बहादुरगढ़ में शवों के अंतिम संस्कार के दौरान नहीं होगा कोरोना संक्रमण का खतरा, प्लांट चलाने की तैयारी
बहादुरगढ़ में करीब 67 लाख रुपये की लागत से बनाए गए गैस आधारित शवदाह प्लांट को सवा साल बीत जाने के बाद अब चालू करने की तैयारी की गई है। दो माह बाद इस प्लांट को चालू करने की दिशा में नगर परिषद ने कदम बढ़ाए हैं।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: शहर के बस स्टैंड के पास स्थित रामबाग में करीब 67 लाख रुपये की लागत से बनाए गए गैस आधारित शवदाह प्लांट को सवा साल बीत जाने के बाद अब चालू करने की तैयारी की गई है। प्लांट की सिक्योरिटी राशि को छोड़कर करीब 44 लाख रुपये की अदायगी करने के दो माह बाद इस प्लांट को चालू करने की दिशा में नगर परिषद ने कदम बढ़ाए गए हैं। गैस पाइप लाइन लगा दी गई है। इस प्लांट को चलाने का ट्रायल भी कर लिया गया है। 17 सिलेंडर को एक साथ जोड़कर इसका ट्रायल लिया गया है। गैस सिलेंडर नगर परिषद की ओर से खरीद कर लिए गए हैं। कंपनी की ओर से जो-जो खामियां थीं, उन्हें दुरुस्त कर दिया गया है। नप ने बिजली कनेक्शन के लिए बिजली निगम में आवेदन कर रखा है।
जैसे ही बिजली का कनेक्शन मिल जाएगा, वैसे ही इस प्लांट में शवों का अंतिम संस्कार शुरू कर दिया जाएगा। दरअसल, दैनिक जागरण की ओर से सवा साल बाद भी इस प्लांट के चालू न होने और इसकी पेमेंट कर दिए जाने संबंधी खबर पिछले दिनों प्रमुखता से प्रकाशित की थी। नगर परिषद ने इन्हीं खबरों पर संज्ञान लेते हुए कंपनी के प्रतिनिधियों को प्लांट का काम पूरा करने के लिए बुलाया और जो भी खामियां थीं उन्हें दुरुस्त करवाया।
एक शव के संस्कार में लगेगी 18 किलो गैस:
शहर के रामबाग में अब गैस आधारित शवदाह प्लांट में सीएनजी, एलपीजी व पीएनजी से भी दाह संस्कार हो सकेंगे। पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ कोरोना संक्रमित किसी मरीज की मृत्यु होने पर उसका दाह संस्कार इसी शवदाह गृह में किया जाएगा। एलपीजी-सीएनजी बेस्ड क्रिमेशन फर्नेस प्लांट में एक शव के संस्कार में 18 किलो गैस का प्रयोग होगा। डेढ़ घंटे में संस्कार होने के बाद अस्थियां भी मिल जाएंगी। इस समय शहर में तीन श्मशान घाट हैं। एक बस स्टैंड के सामने, दूसरा नजफगढ़ रोड पर तथा तीसरा लाइनपार में परनाला के सरकारी स्कूल के पास। इन तीनों स्थानों पर फिलहाल लकड़ी से ही शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। सीएनजी, एलपीजी व पीएनजी आधारित मशीन पर दाह संस्कार होने से प्रदूषण कम होगा। वहीं लकड़ी से कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका दाह संस्कार करने पर संक्रमण फैलने का खतरा है।
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गैस आधारित शवदाह प्लांट में जो भी खामियां थीं, उन्हें इसका निर्माण करने वाली कंपनी को बुलाकर दुरुस्त करवा लिया है। ट्रायल करके देख लिया है। गैस पाइप लाइन भी लगा दी गई है। बिजली कनेक्शन का आवेदन कर रखा है। यह कनेक्शन मिलते ही प्लांट में शवों का अंतिम संस्कार शुरू कर दिया जाएगा।
----राजकुमार, जेई, नगर परिषद, बहादुरगढ़: