हिसार में अब जुगलान, हरिता, तेलनवानी रूटों पर स्कूली छात्रों के लिए राेडवेज बसों की सर्विस शुरू

जुगलान हरिता व तेलनवानी रूट पर भी स्कूली छात्राओं के लिए बसें शुरू कर दी है। इन रूटों पर बसें हर रोज सुबह साढ़े सात बजे हिसार बस अड्डे से रवाना होगी। इससे छात्राओं को आवागमन में परेशानी होगी। इसके दोपहर बाद भी यह बसें छात्राओं के लिए जाएगी।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 08:49 AM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 08:49 AM (IST)
हिसार में अब जुगलान, हरिता, तेलनवानी रूटों पर स्कूली छात्रों के लिए राेडवेज बसों की सर्विस शुरू
स्कूली छात्राओं की मांग पर हिसार रोडवेज प्रबंधन बसों की सुविधा शुरू करने में लगा

जागरण संवाददाता, हिसार। अब रोडवेज प्रबंधन ने जुगलान, हरिता व तेलनवानी रूट पर भी स्कूली छात्राओं के लिए बसें शुरू कर दी है। इन रूटों पर बसें हर रोज सुबह साढ़े सात बजे हिसार बस अड्डे से रवाना होगी। इससे छात्राओं को आवागमन में परेशानी होगी। इसके दोपहर बाद भी यह बसें छात्राओं के लिए जाएगी। इसके अलावा तोशाम रूट पर भी स्कूली छात्राओं के लिए रोडवेज बसें शुरू की गई है।

यह बसें दोपहर 4.25 व 5 बजे हिसार बस अड्डे से चलेगी। ड्यूटी रूम में मौजूद ड्यूटी क्लर्क दर्शन जांगड़ा ने बताया कि इन रूटों पर स्कूली छात्रों के लिए बसें शुरू कर दी गई है। बाकी रूट पर भी बसें शुरू करने में लगे है। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले ही स्याड़वा, घिराय रूट पर स्कूली छात्रों के लिए बसें शुरू की थी। अब रोडवेज प्रबंधन स्कूली छात्राओं की मांग पर जुगलान, हरिता, तेलनवाली रूट पर बसों की सुविधा शुरू करने में लगा है। मिनी बसों को रूटों पर चलाने के अभी सरकार के आदेश नहीं आए है।

फिर भी रोडवेज अधिकारी नए रूटों की सूची बना रहे है। कोरोना काल में अधिकतर रूटों पर बसें बंद हो गई थी। ज्यादातर बसें अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली छात्र-छात्राओं को उठानी पड़ती है, क्योंकि सुबह स्कूल या कालेज आने व दोपहर को जाते समय बस नहीं मिलती है। उनको मजबूरन निजी बसों में किराया देकर सफर करना पड़ता है।

रोडवेज को होता है नुकसान

जब स्कूली छात्रों के लिए बस अड्डे से सुबह बसें गांवों की ओर रवाना हाेती है तो सुबह-सुबह कोई सवारी नहीं होती है और बस पूरी खाली होती है। यहीं हाल दोपहर को आते समय होता है और बसें खाली आती है। ऐसे में रोडवेज को भी नुकसान होता है और डीजल का खर्च भी मुश्किल से पूरा होता है। कई बार लोकल वाहन चालक सवारियों को ले जाते हैं। इन पर भी नकेल कसना जरूरी है।

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