राजस्थान से आई धूलभरी हवाओं से हरियाणा में खतरे के निशान पर पहुंचा प्रदूषण, गर्मी भी झुलसा रही

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ की मानें तो 13 जून के बाद प्रदेश में बारिश होने पर यह प्रदूषण काफी हद तक हट जाएगा। क्योंकि इसमें अभी धूल के कण अधिक हैं।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 12:49 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 12:49 PM (IST)
राजस्थान से आई धूलभरी हवाओं से हरियाणा में खतरे के निशान पर पहुंचा प्रदूषण, गर्मी भी झुलसा रही
हरियाणा में गर्मी और प्रदूषण दोनों ही चीजें परेशानी का सबब बनी हुई है

हिसार, जेएनएन। राजस्थान से आ रही गर्म हवाएं हरियाणा में तापमान बढ़ाने का काम तो कर ही रही हैं साथ ही अपने साथ धूल भी लेकर आ रही हैं। पिछले दो दिनों से आ रही धूल का परिणाम यह हुआ है कि हिसार की हवा में प्रदूषण खतरे के निशान तक पहुंच गया है। एक्यूआइ पर गौर करें तो फतेहाबाद में एक्यूआइ 461, जींद में 424 तो पानीपत में 347 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर एक्यूआई पहुंच गया। यह वायु गुणवत्ता की सबसे खराब स्थिति है। इस स्थिति में लोगों को घर से बाहर भी नहीं निकलना चाहिए।

खासकर ऐसे लोगों को जिन्हें कोई बीमारी है। बुर्जुग और बच्चों को तो इससे बचाकर ही घर में रखना चाहिए। इसके साथ ही हिसार में पीएम 2.5 322 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर था। जबकि एक दिन दो दिन पहले पीएम 2.5, 125 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर के आसपास बना हुआ था। जबकि गुरुग्राम में स्थिति ठीक थी। मगर बहादुरगढ़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानि एक्यूआइ 302 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर पर बनी हुई है। यह काफी खराब स्थिति है।

क्या है होता है कण प्रदूषण

पीएम को पर्टिकुलेट मैटर या कण प्रदूषण भी कहा जाता है, जो कि वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है। हवा में मौजूद कण इतने छोटे होते हैं कि आप नग्न आंखों से भी नहीं देख सकते। कुछ कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके पता लगाना पड़ता है। कण प्रदूषण में पीएम 2.5 और पीएम 10 शामिल हैं जो बहुत खतरनाक होते हैं। पीएम 2.5, 60 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। हवा में पीएम 10 का स्तर 100 से कम ही रहना चाहिए। पीएम 10 और 2.5 धूल, निर्माण की जगह पर धूल, कूड़ा व पुआल जलाने से ज्यादा बढ़ता है। जब इन कणों का स्तर वायु में बढ़ जाता है तो सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन आदि होने लगती हैं। पीएम 2.5 और पीएम 10 के कण सांस लेते समय आपके फेफड़ों में चले जाते हैं जिससे खांसी और अस्थमा के दौरे पढ़ सकते हैं। उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक और भी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बन जाता है, इसके परिणामस्वरूप समय से पहले मृत्यु भी हो सकती है।

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एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) का मानक

0-50- अच्छा

51-100- संतोषजनक

101-200- सामान्य

201- 300- खराब

301- 400- बहुत खराब

401- 500- गंभीर

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कब कम होगा प्रदूषण

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ की मानें तो 13 जून के बाद प्रदेश में बारिश होने पर यह प्रदूषण काफी हद तक हट जाएगा। क्योंकि इसमें अभी धूल के कण अधिक हैं।

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