माउंट लहोत्से से बेस कैंप में लौटी अनीता कुंडू, लिखा- जान बची, लेकिन पीड़ा को शब्‍दों में बयां नहीं कर सकती

अनिता कुंडू माउंट ल्होट्से के बहुत करीब पहुंच गई थी पर अचानक हुए खराब मौसम ने उनका रास्ता रोक लिया। उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। वे वापस कैंप नंबर चार में आई। मुश्किल से अपनी जान बचा पाई है। हालात बहुत खराब है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 05:58 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 05:58 PM (IST)
माउंट लहोत्से से बेस कैंप में लौटी अनीता कुंडू, लिखा- जान बची, लेकिन पीड़ा को शब्‍दों में बयां नहीं कर सकती
अनीता कुंडू की नई उपलब्धि पर खराब मौसम ने पानी फेर दिया

हिसार, जेएनएन। विश्व विख्यात पर्वतारोही अनिता कुंडू माउंट ल्होट्से चोटी से बेस कैंप में लौट गई हैं। खराब मौसम में उनकी जान जा सकती थी, मगर अभी वो सुरक्षित हैं। एक मैसेज भेज उन्‍होंने लिखा है कि 'मैं बेस कैंप लौट आई हूं। जीवनदान मिला है, मौसम की मार से बच गई हूं। दो पर्वतारोही साथी आपदा की भेंट चढ़ गए और इस बात ने बहुत तोड़ के रख दिया है। शिखर सामने दिखाई दे रहा था और ख़ुद को वापस मोड़ना पड़ा, इससे कितनी तकलीफ़ है शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। आप सभी की दुआओं से मैं बच गई हूं। अभी शारीरिक, मानसिक हर तरीके से पीड़ा में हूं, बाकी बातें बाद में करूंगी। भगवान सबका भला करे...

बता दें कि हिसार के गांव फरीदपुर की बेटी विश्व विख्यात पर्वतारोही अनिता कुंडू माउंट ल्होट्से के बहुत करीब पहुंच गई थी, पर अचानक हुए खराब मौसम ने उनका रास्ता रोक लिया था। उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। वे वापस कैंप नंबर चार में आई। लेकिन बेस कैंप में पहुंचना बाकी था। उनके साथ कुछ भी हो सकता था। वे मुश्किल से अपनी जान बचा पाई हैं। अनीता का परिवार उनकी पूरी टीम लगातार कंपनी से संपर्क बनाएं हुए था, उनकी अनीता से बात भी नहीं हो रही थी। मगर शुक्रवार को मिले संदेश के बाद सभी ने राहत की सांस ली है। अनीता के परिवार जनों ने बताया की एवरेस्ट और ल्होट्से में 8000 मीटर तक समान रूप से कैंप लगते हैं। जब मौसम खराब हुआ अनीता 8200 मीटर पर थी।

अगर मौसम ने साथ दिया होता तो वह शिखर पर होती। मगर खराब मौसम ने उनकी मुसीबतों को बढ़ा दिया और उनको वापस थोड़ा नीचे आना पड़ा। अनीता 10 अप्रैल को नेपाल गई थी, कुछ दिन के बाद उन्होंने 21 अप्रैल को नेपाल की 6119 मीटर ऊंची चोटी माउंट लोबुचे को फतह किया था। वहां से नीचे आने के बाद दूसरी तरफ एवरेस्ट/ल्होट्से के बेस कैंप में पहुंची थी। जिसकी ऊंचाई 5400 मीटर है। यहां से अनीता ने सफल रोटेशन किया और वे 7300 मीटर तक जाके वापस बेस कैंप आई थी। अभी अनीता 9 अप्रैल को रात 12 बजे बेस कैंप से निकले थे। अगर मौसम साथ देता तो 13 अप्रैल को अपना राष्ट्रीय ध्वज शिखर में लहराता।

एवरेस्‍ट को दोनों और से फतह कर चुकी हैं अनीता

अनीता 12 साल से पर्वतारोहण के साहसिक खेल को खेल रही है। उन्होंने हिंदुस्तान की अनेकों चोटियों को फतह करते हुए दुनियां की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को कुल तीन बार फतह किया है। वे नेपाल और चीन दोनों ही रास्तों से माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली हिंदुस्तान की प्रथम बेटी है। उन्होंने सभी महाद्वीपों के ऊंचे शिखरों को भी फतह किया है। अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विनसन मासिफ, अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो, यूरोप के सबसे ऊंचे शिखर एल्बर्स, दक्षिण अमेरिका की एकोनकागुआ, ऑस्ट्रेलिया की कार्सटेंस पिरामिड शिखर को भी फतह किया। उतरी अमेरिका की देनाली पर भी उन्होंने संघर्ष किया। माउंट एवरेस्ट के समान ही माउंट मनास्लू को भी अनीता ने फतह किया है।

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