बर्ड फ्लू से पोल्ट्री उद्योग को लाखों का फटका

सुनील मान नारनौंद दिसंबर महीने में काफी प्रवासी पक्षी आ जाते हैं और इनमें से कुछ पक्षी

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Jan 2021 06:48 AM (IST) Updated:Sat, 09 Jan 2021 06:48 AM (IST)
बर्ड फ्लू से पोल्ट्री उद्योग को लाखों का फटका
बर्ड फ्लू से पोल्ट्री उद्योग को लाखों का फटका

सुनील मान, नारनौंद : दिसंबर महीने में काफी प्रवासी पक्षी आ जाते हैं और इनमें से कुछ पक्षी यहीं पर रह जाते हैं। ज्यादा सर्दी होने से कुछ की मौत हो जाती है। उन्हीं में से बर्ड फ्लू के लक्षण अन्य पक्षियों में आ जाते हैं। प्रदेश में बर्ड फ्लू के ज्यादा मामले नहीं आए हैं। उसके बावजूद पोल्ट्री उद्योग को प्रत्येक दिन लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। हिसार जिले में सैकड़ों मुर्गी फार्म व हैचरी हैं जो कोरोना की मार से अभी तक उबरे नहीं थे। अब दोबारा बर्ड फ्लू की चपेट में आने से उनके कारोबार चौपट हो गए हैं।

हिसार जिले में करीब 500 मुर्गी फार्म, 10 ब्रीडिग फार्म हैचरी व 15 लेयर फार्म है। इन पर प्रत्येक दिन लाखों रुपए का कारोबार होता है। 10 दिन पहले तक कारोबारी मुनाफे कमा रहे थे। अंडे का रेट छह रुपये था। बर्ड फ्लू की आशंका से यह रेट अब गिर कर चार रुपये पर आ गया है। खरीददार भी काफी कम है। हैचरी पर चुजा पहले 35 से 40 रुपये में मिलता था। उसका रेट अब 15 रुपये पर आ गया है। वहीं मुर्गा 100 रुपये प्रति किलो मिलता था। अब 40 से 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। चूजों को तैयार करने में 28 रुपये खर्च आता है। चिकन वाले मुर्गो को भी तैयार करने में 75 रुपये प्रति किलो खर्च आता है। ऐसे में पोल्ट्री उद्योग को हिसार जिले में हर रोज करीब 40 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है।

नार्थ इंडिया बॉयलर ब्रीडिग एसोसिएशन के प्रधान गुरविदर बिसला ने बताया कि अफवाहों पर ध्यान ना दें और मीडिया भी पोल्ट्री उद्योग के प्रति जिम्मेदारी से खबर देकर अपना दायित्व निभाएं। ताकि पोल्ट्री फार्म नुकसान से बच सकें। बर्ड फ्लू से किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। चिकन व अंडा खाने से बर्ड फ्लू नहीं होता। उसे अच्छी तरह से पका कर खाएं।

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