फतेहाबाद में मोहब्बतपाल ने घर की छत पर ही बना ली बगिया, ऑक्सीजन युक्त पौधे भी लगाए
मोहब्बत पाल सिंह लॉकडाउन के दौरान अपनी पत्नी के साथ अपने छोटे से आशियाने की छत पर बनाई बगियां की सारसंभाल कर जहां घर बैठे सब्जियों व फलों का लुत्फ उठा रहे हैं। वहीं फूलों आदि पौधों से प्राकृति आक्सीजन प्राप्त कर स्वस्थ जीवन जी रहे है।
टोहाना/फतेहाबाद [सतभूषण गोयल] इस समय कोरोना संकट इस कदर हावी है कि इंसान को सांस लेने में दिक्कत आ रही है। ऑक्सीजन के लिए हर कोई सड़क पर दौड़ रहा है। लेकिन कुछ लोग ऐसे है जो अपने घरों की छतों पर ही बगिया बना ली और भरपूर ऑक्सीजन भी ले रहे है। ऐसा ही किया है कृष्णा कालोनी निवासी हरियाणा रोडवेज फतेहाबाद डिपो में सब इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए मोहब्बत पाल सिंह ने। लॉकडाउन के दौरान अपनी पत्नी के साथ अपने छोटे से आशियाने की छत पर बनाई बगियां की सारसंभाल कर जहां घर बैठे सब्जियों व फलों का लुत्फ उठा रहे हैं। वहीं फूलों आदि पौधों से प्राकृति आक्सीजन प्राप्त कर स्वस्थ जीवन जी रहे है।
ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़े तथा एक किसान परिवार से संबंध रखने वाले 63 वर्षीय मोहब्बतपाल को वर्ष 1994 में हरियाणा रोडवेज में नौकरी मिलने पर वह टोहाना में ही रहने लग गये थे। वह दो बेटियों व एक बेटे के पिता है, जबकि दो बेटियों की शादी कर दी है। वहीं एक बेटा विदेश में पढ़ाई कर रहा है। 31 मार्च 2016 को अपने पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उसके मन में विचार आया कि वह बाकि का समय ऐसे ही बेकार खराब करने की बजाये अपने ही घर में कुछ नया करें, जिससे उसका समय भी व्यतीत होगा। उसने अपने मकान की छत पर पहले से ही लगे कुछ गमलों में पौधे देखे और मन में विचार आया कि लोग जहां पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए पौधारोपण अभियान जोरशोर से चला रहे है, इसलिए क्यों ना वह भी इस दिशा में अपना सहयोग देकर पर्यावरण बचाने का प्रयास करेंगे। हालांकि उनके पास घर के आंगन में भी कच्ची जगह नहीं थी लेकिन उसने अपना जज्बा बरकरार रखते हुए गमलों व खाली कनस्तर तथा बोतलों में ही पौधे लगाने शुरू कर दिये। मोहब्बतपाल की इस सोच को उस समय और ज्यादा बल मिला जब उनकी पत्नी विरेंद्र कौर ने भी उनका समर्थन करना शुरू कर दिया। उन्होंने न केवल फूलों के पौधे गमलों में लगाये। वहीं सब्जियों व फलों के पौधे भी लगाने शुरू कर दिये। मोहब्बतपाल ने जहां कुछ गमले खरीदे वहीं उन्होंने सोचा की घर में किसी कनस्तर व घी आदि के खाली डिब्बे तथा प्लास्टिक की कैनियों को क्यों ना इन पौधों के लिए काम लाया जाए। जिसके चलते उन्होंने बेकार वस्तुओं का प्रयोग किया तथा बोतलों में भी पौधे लगाये।
घर की छत पर लगा लिए 50 पौधे
मोहब्बत पाल ने अपनी छत पर पचास से अधिक पौधे लगा दिये। जिसमें उनके द्वारा सब्जियों में घीया, कद्दू, तौरी करेला, बैंगन, हरी व लाल मिर्च, टमाटर, पुदीना, धनिया, नींबू के साथ-साथ अमरूद, खरबूजा, चीकू, कीनू, अमरुद आदि फलों के पौधे भी उन्होंने गमले में ही लगा दिये। इसके अलावा फूलों के पौधे भी लगा लिए। उनका कहना है कि इस बगिया को वह अपने बच्चों की तरह पाल रहे हैं। प्रतिदिन पौधों को पानी देना तथा उनकी सारसंभाल करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। इस बागवानी से जहां उनका समय व्यतीत हो जाता है वहीं उन पौधों से उन्हें सब्जियां व फल भी प्राप्त होते है। जबकि फूलों से सजने वाली बगियां देखकर भी मन हर्षित हो जाता है। इसलिए गर्मी, बरसात व सर्दी के मौसम में भी यह इनका पूरा ख्याल रखते हैं। उन्होंने कहा कि अब कोरोना है ऐसे में लोग ऑक्सीजन के लिए फिर रहे है। लेकिन जब शाम व सुबह के समय वो इन पौधों के पास खड़े होते है तो एक अलग ही ऑक्सीजन मिल रही है।