आइएमए के इस एलान के बाद प्राइवेट अस्पतालों में ओपीडी बंद रही। वैसे कोरोना के कारण ओपीडी सुबह 8 से 2 बजे तक ही है। ऐसे में शुक्रवार को सुबह से ही ओपीडी बंद रही। जिससे गांव से आने वाले मरीजों को परेशानी हुई।

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