लॉकडाउन में फंसी दूध की चक्की, लुवास में पशुपालकों को नहीं मिल पा रहा प्रशिक्षण

लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने कुछ समय पहले दूध से आइसक्रीम पनीर फ्लेवर्ड मिल्क जैसे प्रोडक्ट तैयार करने के लिये एक मशीन तैयार कराई थी। जिसका नाम दूध की चक्की दिया गया। इसे बस में लगाया गया है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 05:34 PM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 05:34 PM (IST)
लॉकडाउन में फंसी दूध की चक्की, लुवास में पशुपालकों को नहीं मिल पा रहा प्रशिक्षण
दूध की चक्की लुवास का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, जो कोरोना के कारण अटका हुआ है

हिसार, जेएनएन। दूध की चक्की लॉकडाउन के फेर में फंस गई है। पहले जहां पशु पालकों को गांव-गांव जाकर दूध से प्रोडक्ट बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था, मगर अब वह काम नहीं हो पा रहा है। जिस कारण से लाखों रुपये से तैयार दूध की चक्की मशीन महेंद्रगढ़ में खड़ी हुई है। दरअसल लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने कुछ समय पहले दूध से आइसक्रीम, पनीर, फ्लेवर्ड मिल्क जैसे प्रोडक्ट तैयार करने के लिये एक मशीन तैयार कराई थी। जिसका नाम दूध की चक्की दिया गया। इसे बस में लगाया गया है। यह बस महेंद्रगढ़ जिले के गांवों में पशुपालकों को गांव-गांव जाकर दूध से प्रोडक्ट बनाकर बाजार में आय करने के लिये जागरुक कर रही थी।

काफी महंगा पड़ रहा है मशीनों को खरीदना

दूध की चक्की के जरिए किसानों को सब्सिडी पर मशीनें उपलब्ध कराने की योजना भी इस प्रोजेक्ट में शामिल थी। अभी ट्रायल के रूप में इस बस को दो से तीन स्थानों पर चलाया था। शुरुआत में इसका रेस्पांस भी अच्छा आया मगर बाद में पशु पालकों को कई दिक्कत भी सामने अाईं। पशुपालकों का कहना था कि सब्सिडी मिलने के बाद भी मशीनों की लागत काफी अधिक है।

जनवरी के बाद शुरू हो सकते हैं प्रशिक्षण

कोरोना को देखते हुए अभी लुवास कई प्रकार के ऑनलाइन प्रशिक्षण दे रही है। ऑनलाइन प्रशिक्षण होने के कारण प्रत्येक गांव और किसान तक अभी पहुंच नहीं हो पा रही है। जल्द ही जब विश्वविद्यालय पूरी तरह से काम करने लगेगा तब किसानों व पशुपालकों को बेहतर जानकारी मिल सकती है। दूध की चक्की लुवास का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है क्योंकि इसके जरिए वह प्रदेश भर में दूध से बने प्रोडक्ट को आगे लाकर किसानों व पशुपालकों की आय को दोगुना करना चाहते थे।

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