कॉमेडी के शौक ने मुरारी की पढ़ाई छुड़ाई, नौकरियां छूटीं फिर भी 45 की उम्र में बने सबके चहेते

विपरित परिस्थितियों में भी मुरारी लाल ने हार नहीं मानी और राजस्थान के सोशल प्लेटफार्म पर 45 वर्ष की उम्र में कॉमेडी से एक अलग पहचान बनाई। वर्तमान में इनकी एक-एक वीडियो को लोग करोड़ों बार देख चुके हैं

By Manoj KumarEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 08:28 AM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 12:22 PM (IST)
कॉमेडी के शौक ने मुरारी की पढ़ाई छुड़ाई, नौकरियां छूटीं फिर भी 45 की उम्र में बने सबके चहेते
कॉमेडियन मुरारी लाल पारीक हिसार की उर्दू रामलीला में हनुमान का रोल अदा करने के लिए पहुंचे हैं

हिसार, जेएनएन। विपरीत हालात में अक्सर लोग घुटने टेक देते हैं या परिस्थितियों से समझौता कर अपने शौक और कला को पीछे छोड़ आते हैं। ऐसे लोगों को राजस्थान के कॉमेडियन मुरारी लाल पारिक की सफलता की कहानी प्रेरणा देती है। कॉमेडी के शौक को जिंदा रखने के एवज में मुरारी लाल की पढ़ाई छूट गई। लोग इसलिए नौकरी नहीं देते थे कि यह भजन और कॉमेडी शो में समय बिताएंगे। बच्चों की फीस नहीं दी तो स्कूल ने नाम काट दिया। यहां तक कि उधार बढऩे के कारण करियाणे वाले ने राशन देना भी बंद कर दिया। विपरित परिस्थितियों में भी मुरारी लाल ने हार नहीं मानी और राजस्थान के सोशल प्लेटफार्म पर 45 वर्ष की उम्र में कॉमेडी से एक अलग पहचान बनाई। वर्तमान में इनकी एक-एक वीडियो को लोग करोड़ों बार देख चुके हैं।

जॉनी लीवर को देखकर पहली बार खुद में देखा था कॉमेडियन

मुरारी लाल बताते हैं कि बचपन में उन्होंने जॉनी लीवर की कॉमेडी को देखा। इसके बाद मिमिक्री करनी शुरू कर दी। पहले परिवार असम में रहता था, फिर राजस्थान चले आए। यहां स्थानीय कलाकारों के साथ एक बाद भजन कार्यक्रम में जाने का मौका मिला। जैस ही मंच पर उन्होंने स्टैंड अप कॉमेडी शुरू की तो लोगों ने खूब पसंद किया। उन्हें शो मिलने लगे। इसके बावजूद पारिवारिक हालत ठीक नहीं थी। काम की तलाश में पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी में नौकरी करने चले आए। वहीं रेडियो ने पहली बार उन्हें एक कॉमेडियन के रूप में आवाज दी। यहां ङ्क्षहदी भाषा में कई शो किए।

कॉमेडी के लिए छोड़ी नौकरी

रेडियो की 9 हजार रुपये महीने की नौकरी छोड़कर कॉमेडी ङ्क्षकग रियलिटी शो में गए सेमीफाइनल तक भी पहुंच गए। उन्हें अहसास हुआ कि उनमें कुछ अलग बात है। उन्होंने कॉमेडी करने की बात की तो परिवारों ने कहा, कला कुछ नहीं दे रही, कोई नौकरी करा।

फिल्म की कहानी लिखी, मगर कम दर्शक मिले

मुरारी बताते हैं कि रियलिटी शो के बाद मंगलौर में कपड़ों का कारोबार शुरू किया। इसी दौरान एक व्यक्ति से मुलाकात हुई, उसने फिल्म की कहानी लिखने को कहा। उन्होंने मेरो बदलो नामक फिल्म की कहानी लिख दी।  उसकी शूङ्क्षटग के लिए कई-कई दिन राजस्थान में रुकना पड़ा। इससे कारोबार ठप हो गया। फिल्म अच्छी बनी, मगर राजस्थान में उसे ऑडियंस नहीं मिली।

मुंबई जाकर सुल्तान को कराई चढ़ाई

फिल्म नहीं चली, बिजनेस ठप हो गया तो मुंबई चले गए, ताकि खुद की ङ्क्षजदगी में कोई गिला न रह जाए कि मैं मुबई जाता तो सफल हो जाता। मगर यहां बड़ा काम नहीं मिला। हालांकि सुल्तान फिल्म में भीड़ में सुल्तान कर दे चढ़ाई कहने का मौका मिला। कुछ दूसरी फिल्में व नाटक भी मिले, पर सफलता नहीं मिली।

हताशा हुई तो एर्नाकुलम में की नौकरी

इधर परिवार की आर्थिक हालात बिगड़ गई। छोटी बहन की शादी के लिए बड़ी बहन के गहने गिरवी रखने पड़े थे। ऐसे में थक हारकर उन्होंने एर्नाकुलम में 17 हजार रुपये की नौकरी कर ली।

हार्डवेयर की दुकान में शूट की पहली वीडियो

नौकरी के साथ उन्होंने पहली बार हार्डवेयर की दुकान में तीन मेगा पिक्सल के मोबाइल से कॉमेडी वीडियो बनाना शुरू किया। लाइट के लिए बिजली के 200 वॉट के बल्बों का प्रयोग किया। अपने शो को मुरारी की कॉकटेल नाम देकर खुद वीडियो एडिट की और हर शनिवार को एक वीडियो डालना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे वीडियो राजस्थान के लोगों को पसंद आने लगी। लिहाज यू-ट््यूब पर पहली आय 6500 रुपये की हुई। बाद उन्हें एक लाख रुपये से भी अधिक आय होने लगी।  

गांव को ही बना दिया कला का अड्डा

मुरारी को जब अच्छी आय होने लगी तो वह नौकरी छोड़कर गांव गोगासर में वापस आ गए। वहां गांव में ही वीडियो शूट करने लगे। लोगों ने उनकी कला व लोकेशन को हाथों-हाथ लिया। सोशल प्लेटफार्म पर उनकी प्रसिद्धी ऐसी बढ़ी कि गांव का हर बुजुर्ग उनकी वीडियो में एङ्क्षक्टग कर चुका है। लोग जब गोगासर से गुजरते हैं तो गांव के बोर्ड पर खड़े होकर सेल्फी लेते हैं।

कलाकारों की परीक्षा ले लो, मगर मदद जरूर करो

मुरारी कहते हैं कि कलाकारों के लिए सरकार को सोचना चाहिए। लोगों को बिजनेस शुरू करने के लिए ऋण दिया जाता है। ऐसे ही कलाकारों की भी मदद हो, चाहे उनकी कला की परीक्षा ले लो।

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