Jhajjar News : पत्र में छलका पद्मश्री एवं द्रोणाचार्य अवार्डी डा. सुनील डबास का दर्द, तिरपाल लगाकर किया पिता अंतिम संस्कार

झज्जर में पद्म श्री एवं द्रोणाचार्य अवार्डी डा. सुनील डबास के पिता का देहांत हो गया था। गांव के शमशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए एक भी शैड नहीं है। जिसके अंतिम संस्कार करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 07:11 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 07:11 PM (IST)
Jhajjar News : पत्र में छलका पद्मश्री एवं द्रोणाचार्य अवार्डी डा. सुनील डबास का दर्द, तिरपाल लगाकर किया पिता अंतिम संस्कार
पद्म श्री एवं द्रोणाचार्य अवार्डी डा. सुनील डबास के पिता का देहांत।

झज्जर, जागरण संवाददाता। पद्म श्री एवं द्रोणाचार्य अवार्डी डा. सुनील डबास के पिता का देहांत हो गया था। एक दिन बाद 11 सितंबर को मौहम्मद पुर माजरा गांव में उनका गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार हुआ। संस्कार के दौरान शमशान घाट पर बरसात की वजह से बनी परेशानी का दर्द उनके एक पत्र के साथ सामने आया है।

पत्र में बयां किया दर्द

पत्र में उन्होंने उल्लेख किया कि गांव के शमशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए एक भी शैड नहीं है। जिसकी कमी उस दौरान महसूस हुई जब काफी समय तक बरसात के नहीं रूकने की वजह से उन्हें तिरपाल आदि लगाकर क्रिया को पूरा करना पड़ा। इस दौरान गांव के युवा ट्रैक्टर पर खड़े होकर तिरपाल को पकड़े रहे। भरी बरसात में किसी तरह से यह समय व्यतीत हुआ। ऐसे में उन्होंने उपायुक्त को लिखे अपने पत्र में डी प्लान से उनके गांव सहित ऐसे सभी गांवों में शैड का निर्माण करवाए जाने की मांग उठाई हैं। ताकि, किसी अन्य के साथ ऐसा नहीं हो।

शेड ना होने के कारण किया तिरपाल लगाकर अंतिम संस्कार

पहले किया बरसात के रुकने का इंतजार, नहीं रुकी तो की व्यवस्था : पत्र के मुताबिक बारिश में भीगते समय सभी कुछ देर बारिश रुकने का इंतजार करते रहे। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति थी, लेकिन हम बेबस थे और इंतजार करते रहे। लेकिन ज्यादा समय तक इंतजार नहीं कर सके। ग्रामीणों ने किसी तरह व्यवस्था बनाते हुए बांस के डंडों से तिरपाल उठाये, ट्रैक्टर ट्राली पर खड़े रहे और लोग अंतिम संस्कार तक इस व्यवस्था को संभाले रहे। यह इतना पीड़ा दायक क्षण रहा। जो कि सभी को कचोट रहा है। ग्रामीणों के मुताबिक उनके पास बारिश में भी खुले में अंतिम संस्कार करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। कई बार शमशान भूमि पर कम से कम एक शेड बनाने का अनुरोध संबंधित अधिकारियों को भेजा गया है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

ग्रामीणों को हो रही है परेशानी

ऐसे में उन्होंने गांव के शमशान घाट पर कम से कम एक शेड का निर्माण, योजना डी या किसी अन्य योजना में करवाए जाने की मांग उठाई हैं। ताकि अंतिम संस्कार के दौरान बनने वाली यह अप्रिय दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति किसी अन्य के साथ नहीं बनें। पानी में से होकर शव के साथ गुजरना पड़ा हैं ग्रामीणों को : दरअसल, बरसात के दिनों में शैड नहीं होने की व्यवस्था तो कई गांवों में नहीं हैं। पहले भी इस तरह की परेशानी से ग्रामीणों को दो चार होना पड़ा है। तत्कालीन समय में भी उन्होंने इसी तरह से क्रिया को पूरा करने का प्रयास किया।

जलभराव के होती है समस्या

जबकि, कुछ गांव में रास्तों की दिक्कत भी ऐसी हैं कि जहां पर शमशान तक पहुंचने का ही रास्ता ठीक नहीं हैं। वहां पर ग्रामीणों को काफी दूर तक जलजमाव वाले क्षेत्र से होकर शमशान घाट तक पहुंचना पड़ता हैं। कुल मिलाकर, इस तरह की सामाजिक समस्या के समाधान के लिए अन्य गांव के ग्रामीण भी समय-समय पर मांग उठा चुके हैं। लेकिन, अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं हो पाया है।

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