पंचम नवरात्र : भक्तों ने मां स्कंदमाता की पूर्जा-अर्चना कर लगाया भोग, मन्नते भी मांगी

कोरोना महामारी के बावजूद भक्तों का जोश कम नहीं हो रहा और लोग मंदिरों में पहुंचकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं। शनिवार को मंदिरों में पंचम नवरात्र के मौके पर मां स्कंदमाता की पूजा की गई।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 05:20 AM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 05:20 AM (IST)
पंचम नवरात्र : भक्तों ने मां स्कंदमाता की पूर्जा-अर्चना कर लगाया भोग, मन्नते भी मांगी
पंचम नवरात्र : भक्तों ने मां स्कंदमाता की पूर्जा-अर्चना कर लगाया भोग, मन्नते भी मांगी

जागरण संवाददाता, हिसार:

कोरोना महामारी के बावजूद भक्तों का जोश कम नहीं हो रहा और लोग मंदिरों में पहुंचकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं। शनिवार को मंदिरों में पंचम नवरात्र के मौके पर मां स्कंदमाता की पूजा की गई। इस दौरान मंदिरों में भीड़ रही लेकिन मंदिर संचालकों ने पूरी अहतियात के साथ पूजा-अर्चना करवाई और प्रसाद को भोग लगाया।

शहर के देवी भवन मंदिर में मुख्य आयोजन हुआ। इसके अलावा पुरानी सब्जी मंडी स्थित हनुमान मंदिर, नागोरी गेट स्थित सनातन धर्म मंदिर, पड़ाव चौक मंदिर में भी पूजा-अर्चना हुई। भीड़ होने के बावजूद सोशल डिस्टेंसिग के साथ मंदिरों में भक्तों को एंट्री दी गई। इतना ही नहीं जिन्होंने मास्क नहीं लगा रखे थे, उन्हें मास्क भी वितरित किए गए। इतना ही नहीं मंदिर में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु के हाथ सैनिटाइज करवाए गए। मंदिरों में भजन-कीर्तन भी हुए। सुबह पूजा और आरती हुई। इसके बाद प्रसाद को भोग लगाया गया। केले का लगाया भोग, विधि-विधान से हुई पूजा

नवरात्र में हर दिन प्रत्येक माता के लिए अलग-अलग पूजा विधि है और अलग भोग लगाया जाता है। नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है और माता को केले का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि स्कंदमाता की आराधना से भक्त अपने व्यवहारिक ज्ञान को कर्म में परिवर्तित करते हैं। स्कंदमाता का विग्रह चार भुजाओं वाला है। ये अपनी गोद में भगवान स्कंद को बिठाए रखती है। वे अपनी दो भुजाओं से छह मुखों वाले बाल स्वरूप स्कंद को संभाले रहती है। इनका वर्ण पूरी तरह से निर्मल कांति वाला सफेद है।

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