निजी हार्ट केयर सेंटर पर पिता के इलाज में लापरवाही और मान्यता प्राप्त ना होने पर भी मशीन के उपयोग का आरोप

जागरण संवाददाता हिसार चिकनवास गांव निवासी अनिल कुमार ने आजाद नगर एरिया में स्थित एक निज

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 07:12 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 07:12 AM (IST)
निजी हार्ट केयर सेंटर पर पिता के इलाज में लापरवाही और मान्यता प्राप्त ना होने पर भी मशीन के उपयोग का आरोप
निजी हार्ट केयर सेंटर पर पिता के इलाज में लापरवाही और मान्यता प्राप्त ना होने पर भी मशीन के उपयोग का आरोप

जागरण संवाददाता, हिसार : चिकनवास गांव निवासी अनिल कुमार ने आजाद नगर एरिया में स्थित एक निजी हार्ट केयर सेंटर संचालक पर उसके पिता के इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। अनिल कुमार ने मामले में डीआइजी कम एसपी को शिकायत दी है। शिकायत में अनिल कुमार ने बताया कि मार्च में उसके पिता को हृदय रोग संबंधी बीमारी हुई थी। अनिल ने बताया कि उस दौरान वह शहर के एक अस्पताल में पहुंचे तो वहां पर एक निजी हार्ट केयर सेंटर का दलाल खड़ा था, उसने उसके पिता के शत-प्रतिशत इलाज की गारंटी देते हुए निजी हार्ट केयर सेंटर जाने के लिए कहा। अनिल ने बताया कि 22 मार्च को वह अपने पिता को लेकर वहां गया तो उसे निजी हार्ट केयर सेंटर संचालक ने तीन लाख रुपये खर्चा बताया। उसके पिता को लगातार 50 दिन तक वहां आने के लिए कहा गया। अनिल कुमार ने बताया कि निजी हार्ट केयर संचालक ने उन्हें बाहर से इलाज करवाने को भी मना कर दिया। उसके पिता को फल के अलावा कुछ भी खाने से मना कर दिया। अनिल ने बताया कि उसके पिता ने ब्याज पर तीन लाख रुपये लेकर हार्ट केयर सेंटर में दिए, लेकिन वहां उपचार करवाने पर भी फर्क नहीं पड़ा। अनिल का आरोप है कि हार्ट केयर सेंटर में कोविड नियमों का पालन नहीं होता देख उसने अपने पिता को वहां ले जाना बंद कर दिया। घर से ही इलाज लेने लगे। आराम नहीं आने पर उसके पिता शहर के एक अस्पताल में गए तो वहां उन्हें दाखिल न करते हुए चिकित्सक ने दवा लिखी। इस बीच 14 मई को उसके पिता का निधन हो गया। पीड़ित अनिल का आरोप है कि हार्ट केयर सेंट का संचालक एक ईईसीपी थैरेपी मशीन का इस्तेमाल करता है और यह मशीन भारत में मान्यता प्राप्त नहीं है। अनिल ने शिकायत में आरोप लगाया कि संचालक के पास इस मशीन को चलाने का प्रशिक्षण भी नहीं है। अनिल ने पुलिस को दी शिकायत में उसके पिता के इलाज पर खर्च हुए तीन लाख रुपये के साथ दो लाख रुपये मुआवजा दिलवाया जाए और संचालक के खिलाफ केस दर्ज किया जाए।

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