Fatehabad News: गांवों में धान की पराली चली तो ग्राम सचिव पर होगी कार्रवाई, सरपंच न होने के कारण निभानी होगी दोहरी भूमिका

फतेहाबाद जिला प्रशासन इस बार धान का सीजन शुरू होने से पूर्व ही अभियान चलाएगा। जिला प्रशासन को पराली जलाने से राेकने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। हर साल सरंपचों का साथ मिलता है। अगर किसी गांव में पराली जलती तो सरपंच सूचना भी दे देते थे।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 03:43 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 03:43 PM (IST)
Fatehabad News: गांवों में धान की पराली चली तो ग्राम सचिव पर होगी कार्रवाई, सरपंच न होने के कारण निभानी होगी दोहरी भूमिका
फतेहाबाद में पराली जलाने वाले किसानों पर होगी कड़ी कार्रवाई।

फतेहाबाद, जागरण संवाददाता। फतेहाबाद में हर साल धान की पराली जलती है। ऐसे में जिले का प्रदूषण मानक भी खराब हो जाता है। दो महीनों तक सांस लेना मुश्किल होता है। यहीं कारण है कि सरकार बार बार पत्र जारी कर किसानों को जागरूक करने के आदेश भी दे रही है। यहीं कारण है कि जिला प्रशासन इस बार धान का सीजन शुरू होने से पूर्व ही अभियान चलाएगा। जिला प्रशासन को पराली जलाने से राेकने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। हर साल सरंपचों का साथ मिलता है। अगर किसी गांव में पराली जलती तो सरपंच सूचना भी दे देते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। यहीं कारण है कि इस बार ग्राम सचिवों को यह जिम्मेदारी निभाने के आदेश जारी कर दिए गए है। अगर किसी गांव में पराली जलती है और ग्राम सचिव द्वारा इसकी सूचना नहीं दी जाती तो कार्रवाई भी होगी।

ग्राम स्तर पर कमेटी की गई गठित

फसल अवशेषों के जलाने से न केवल वातावरण प्रदूषित होता है, बल्कि ऐसा करने से भूमि की उर्वरा शक्ति भी खत्म होती है। इसलिए पराली जलाना स्वास्थ्य के साथ-साथ फसल उत्पादन पर भी बुरा प्रभाव डालता है। इस समस्या को दूर करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा और किसानों को पराली के जलाने से होने वाले नुकसान बारे जागरूक करते हुए उन्हें ऐसा न करने के लिए प्रेरित करेंगे। गांव स्तर पर कमेटी गठित की गई है। इस कमेटी में ग्राम सचिव, नंबरदार, एडीओ को शामिल किया गया है। यह कमेटी किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें पराली प्रबंधन करवाने का काम करेंगी।

ग्राम सचिव करेंगे जागरूक

ग्राम सचिवों को निर्देश दिए है कि वे किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन बारे तकनीकों की जानकारी देने के साथ-साथ उन्हें प्रेरित करें कि वे कस्टम हायरिंग सेंटरों के माध्यम से उपकरण लेकर फसल अवशेष का इनसीटू और एक्ससीटू प्रबंधन कर सकते हैं। पराली प्रबंधन करने वाले किसनों को सरकार प्रति एकड़ एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि भी देगी।

पराली जलने से उठने वाले धुएं से होता है ये नुकसान

पराली से निकलने वाला धुंआ पर्यावरण को प्रदूषित करता है।

वायु प्रदूषण से अनेक बीमारियां जन्म ले रही है।

बच्चों व दमे के रोगियों के लिए तो यह घातक सिद्ध होता है।

इससे भूमि की उर्वरा शक्ति भी नष्ट हो जाती है।

आंखों में जलन आदि की शिकायत भी रहती है।

सरकार दे रही किसानों को कृषि यंत्र

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के साथ-साथ केंद्र व राज्य सरकार इसे लेकर बहुत गंभीर है। सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए अनेक कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं तथा इन पर सब्सिडी भी दी जाती है। किसानों को इन योजनाओं व उपकरणों की जानकारी दी जाएगी ताकि अधिक से अधिक किसान इनका लाभ उठाकर पराली का सही प्रबंधन कर सकें। आगामी दिनों में गुरुद्वारा, मंदिरों में मुनादी करवाकर किसानों में पराली न जलाने बारे संदेश दिया जाएगा।

उपायुक्त महावीर कौशिक ग्राम सचिव को कहा कि वे गांवों में नंबरदारों व पटवारियों के साथ आपसी तालमेल बनाकर काम करें और किसानों को इससे होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करें। इस बार ग्राम सचिवों व नंबरदारों की भूमिका अहम होगी, क्योंकि इस बार सरपंच नहीं है। ऐसे में उन्हें अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

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