हरियाणा उच्च शिक्षा विभाग के नियमों में फंसे प्राइवेट कालेज, दाखिला कमेटी से लगाई गुहार

हरियाणा में सब्जेक्ट कांबिनेशन को लेकर प्राइवेट कालेजों के पदाधिकारियों ने उच्च शिक्षा विभाग की दाखिला कमेटी को पत्र लिखकर अपने सुझाव दिए हैं। जिसमें बताया गया है कि कालेज या विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए जो मेरिट बनाई जाती है।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 04:39 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 04:39 PM (IST)
हरियाणा उच्च शिक्षा विभाग के नियमों में फंसे प्राइवेट कालेज, दाखिला कमेटी से लगाई गुहार
हरियाणा में प्राइवेट कालेजों के पदाधिकारियों ने उच्च शिक्षा विभाग की दाखिला कमेटी को लिखा पत्र।

जागरण संवाददाता, हिसार। उच्च शिक्षा विभाग ने सब्जेक्ट कांबिनेशन के नियमों काे इतना जटिल कर दिया है कि प्राइवेट कालेजों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर प्राइवेट कालेजों के पदाधिकारियों ने उच्च शिक्षा विभाग की दाखिला कमेटी को पत्र लिखकर अपने सुझाव दिए हैं। जिसमें बताया गया है कि कालेज या विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए जो मेरिट बनाई जाती है उसका आधार विशेष फार्मूले द्वारा निकली गई पर्सेंटाइल होती है जिसमें क्वालीफाइंग परीक्षा के प्रतिशत प्राप्तांक व विभन्न प्रकार की वेटेज आदि को मिलाकर तैयार की जाती है।

मेरिट का आधार कभी भी सब्जेक्ट काम्बिनेशन नहीं होता

मेरिट का आधार कभी भी सब्जेक्ट काम्बिनेशन नहीं हो सकता। इतना अवश्य है कि केवल सीटों को भरते समय केवल मात्र गवर्नमेंट कालेज में इसको कुछ आधार बनाया जा सकता है क्योंकि वहां पर  प्रोफेसर के पद सरकार के द्वारा स्वीकृत होते हैं जो कि वर्कलोड पर आधारित होती है। जबकि प्राइवेट कालेजों में ठीक इसके विपरीत होता है। यहां पर सब्जेक्ट काम्बिनेशन कालेज का आंतरिक मामला होता है। यह किसी सब्जेक्ट के अलग अलग कालेज में मांग पर निर्भर करता है। उसी के अनुसार आगे सम्बंधित सब्जेक्टस के लिए और अधिक प्रोफेसरों की नियुक्तियां प्रबंधन के द्वारा की जाती हैं। विश्वविद्यालय कालेज को जो सीट जारी करती है वह सब्जेक्ट-वाइज न होकर स्ट्रीम वाइज दी जाती है। जैसे कि बीए में 500 सीट, बीकाम-300 सीट आदि शामिल हैं। फिर आगे कालेज को यह देखना है कि किस सब्जेक्ट की मांग ज्यादा है तो उसमें उतने ही अधिक सेक्शन बनाये जाते हैं।

इस उदाहरण से समझिए परेशानी

जैसे कि इतिहास अगर ज्यादा प्रचलित है तो उसके लिए कालेज अपने अनुसार 3-4-5 सेक्शन भी बना सकता हैं। उसके हिसाब से ही प्रबंधन आगे प्रोफेसरों की नियुक्तियां कर सकता है। लेकिन इसका मतलब यह कभी नहीं हो सकता कि वे 200 या 300 विद्यार्थी केवल इतिहास के ही हों क्योंकि उसके साथ यूनिवर्सिटीज के नियमानुसार दूसरे अनेकों विषयों के काम्बिनेशनस हो सकते हैं। जैसे इतिहास 300 विद्यार्थियों ने लिया है तो हो सकता है राजनैतिक विज्ञान 400 विद्यार्थियों ने लिया हो। जबकि बीए की कुल सीट तो 500 ही हैं तो कुल 700 कैसे हो गए यह नहीं कभी भी व्यवहारिक नहीं है। जबकि गवर्नमेंट कालेज में ऐसा नहीं किया जा सकता क्योंकि वहां पर पहले से ही प्रोफेसर की पोस्ट स्वीकृत होती हैं।

कालेज पदाधिकारियों ने यह की विनती

इसलिये आप से विनम्र अनुरोध है कि प्राइवेट कालेज के सब्जेक्ट काम्बिनेशन को आधार न बनाकर जो मेरिट के सम्बंधित यूनिवर्सिटीज के नियमानुसार मेरिट बनाने का कष्ट करें व लाखों छात्रों के शिक्षा का अधिकार का हनन होने से बचाया जाए। जब कालेज है सीटें हैं और विद्यार्थी दाखिला लेने के लिए तैयार हैं तो रोका किस लिए जा रहा है। वैसे भी कोई कालेज स्वीकृत सीट से अधिक दाखिला कर ही नहीं सकता तो फिर ये सारी जटिल कवायद क्यों की जा रही है। मेरिट का औचित्य ही तब ही होता है जब विद्यार्थियों की संख्या उपलब्ध सीटों से कई गुना ज्यादा हो।

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