कहीं गरीबी का दंश तो कहीं बोझ समझी जा रहीं बेटियां, इसलिए बनाई जा रहीं बालिका वधु
रोहतक में महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी ने तीन दिन में तीन नाबालिगों की शादी रुकवाई। दो लड़कियों उनके माता-पिता की काउंसिलिंग कराई गई। उनके अजीबो-गरीब तर्क थे। एक परिवार बोला बेटी बालिग हो गई तो अपनी मर्जी से शादी कर सकती है। बदनामी होगी।
रोहतक [विनीत तोमर]। मैडम हम गरीबों को बालिग-नाबालिग का नहीं पता। बस इतना पता है कि मजदूरी कर ज्यों-त्यों दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त हो पाता है। ऊपर से बेटियों की शादी की जिम्मेदारी भी रहती है। फिलहाल ऐसा माहौल नहीं है कि बेटियों को ज्यादा दिनों तक अपने घर रख सके। इसलिए जितना जल्दी बेटी की शादी हो जाए वहीं ठीक है।
यह कहना था उन दो बेटियों के माता-पिता का जिनकी दो दिन पहले महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी की टीम ने नाबालिग होने की वजह से शादी रूकवाई थी। जिसके बाद सोमवार को इन बेटियों और उनके माता-पिता की काउंसिलिंग कर इतनी जल्दी शादी करने की वजह बताई गई।
यह था मामला
दरअसल, महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी करमिंद्र कौर की टीम ने पिछले तीन दिनों में अलग-अलग स्थानों पर तीन नाबालिग बेटियों की शादी रुकवाई थी। उस समय उनके माता-पिता और दूल्हा पक्ष को समझाकर बरात तो वापस भेज दी गई थी। लेकिन असल में नाबालिग बेटियों की शादी की क्या वजह रही इस बारे में जानने के लिए दो बेटियों और उनके माता-पिता की बाल कल्याण समिति से भी काउंसिलिंग कराई गई।
केस : 1
सदर थाना क्षेत्र के एक गांव में जिस लड़की की शादी कराई रही थी उसके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। माता-पिता ने बताया कि पांच भाई-बहनों में यह सबसे बड़ी है। अच्छा रिश्ता मिला इसलिए शादी करना चाहते थे। बेटी की शादी जितनी जल्दी हो जाए तो अच्छा है। वह भी अपने घर जाकर परिवार को संभाले। हालांकि काउंसिलिंग टीम के समझाने के बाद माता-पिता ने आश्वासन दिया कि वह बालिग होने पर ही शादी करेंगे।
केस : 2
महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी की टीम ने एक अन्य नाबालिग बेटी की भी शादी रूकवाई थी। काउंसिलिंग के दौरान उसके माता-पिता ने जो बताया वह सुनकर हैरानी होती है। उन्होंने बताया कि बेटियाें की शादी जल्दी हो जानी चाहिए। अगर वह बालिग हो गई तो अपनी मर्जी से शादी कर सकती है। जिससे समाज में उनकी बदनामी होगी। वह उनकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वह बाद में कानूनी लफड़े में फंसे। इसलिए वह बेटी की शादी करना चाहते थे।
गरीबी सबसे बड़ी वजह
रोहतक की महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी करमिंद्र कौर ने बताया कि दो लड़कियों और उनके माता-पिता की काउंसिलिंग कराई गई। एक लड़की की पहले ही काउंसिलिंग कराई जा चुकी है। प्राथमिक तौर पर यही सामने आया कि अधिकतर गरीब तबके के माता-पिता अपनी बेटियों को बोझ समझ रहे हैं, जो सही नहीं है। इसलिए जल्दी से जल्दी उनकी शादी कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते हैं। लेकिन नाबालिगों की शादी करना गलत है।
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