सूने साज, सुनो सरकार: लॉकडाउन में पुराने भुगतान रुके, घर चलाने को उधार लिया, अब जिदगी नाटक बन चुकी

जागरण संवाददाता हिसार अगर आप सोच रहे हैं कि कलाकार काम के नहीं हैं तो आप बिना म्य

By JagranEdited By: Publish:Wed, 03 Jun 2020 02:21 AM (IST) Updated:Wed, 03 Jun 2020 02:21 AM (IST)
सूने साज, सुनो सरकार: लॉकडाउन में पुराने भुगतान रुके, घर चलाने को उधार लिया, अब जिदगी नाटक बन चुकी
सूने साज, सुनो सरकार: लॉकडाउन में पुराने भुगतान रुके, घर चलाने को उधार लिया, अब जिदगी नाटक बन चुकी

जागरण संवाददाता, हिसार: अगर आप सोच रहे हैं कि कलाकार काम के नहीं हैं तो आप बिना म्यूजिक, किताबों, कविताओं, फिल्म और पेंटिग के क्वारंटाइन में समय बिता कर देखें। यह शब्द वह शब्द हैं जिनकी मदद से कलाकार अपनी पीड़ा सरकार तक पहुंचा रहे हैं। लॉकडाउन ने कलाकारों की आय के स्त्रोत बंद कर दिए हैं। हालत यह हो रही है कि कलाकारों को काम मिल नहीं रहा है, पुराने भुगतान रुके हैं, घर चलाने के लिए उधार मांगना पड़ रहा है और अब दो जून की रोटी के लिए भी संघर्ष शुरू हो गया है। ऐसे में कलाकार सूने साज, सुनो सरकार अभियान के माध्यम से सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। इसको लेकर मंगलवार को बाल भवन के सामने कलाकारों ने सांकेतिक धरना दिया। कलाकार शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए हाथों में तख्तियां लेकर सरकार से कलाकारों की ओर ध्यान देने की मांग कर रहे थे। इसमें रंगकर्म से जुड़े कलाकारों से लेकर बैक स्टेज आर्टिस्ट भी शामिल रहे। इस दौरान संजय कायत, अनूप बिश्नोई, मनीष जोशी, अर्चना गोबर्धन, विशाल, निपुण, मधुर, मुकेश आदि उपस्थित रहे।

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सब्जी बेचने से लेकर उधार पर कट रही जिदगी

1- नरेश को हालातों ने जोकर बना दिया

1995 में साक्षरता के दौर ने नरेश भारतीय को रंगकर्म के साथ जोड़ दिया। कला जत्थे के साथ जुड़कर वाद्य यंत्र बजाना, कठपुतली डांस और नाटक उनकी पहचान बन गए। कलाकारी के साथ-साथ वह बस स्टैंड में जूस की दुकान चलाते, दोनों कामों से उनका गुजारा अच्छे से होता। मगर लॉकडाउन लगा तो बस स्टैंड पर धंधा ठप पड़ गया। दो महीने कुछ नहीं मिला तो सब्जी का ठेला लगाना शुरू कर दिया। मगर अब हालात बिगड़ रहे हैं। सब्जियां सस्ती हैं अधिक आय नहीं होती। ऐसे में रिश्तेदारों व परिचितों से उधार लेकर काम चला रहे हैं। 2- घर की आय थे पिता और बेटा, अब घर बैठे

कार्यक्रमों में इंस्ट्रूमेंट व कोरियोग्राफर का काम करने वाले आकाश बताते हैं कि वह अपने पिता संजय के साथ मिलकर कार्यक्रमों में वाद्ययंत्र बजाते हैं। लॉकडाउन में काम नहीं मिल रहा तो भारी परेशानी में चल रहे हैं। मां दिव्यांग हैं, भाई को लिवर की बीमारी है, बहन पढ़ाई कर रही है। ऐसे में खर्चा उठाना काफी कष्टदायक हो गया है। दवा भी नहीं ला पा रहे हैं। घर का खर्चा चलाने के लिए उधार ले लेकर थक चुके हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने हर वर्ग को कुछ न कुछ दिया है मगर कलाकार अभी भी इस सूची से बाहर हैं। सरकार सुने तो कुछ बात बने। 3- आठ वर्ष की उम्र से नाटक शुरू किए मगर अब वो किस काम के

सेक्टर 14 में रहने वाली निशा और मनीषा बहनें हैं। आठ वर्ष की उम्र से एक्टिग कर रही हैं। ओथेलो, अ‌र्द्धनगर, कितने पाकिस्तान जैसे कई नाटक कर चुकी हैं। पिता बस चालक हैं। उन्होंने बताया कि एक्टिग पेशा होने के साथ उनकी परिवार की आय का अहम हिस्सा है। मगर लॉकडाउन के कारण न तो काम है और अब लग भी नहीं रहा कि काम मिलेगा। भविष्य के लिए बचत की थी, वह भी खर्च हो चुकी है। अब परिवार संकट में है। 4- हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक एक्टिग करने वाले भी बेहाल

सातरोड निवासी अशोक पाठक मुंबई में रहते हैं। वहीं रहकर हॉलीवुड की द सेकेंड बेस्ट एग्जोटिक मारीगोल्ड होटल जैसी फिल्मों के साथ बिट्टू बॉस, 102 नॉट आउट जैसी फिल्मों में सपोर्टिंग रोल कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा समय कभी नहीं देखा। अब मुंबई जैसे शहर में काम है नहीं, घर का किराया निकालना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में जो कलाकार यहां से वहां काम की तलाश में गए हैं, वह सड़क पर आ गए हैं। कई तो डिप्रेशन से गुजर रहे हैं। इनकी पीड़ा सरकार को जरूर सुननी चाहिए।

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