किसान आंदोलन वापसी के लिए अंदर ही अंदर तैयारी, पर हरियाणा के दबाव में बदल रहे पंजाब के नेताओं के सुर

आंदोलनकारियों की सबसे बड़ी और प्राथमिक मांग पूरी होने के बाद घर वापसी को लेकर अंदर ही अंदर तैयारियां तो दिख रही हैं लेकिन पंजाब के नेताओं पर हरियाणा का दबाव दिख रहा है इसलिए उनके सुर बदले हुए हैं। पहले तो कानून वापसी..कानूनी वापसी की मांग उठ रही थी

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 03:36 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 03:36 PM (IST)
किसान आंदोलन वापसी के लिए अंदर ही अंदर तैयारी, पर हरियाणा के दबाव में बदल रहे पंजाब के नेताओं के सुर
एसकेएम की आज बैठक में आंदोलन खत्‍म करने की अंतिम फैसले की संभावना कम

जागरण संवादाता, बहादुरगढ़: कृषि कानूनाें को निरस्त करने की पंजाब के आंदोलनकारियों की सबसे बड़ी और प्राथमिक मांग पूरी होने के बाद घर वापसी को लेकर अंदर ही अंदर तैयारियां तो दिख रही हैं, लेकिन अब पंजाब के नेताओं पर हरियाणा का दबाव दिख रहा है, इसलिए उनके सुर बदले हुए हैं। पहले तो कानून वापसी...कानूनी वापसी की मांग उठ रही थी और कानून वापसी के साथ ही घर वापसी का शोर था, मगर अब एसएसपी...एमएसपी का राग अलापा जा रहा है। हरियाणा के नेता तो पहले से ही अन्य मांगों को लेकर आंदोलन जारी रखने का दबाव बना रहे थे, जबकि पंजाब के नेता घर वापसी की तैयारी में जुटे थे।

अब उनके ऊपर आंदोलन में साथ निभाने का दबाव है। इसीलिए वे भी आंदोलन को तब तक जारी रखने की बात कह रहे हैं, जब तक अन्य मांग पूरी नहीं हो जाती। ऐसे में शनिवार को सिंघु बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की जो बैठक होनी है उसमें आंदोलन को खत्म करने की घोषणा होने की संभावना अभी कम है। आशंका जताई जा रही है कि अंतिम फैसला लेने से पहले अन्य मांगों को लेकर सरकार के कदम का कुछ दिन और इंतजार करने की बात इस बैठक में कही जा सकती है और फिर से कुछ दिन बाद बैठक तय की जा सकती है।

जिस तरह कानून सरकार ने निरस्त कर दिए, उससे अब आंदोलनकारियाें का मनोबल बढ़ गया है। कहां तो आंदोलन में रोजाना भीड़ कम हो रही थी। मायूसी और निराशा बढ़ती जा रही थी। आंदोलनकारियों को अपनी मांग पूरी होने की आस कम थी, मगर कानून रद होने के बाद आंदोलनकारियों को अन्य मांगों पर भी सरकार के झुकने की राह नजर आ रही है।

इधर, टीकरी बार्डर पर सभा के लिए जो शेड बनाया गया है, वहां पर लगे कूलर पैक कर दिए गए हैं। शेड से पंखे भी उतार दिए गए। यह अंदरुनी तैयारी ही है। हालांकि अभी तंबुओं को छेड़ा नहीं जा रहा। अब सभी नेता मंच से अपना-अपना राग अलापते हैं, लेकिन आखिर में एक ही बात कहते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में जो फैसला होगा, वह मान्य होगा।

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