पुलिस के खिलाफ लोगों का आक्रोश, कहा- ये ठीक से पेश नहीं आते जांच तो दूर की बात

जनपरिवाद समिति की बैठक में 14 मामलों पर हुई चर्चा

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 07:37 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 07:37 PM (IST)
पुलिस के खिलाफ लोगों का आक्रोश, कहा- ये ठीक से पेश नहीं आते जांच तो दूर की बात
पुलिस के खिलाफ लोगों का आक्रोश, कहा- ये ठीक से पेश नहीं आते जांच तो दूर की बात

-जनपरिवाद समिति की बैठक में 14 मामलों पर हुई चर्चा, इनमें व्यक्तिगत मामले अधिक

जागरण संवाददाता, हिसार : कोविड काल में जनपरिवाद समिति की बैठक आयोजित नहीं हो पाई। शुक्रवार को एक वर्ष बाद लघु सचिवालय सभागार में समिति की बैठक आयोजित हुई। अध्यक्षता बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने की। बैठक में छह पुरानी और आठ नई शिकायतों पर सुनवाई की गई। जिसमें सबसे अधिक हांसी पुलिस से लोग खफा दिखाई दिए। किसी ने कहा पुलिस अधिकारियों ने जांच सही से नहीं की तो किसी ने कहा कि यह ठीक से पेश तक नहीं आते हैं तो जांच की क्या अपेक्षा की जाए। सभी मामलों को सुनने के बाद बिजली मंत्री ने हिदायत कि पुलिस आचरण में बदलाव लाए। सिर्फ पुलिस विभाग ही नहीं, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सड़कों को लेकर भी अधिकारियों के खिलाफ लोगों में आक्रोश दिखा। जब बिजली मंत्री ने आमने सामने जवाब लिए तो हकीकत सामने आ गई। इस दौरान बरवाला विधायक जोगीराम सिहाग, मेयर गौतम सरदाना, उपायुक्त डा प्रियंका सोनी, नगर निगम आयुक्त अशोक कुमार गर्ग, एसपी हिसार बलवान सिंह राणा, हांसी एसपी उपस्थित रहे।

केस 1

हांसी पुलिस की जांच पर भरोसा ही नहीं

हांसी के रूप नगर कालोनी निवासी रेखा ने बताया कि उनके पति स्व. शिवम हांडा पार्टनरशिप में फैक्ट्री चलाते थे। एक दिन उनका शव फैक्ट्री में लटका मिला। पुलिस ने इस मामले में आत्महत्या की कार्यवाही की। जब परिवार को शिवम की हत्या का शक हुआ तो उन्होंने पुलिस को नामजद शिकायत की। इस मामले में पुलिस ने तकनीक बिदुओं पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। मृतक शिवम के भाई ने बिजली मंत्री से कहा कि बैठक के पहले कुछ पुलिस कर्मी उसके पास आए तो हमसे सादे कागज पर हस्ताक्षर का दबाव डालने लगे। यही नहीं बल्कि जांच के दौरान एक डीएसपी ने तो गलत व्यवहार भी किया। बिजली मंत्री ने जांच के लिए पूछा तो मृतक के भाई ने कहा कि मुझे हांसी पुलिस पर कोई भरोसा नहीं बाकी आप किसी से भी जांच करा लें। इस पर जांच बैठा दी गई है।

केस 2

तीन साल से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नहीं बंद करा सका अवैध फैक्ट्री

अनाज मंडी निवासी धर्म सिंह ने बताया कि उनके मकान के पास रिहायशी क्षेत्र में पांच फैक्ट्रियां हैं। जिनके शोर के कारण वह सो नहीं पाते हैं। जिला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जांच की तो आटा चक्की और तीन अन्य फैक्ट्रियां पाईं। इन तीन फैक्ट्रियों में प्रदूषण से जुड़े मानकों का पालन ही नहीं किया जा रहा था। इनको नोटिस दिया। नोटिस को भी काफी लंबा समय बीत चुका है इसके बावजूद विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस बात पर डीसी डा. प्रियंका सोनी ने विभागीय कार्यशैली पर आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि अभी तक तो कार्रवाई हो जानी चाहिए थी।

