हरियाणा में लॉकडाउन के चलते गिरे सीजनल सब्जियों के भाव, पशुओं के आगे डालने को मजबूर हुए किसान

किसानों का कहना है लगातार दो साल से सब्जी मंडियों में किसानों को भाव नहीं मिलने से तोशाम क्षेत्र में टमाटर व अन्य सब्जियों की खेती करने वाले किसान आज बर्बादी की कगार पर पहुंच चुके हैं और सरकार और प्रशासन को इन धरती पुत्रों की कोई चिंता नहीं है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 05:41 PM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 05:41 PM (IST)
हरियाणा में लॉकडाउन के चलते गिरे सीजनल सब्जियों के भाव, पशुओं के आगे डालने को मजबूर हुए किसान
तोशाम क्षेत्र में टमाटर की फसल के ढेर को दिखाता किसान, जो लॉकडाउन के कारण बिक नहीं रहे हैं

भिवानी/तोशाम, जेएनएन। कोरोना महामारी के दौरान हुए लाॅकडाउन से सब्जी उत्पादन करने वाले किसानों की भी कमर तोड़ दी है। सब्जी मंडिय़ों में टमाटर के रेट में भारी गिरावट आ गई है। जिसके कारण टमाटर व शिमला मिर्च की फसल भी मांग न होने के कारण पशुओं के सामने व खेत में डालने पर मजबूर होना पड़ रहा है। लगातार दो साल से सब्जी मंडियों में किसानों को भाव नहीं मिलने से तोशाम क्षेत्र में टमाटर व अन्य सब्जियों की खेती करने वाले किसान आज बर्बादी की कगार पर पहुंच चुके हैं और सरकार और प्रशासन को इन धरती पुत्रों की कोई चिंता नहीं है।

तोशाम क्षेत्र में लगभग 400 एकड़ में टमाटर की खेती कर रखी है। सब्जी किसानों के उत्पादन की बिक्री न होने से उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। इस संकट की घड़ी में उन्हें सहारा देने वाला कोई नहीं है। पूरे देश और विश्व का पेट भरने वाला किसान आज तिल तिल कर मरने पर विवश है। कोरोना महामारी की मार का असर अब सीधे किसानों पर भी पड़ रहा है। टमाटर के दामों में गिरावट से किसान काफी चिंतित नजर आ रहे हैं। दाम गिरने से किसानों का बीज, खाद, मजदूरी पर किया खर्चा भी पूरा नहीं हो रहा है। 

मुनाफा तो दूर की बात है टमाटर उत्पादकों को प्रति कैरेट सौ रूपये तक लागत में से नुकसान उठाना पड़ रहा है। टमाटर उत्पादक किसान रमेश पंघाल, राजकुमार का कहना है की टमाटर की अच्छी पैदावार हुई है। लेकिन लगातार दूसरे वर्ष कोरोना की सीधी मार किसान पर पड़ गई है। कोरोना के कारण पिछले साल लाखों का नुकसान हुआ था। इस साल भी भारी नुकसान हो गया है। किसान कर्ज में डूब गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश का किसान लगातार इस भाव की मार को कैसे सह पाएंगे।

आज प्रदेश के सब्जी उत्पादक किसान टमाटर,शिमला मिर्च या अन्य सब्जियों का उनकी फसल लागत तो दूर की बात है,तुङाई, छंटाई, मंडी खर्चा और किराया भी नहीं मिल पा रहा है। आज सब्जी उत्पादक किसानों को अपनी फसलों का किराया और मंडी खर्चा भी पूरा ना होने के कारण किसानों के टमाटर और सब्जियां खेतों में सड़ रही हैं।

उन्होंने बताया कि प्रति एकड़ टमाटर की फसल पर सिर्फ पकने तक 85 से 90 हजार रुपए तक का खर्च आता है। शिमला मिर्च का इससे भी ज्यादा खर्च आता है। किसान ने बताया कि तुड़ाई, छंटाई, किराया आदि करके प्रति एकड़ पर 50 हजार रुपए का खर्च हो जाता है। इस तरह प्रति एकड़ डेढ़ लाख तक का खर्चा है। एक एकड़ में लगभग 5 सौ कैरेट भर जाती हैं और एक कैरेट 80 से 100 रूपए की ही बिक रही है।

जबकि प्रति कैरेट पर पकाने से मंडी भेजने तक 250 से 300 रूपए का खर्चा हो रहा है। किसान को लागत भी नहीं मिल रही है। रमेश पंघाल ने बताया कि जमीन उसे लगभग 20 हजार रूपए तक प्रति एकड़ ठेके पर लेनी पड़ती है, जिसके लिए बहुत ज्यादा पूंजी की आवश्यकता होती है। आज किसान के लिए खेती-बाड़ी में उत्पादन से लागत ज्यादा आ रही है जिसके कारण उसे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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