विधायक बलराज कुंडू HPSC चेयरमैन की नियुक्ति पर उठाए सवाल, बोले- हरियाणवियों को योग्य नहीं समझती भाजपा
महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने ऐसे ही कई गंभीर सवाल एचपीएससी के चेयरमैन आलोक वर्मा की नियुक्ति को लेकर उठाए हैं। बलराज कुंडू ने कहा कि क्या भाजपा सरकार की नजरों में हरियाणा के नागरिक चपरासी क्लर्क या ग्रुप डी की नौकरी के ही काबिल हैं ?
रोहतक, जेएनएन। हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार क्यों बार-बार प्रदेश वासियों की अनदेखी करके सरेआम उनका अपमान कर रही है। हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन की नियुक्ति में एक बार फिर प्रदेश के लोगों का अपमान कर उन्हें शर्मसार किया गया है। क्या सरकार को हरियाणा वासियों की योग्यता पर विश्वास नहीं है या फिर मुख्यमंत्री खट्टर बार-बार प्रदेशवासियों से कोई बड़ा राज छिपाने का प्रयास कर रहे हैं। महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने ऐसे ही कई गंभीर सवाल एचपीएससी के चेयरमैन बिहार राज्य निवासी आलोक वर्मा की नियुक्ति को लेकर उठाए हैं।
बलराज कुंडू ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या भाजपा सरकार की नजरों में हरियाणा के नागरिक सिर्फ और सिर्फ चपरासी, क्लर्क या ग्रुप सी और डी की नौकरी के ही काबिल हैं ? क्या मनोहर लाल खट्टर की सरकार को पौने तीन करोड़ हरियाणवी लोगों में से कोई भी काबिल पढ़ा-लिखा और ईमानदार आदमी ऐसा नहीं नजर आया जो एचपीएससी जैसी बेहद महत्वपूर्ण संस्था को संभाल सके ? क्या हरियाणा के पढ़े लिखे नौजवानों का भविष्य अब बिहार के भागलपुर से तय हुआ करेगा ? जबकि हरियाणा में यूपीएससी टॉप करने वाली प्रतिभाएं है। उन्होंने कहा कि मनोहर लाल खट्टर ने काफी पहले ही हरियाणा वासियों को कंधों से नीचे मजबूत और ऊपर से कमजोर बताया था और उनकी उस बात के मायने आज सबको समझ आ रहे हैं जब खट्टर साहब ने ग्रुप ए, बी की राजपत्रित अधिकारी पोस्ट को प्रत्यक्ष रूप से भागलपुर बिहार भेजने का काम किया है।
बता दें कि निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने पहले अपना समर्थन भाजपा सरकार को ही दिया था, मगर पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर से खींचतान के चलते समर्थन वापस ले लिया था। बीते कई महीनों से वो सुर्खियों में बने हुए हैं। वहीं किसानों द्वारा तीन कृषि कानूनों को लेकर किए जा रहे विरोध में भी वे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते नजर आए। बहुत सी जगहों पर उनका विरोध भी होता है तो बहुत जगहों पर उनके प्रयासों को सराहा जा रहा है। बरोदा चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशी को भी उन्होंने अपना समर्थन दिया मगर बाद में निर्दलीय प्रत्याशी ने अपना नामांकन वापस ले लिया। यह मामला भी चर्चा में बना हुआ है।