Navratri 2021: अष्टमी के मौके पर दुर्वासा ऋषि की आरती के साथ भक्तों ने की बेरी में पूजा अर्चना

नवरात्र के दिनों में मां का दर्शन करने के लिए भक्त दिल्ली कोलकाता मुंबई और देश के अन्य प्रदेशों से पहुंच रहे हैं। मान्यता है कि यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मुरादें पूरी होती हैं। आसपास के राज्यों में भी माता के प्रति लोगों में काफी श्रद्धा है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 10:59 AM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 11:03 AM (IST)
Navratri 2021: अष्टमी के मौके पर दुर्वासा ऋषि की आरती के साथ भक्तों ने की बेरी में पूजा अर्चना
गांधारी ने बनवाया था मां भीमेश्वरी देवी का मंदिर] मंगला आरती में शामिल होने के लिए भक्तों ने किया इंतजार

संवाद सूत्र, बेरी : मां भीमेश्वरी देवी की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। नवरात्र के दिनों में मां का दर्शन करने के लिए भक्त दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और देश के अन्य प्रदेशों से पहुंच रहे हैं। मान्यता है कि यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मुरादें पूरी होती हैं। आसपास के राज्यों में भी माता के प्रति लोगों में काफी श्रद्धा है। अष्टमी के मौके पर मां की मंगला आरती का हिस्सा बनने के लिए श्रद्धालुओं ने रात भर बेरी में इंतजार करते हुए पूजा अर्चना की। बाद में आरती का हिस्सा बन परिवार की मंगल कामना के लिए दुआ की।

मां भीमेश्वरी देवी मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित पुरुषोत्तम वशिष्ठ ने बताया कि बेरी महाभारत कालीन कस्बा है। कहते हैं कि कौरव व पांडवों की कुलदेवी हिंगलाज पर्वत जो आज पाकिस्तान में स्थित है, पर निवास करती हैं। यहां माता की पूजा दिन और रात दो अलग स्थानों पर होती है। दिन और रात पूजा का स्थान बदलने के पहलू पर पंडित पुरुषोत्तम वशिष्ठ ने कहा कि जब मां ने भीम का अनुरोध ठुकरा दिया।

उसी दौरान दुर्वासा ऋषि यहां ठहरे हुए थे। उन्हें जब इस घटनाक्रम का पता चला तो वे मां के पास पहुंचे और उन्होंने अनुरोध किया कि वह संतों के बनाए हुए आश्रम में रहें। इसे मां ने सहर्ष स्वीकार कर लिया था। उसके बाद दुर्वासा ऋषि मां की पूजा अर्चना करने लगे। बताते हैं कि ऋषि दुर्वासा दोनों समय बेरी में मां की आरती के लिए आते थे। बेरी मंदिर में आरती की यह परंपरा आज भी कायम है।

गांधारी ने बनवाया था मंदिर

आज भी दिन के समय में बाहर वाले मंदिर में तथा रात के समय में भीतर वाले मंदिर में मां की पूजा अर्चना की जाती है। बताया यह भी जाता है कि जब गांधारी यहां मंदिर बनाने के लिए आईं तो उस दौरान भी मां को स्थापित किए जाने पर स्वयं मां ने नियमित रूप से संतों की ओर से उनकी सेवा को जारी रखने का वादा किया था। उसी के अनुरूप संतों और मां भीमेश्वरी देवी की सेवा का सिलसिला जारी है। प्रतिवर्ष चैत्र और शरद नवरात्र के मौके पर बेरी में दो बार मेला लगता है। इसमें न केवल हरियाणा बल्कि पूरे भारत वर्ष व विदेशों से भी लोग माथा टेकने पहुंचते है।

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