रोहतक में HIV संक्रमितों से सरकारी कार्यालयों में नहीं होगा भेदभाव, अभद्रता पर नपेंगे कर्मचारी

रोहतक में एचआईवी संक्रमित मरीजों के साथ हो रहे भेदभाव को दूर करने के लिए सभी विभागों में शिकायत अधिकारी मनोनीत किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार की ओर से ऐसे मरीजों के प्रति सहानुभूति रखने व उनके साथ उचित व्यवहार रखने के निर्देश जारी किए गए हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Sat, 11 Sep 2021 09:16 AM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 09:16 AM (IST)
रोहतक में HIV संक्रमितों से सरकारी कार्यालयों में नहीं होगा भेदभाव, अभद्रता पर नपेंगे कर्मचारी
सरकारी कार्यालयों में नहीं हो सकेगा एचआईवी संक्रमितों से भेदभाव।

जागरण संवाददाता, रोहतक। एचआईवी संक्रमित लोगों से सरकारी कार्यालयों में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं हो सकेगा। अगर किसी ने ऐसा किया तो उसकी शिकायत हो सकेगी और ऐसा करने वाले कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई होगी। एचआईवी संक्रमितों की शिकायत सुनने के लिए हर विभाग में अधिकारी मनोनीत किए जा रहे हैं।

शिकायत अधिकारी किए जा रहे मनोनित

एडीसी महेंद्रपाल ने बताया कि एचआईवी संक्रमित मरीजों के साथ हो रहे भेदभाव को दूर करने के लिए सभी विभागों में शिकायत अधिकारी मनोनीत किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार की ओर से ऐसे मरीजों के प्रति सहानुभूति रखने व उनके साथ उचित व्यवहार रखने के निर्देश जारी किए गए हैं। ऐसे में अब हर विभाग में उनके लिए शिकायत सुनने वाला अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। वहीं ऐसे मरीजों को प्रदेश सरकार की ओर से कौशल विकास एवं स्वयं सहायता समूहों का प्रशिक्षण दिलवाकर उन्हें स्वावलम्बी बनाने में मदद की जाएगी। ऐसे सभी मरीजों को लाभ दिलाने के लिए औद्योगिक ईकाइयों व गैर सरकारी संगठनों की सहायता से इस योजना से जोड़ा जाएगा।  एचआईवी से पीडि़त व्यक्तियों को सामान्य व्यक्ति से 20 से 30 प्रतिशत से ज्यादा पोषण की आवश्यकता होती है, इसलिए उनकी भलाई के लिए अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

अभी मिलती हैं ये सुविधाएं

प्रदेश में पीएल एचआईवी संक्रमितों को अन्य पेंशन योजनाओं के अलावा 2250 रुपये मासिक पेंशन शुरू की गई है। रेलवे की ओर से ऐसे मरीजों को द्वितीय श्रेणी में यात्रा के लिए 50 प्रतिशत छूट प्रदान की जाती है तथा सरकारी ब्लड बैंकों द्वारा ऐसे व्यक्तियों को मुफ्त रक्त उपलब्ध करवाया जाता है। 

दिया जा रहा मुफ्त इलाज

जिस दिन कोई व्यक्ति एचआईवी पाजिटिव पाया जाएगा, उसी दिन से उसका इलाज शुरू कर दिया जाता है। केंद्र सरकार की ओर से ऐसे मरीजों के उपचार का खर्च उठाया जाता है। वहीं ऐसे मरीज की पहचान को गोपनीय रखना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी है। अगर उनकी सूचना सार्वजनिक होती है तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है।

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