मन की मुरादें पूरी कर मां, हलवे का भोग में चढ़ाऊंगी..

जागरण संवाददाता हिसार। कोरोना ने सार्वजनिक स्थलों पर लोगों के आवागमन को लेकर जरूर ब

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 07:05 AM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 07:05 AM (IST)
मन की मुरादें पूरी कर मां, हलवे का भोग में चढ़ाऊंगी..
मन की मुरादें पूरी कर मां, हलवे का भोग में चढ़ाऊंगी..

जागरण संवाददाता, हिसार।

कोरोना ने सार्वजनिक स्थलों पर लोगों के आवागमन को लेकर जरूर ब्रेक लगाया हो मगर आस्था से मंदिर पटे दिख रहे हैं। शुक्रवार को शहर के प्रमुख देवी भवन मंदिर में चौथे नवरात्रि पर मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना करते हुए लोग दिखाई दिए। उन्होंने विशेष विधियों से चौथे नवरात्रि को मां कूष्मांडा की पूजा कर उनसे मन्नतें मांगी। इस दौरान मंदिर में शंख, घंटों से परिसर गूंजता दिखाई दिया। मां की आरती के साथ पूजा शुरू की गई। इस दौरान भोग लगाकर श्रद्धालुओं ने मां से अपने और अपने जानकारी की सलामती की दुआ मांगी। लोगों ने यह भी बताया कि उन्होंने समाज हित में मां से मांगा है कि कोरोना बीमारी में लोगों को नुकसान न हो, मां उनकी रक्षा करे।

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हलवा और दही का लगाया भोग

नवरात्रि में हर दिन प्रत्येक माता के लिए अलग अलग पूजा विधि व भोग लगाया जाता है। मां कूष्मांडा की पूजा धूप, गंध, अक्षत लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य के सामान को अर्पित कर शुरू की जाती है। फिर उन्8ें हलवा और दही का भोग लगाया गया। इस दौरान लोग माता के भजनों का आनंद लेते हुए दिखाई दिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता कूष्मांडा ने ही ब्रहांड की रचना की थी। इन्हें सृष्टि की आदि- स्वरूप, आदिशक्ति माना जाता है। मां कूष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं। मां के शरीर की कांति भी सूर्य के समान ही है और इनका तेज और प्रकाश से सभी दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। मां को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उनकी आठ भुजाएं भी होती हैं। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में जपमाला है। मां सिंह का सवारी करती हैं।

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