हिसार की बेटी ने समझा दिव्यांगों का दर्द, कर दिया पैरों पर खड़ा, इनको दुनिया ने सराहा

हिसार की प्रवीना हरिता गांव की सबसे अधिक पढ़ी लिखी बेटी हैं। पांच राज्यों के दिव्यांगों को मास्क सैनिटाइजर और गिफ्ट पैक का काम सिखा रही हैं। डा. प्रवीना से ट्रेनिंग पाकर दिव्यांग बच्चे अपने और अपनों के लिए कमाई भी कर रहे हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Sat, 06 Mar 2021 04:47 PM (IST) Updated:Sat, 06 Mar 2021 04:47 PM (IST)
हिसार की बेटी ने समझा दिव्यांगों का दर्द, कर दिया पैरों पर खड़ा, इनको दुनिया ने सराहा
32 वर्ष की उम्र में ही हिसार की डा. प्रवीना ने कई पुरस्कार हासिल किए हैं।

हिसार [सुभाष चंद्र]। हिसार के गांव हरिता की प्रवीना ने रेडक्रॉस सोसाइटी के एक स्कूल में मनोविज्ञान में इंटर्नशिप में उसके ही गांव के तीन दिव्यांग बच्चों पर काम किया तो दिव्यांगों के दर्द को समझा। उसी समय मन में ठान लिया कि जितना हो सकेगा दिव्यांगों के लिए काम करेगी और उन्हें सशक्त जीवन जीने में मदद करेगी। इसी लक्ष्य को लेकर डा. प्रवीना अब हिसार ही नहीं उतर प्रदेश, जयपुर, दिल्ली, हैदराबाद, फतेहाबाद के दिव्यांग बच्चों को सशक्त जीवन जीना सिखा रही है और वे इसमें कामयाब भी रही हैं।

डा. प्रवीना से ट्रेनिंग पाकर दिव्यांग बच्चे अपने और अपनों के लिए कमाई भी कर रहे हैं। सिर्फ 32 वर्ष की उम्र में डा. प्रवीना ने दिव्यांगता के क्षेत्र में काम करते हुए कई पुरस्कार हासिल किए हैं। डा. प्रवीना फिलहाल कोयम्बटूर में रामाकृष्णा यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही हैं। साथ ही दिव्यांगता के क्षेत्र में काम करने के लिए वहां मनोविकास कॉलेज ऑफ स्पेशल एजुकेशन में काम कर रही हैं। डा. प्रवीना ने दिव्यांगता के क्षेत्र में कई राज्यों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं। उन्हें हरिता गांव की सबसे अधिक पढ़ी लिखी बेटी होने का गौरव भी हासिल है।
डॉ. अब्दुल कलाम भी कर चुके सम्मानित
डा. प्रवीना के दिव्यांगता के क्षेत्र में किए गए कार्याें की बदौलत उन्हें ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्ड मिला है। दिव्यांगता के क्षेत्र में काम कर रही झालावाड़ राजस्थान की एक ने 28 फरवरी को आरएस क्लब जयपुर में डा. प्रवीना को यह अवार्ड दिया। यहीं नहीं पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद से फरीदाबाद में विजन इंस्टीटयूट ऑफ अप्लाइड साइकोलॉजी में बीएड में टॉपर रहने पर सम्मानित हो चुकी हैं। 
हिसार में दिव्यांगों को साइन लैंग्वेज सिखाई

डा. प्रवीना ने हिसार में दिव्यांगों को साइन लैंग्वेज सिखाई है। डा. प्रवीना ने बताया कि उन्हें कुछ बच्चे हिसार में चर्च में क्रिसमस डे पर मिले थे। उन बच्चों को साइन लैंग्वेज सिखाई। 

दिव्यांगों को स्पेशल ओलंपिक के लिए तैयार किया
डा. प्रवीना ने मध्यप्रदेश के अभिषेक, दीपक और राहुल को स्पेशल ओलंपिक गेम में भाग लेने के लिए तैयार किया। इन दिव्यांग बच्चों को सिखाया कि कैसे खेलना है, कैसे अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है। ये सभी बच्चे माइल्ड कैटेगरी यानि कम समझ वाले थे। एक टास्क पर एक बच्चे पर तीन महीने तक मेहनत की। 
उज्जैन में दिव्यांग बच्चों को कमाने लायक बनाया
डा. प्रवीना ने उज्जैन में लॉकडाउन के दौरान करीब 20 बच्चों को कैरी बैग, सैनिटाइजर, मास्क और गिफ्ट पैकिंग का काम सिखाया है। ये बच्चे अब अपनी आजीविका के लिए काम कर रहे हैं। डा. प्रवीना ने बताया कि उन्होंने हिसार के गवर्नमेंट कॉलेज से मनोविज्ञान में 2009 में स्नातक किया। उसके बाद पिता की प्रेरणा से मनोविज्ञान में पीजी किया। फिजियोथैरेपिस्ट, एक्युपेशनल थैरेपिस्ट, आंगनबाड़ी वर्कर, आशा वर्कर भी उनकी मदद करते हैं। आशा वर्कर वार्ड वाइज दिव्यांग बच्चों के बारे में उन्हें सूचित कर देती हैं। इसके बाद वे बच्चे के घर पहुंचकर उनके पेरेंट्स को ऐसे बच्चों के लिए आवास के प्रबंध और सरकारी स्कीम के लाभ के बारे में जागरूक करती हैं।
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