केस 3

2017 में बनी सड़क का 2021 तक ग्रामीण लड़ रहे केस

हांसी से गांव उमरा तक 2017 में करीब 16 करोड़ रुपये से सड़क मार्ग बना था। सड़क बनने के साथ उखड़ने लगी। इस पर गहरे गड्ढे हो गए। जिसमें अभी तक आठ से 10 लोग जान गंवा चुके हैं। ग्रामीणों ने शिकायत की तो भवन एवं सड़क विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। अब जनपरिवाद समिति की बैठक में यह मामला आ गया तो एसई तीन दिन पहले ही मौके पर मुआयना करके आए और पेचवर्क कराने के आदेश भी दे दिए। तर्क दिया कि खानक की तरफ से आने वाले ओवरलोड ट्रक और मानसूनी बारिश के कारण सड़क नहीं चली। इस पर आपत्ति जताते हुए समिति के सदस्यों ने हकीकत बताई कि जब से सड़क बनी है तब से इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। इस मामले में जांच के निर्देश दिए गए हैं।

केस 4

किसान से प्रीमियम काटा, जब मुआवजा देने था तो उलझाया

बुगाना निवासी ओमप्रकाश ने बाडोपट्टी में सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक में फसल बीमा करवाया था। बैंक ने समय पर प्रीमियम काट लिया। जब नुकसान का मुआवजा देने की बात आई तो बैंक ने कहा कि पोर्टल पर भगाना चढ़ा हुआ है। जबकि भगाना यहां आता ही नहीं है। ऐसे में बिजली मंत्री के सामने बैंक अधिकारियों ने बताया कि यह गलती भारत सरकार के पोर्टल पर थी। वहां डाटा एंट्री करते समय गलती हुई। इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। प्रीमियम इंश्योरेंस कंपनी को चला गया। इस मामले पर संज्ञान लेते हुए बिजली मंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इंश्योरेंस कंपनी और बैंक दोनों आपस में बैठकर समाधान करें और ब्याज सहित मुआवजे की धनराशि किसान को दें।

केस 5

कोविड काल में नौकरी भी गई और प्रमाण पत्र भी स्कूल ने नहीं दिए

सेक्टर 16-17 स्थित स्कूल की पूर्व अध्यापिका अल्का डावर ने शिकायत कर बताया कि स्कूल में उन्होंने 10 वर्षों तक कार्य किया। कोविड काल में उन्हें व चार अन्य अध्यापिकाओं को बिना नोटिस प्रबंधन ने निकाल दिया। अब बकाया वेतन, वेतन प्रमाणपत्र, अनुभव प्रमाण पत्र, सिक्योरिटी धनरशि आदि नहीं दे रहे हैं। इस मामले पर जिला शिक्षाधिकारी ने बताया कि समिति में मामला आने के बाद स्कूल ने वेतन प्रमाण पत्र दे दिया है। बिजली मंत्री ने इस मामले पर संज्ञान लेने के जिला शिक्षाधिकारी को निर्देश दिए हैं।

विधायक को डर: कहीं पंचायत का पैसा न खा जाए कोई

सुनवाई के बाद बरवाला विधायक जोगीराम सिहाग ने कहा कि उन्होंने 12 नवंबर को डीसी को पत्र लिखकर पूछा था कि पंचायतों में अभी कितना धन शेष बचा है। उसका किस प्रकार से प्रबंधन किया जा रहा है। उन्हें सूचना मिली थी कि धनराशि आते ही खर्च कर दी जा रही है। इस पर निगरानी रखने की जरूरत है मगर डीसी की तरफ से पत्र का कोई जवाब नहीं आया। उन्होंने राजली गांव में नाले की जांच का मामला भी उठाया। जिसमें सचिव को सस्पेंड भी किया और वह तीन दिन बाद ही दोबारा ज्वानिग लेकर वापस आ गया। ऐसे में दोनो मामलों को देखने के लिए डीसी ने आश्वासन दिया है।

बैठक में व्यक्तिगत मामलों की भरमार

जनपरिवाद समिति की बैठक में व्यक्तिगत मामले अधिक शामिल किए। इसको लेकर आगे से ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं। बिजली मंत्री ने डीसी को हिदायत दी है कि वह ऐसे मामले चुने जो जनसरोकार से जुड़े हैं। इसमें दूसरे जिलों का उदाहरण भी दिया गया। साथ ही सेंट सोफिया के खिलाफ मनोज कड़वासरा द्वारा की गई शिकायत के मामले में भी दोनों पक्षों ने अपनी बात रखी। अब इस मामले में साक्ष्य मांगे गए हैं।

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