मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल शुरू, लेकिन बाजरे की फसल गायब, किसानों में असमंजस की स्थिति

मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल शुरू कर दिया। इस बार खरीफ की करीब 20 से अधिक फसलों का पंजीकरण हो रहा है। लेकिन इसमें बाजरा की फसल शामिल नहीं है। इससे किसान असमंजस में है कि सरकार इस बार बाजरे की सरकारी खरीद नहीं करेंगी।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 05:46 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 05:46 PM (IST)
मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल शुरू, लेकिन बाजरे की फसल गायब, किसानों में असमंजस की स्थिति
पोर्टल पर बाजरे की फसल दर्ज न होने से हताश किसानों का आरोप, बिना पंजीकरण से कैसे होगी सरकारी खरीद

फतेहाबाद, जेएनएन। खरीफ फसलों के पंजीकरण के लिए सरकार ने मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल शुरू कर दिया। इस बार खरीफ की करीब 20 से अधिक फसलों का पंजीकरण हो रहा है। लेकिन इसमें बाजरा की फसल शामिल नहीं है। इससे किसान असमंजस में है कि सरकार इस बार बाजरे की सरकारी खरीद नहीं करेंगी। हालांकि केंद्र सरकार ने बाजरा के समर्थन मूल्य में 100 रुपये की बढ़ोतरी के साथ 2250 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। लेकिन बिना सरकारी खरीद के बाजरा 1200 रुपये लेकर 1500 रुपये क्विंटल तक बिकता है। अब बाजरे की बिजाई का कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन पोर्टल पर इसका पंजीकरण न होने से कई किसान बाजरे के विकल्प के रूप में दलहनी व तिलहनी फसल लगाने की सोच रहे है।

वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पोर्टल पर बाजरे की फसल तकनीकी खामी की वजह से दर्ज नहीं की गई। जल्द ही इसमें सुधार करके बाजरे की फसल भी जोड़ा जाएगा। दरअसल, गत तीन-चार वर्षों से प्रदेश की भाजपा सरकार बाजरे की फसल की सरकारी खरीद कर रही है। सरकारी खरीद होने पर किसानों को समर्थन मूल्य मिलता है और बाजरे की खेती करने वाले किसानों को खूब मुनाफा भी मिलता है। गत वर्ष जिले में सरकार ने 30 हजार क्विंटल बाजरे की सरकारी खरीद की थी।

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मूंग व तिल में अधिक बचत : वैज्ञानिक

केवीके ढाणी बिकानेरी के वैज्ञानिक डा. सरदूल मान का कहना है कि किसान खरीफ में बाजरे के विकल्प के तौर पर मूंग व तिल की खेती करे। दोनों का भाव अब बाजरे से तीन से चार गुणा अधिक है। मूंग तो सीध कंबाइन से निकलना शुरू होने के बाद किसान को कटाई के समय लेबर की भी परेशानी नहीं आती। एचएयू की मूंग की उन्नत किस्म एमएच 421 की बिजाई करते हुए किसान 6 क्विंटल से अधिक पैदावार ले सकते हैं। मूंग की खेती भी 60 से 70 दिनों तक की है। इसी तरह तिल की कई किस्म है। जिनका उत्पादन अच्छा होता है। मार्केट भाव भी तिल का 9 हजार रुपये के करीब बना हुआ है।

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तकनीक खामी, जल्द होगी परेशानी दूर : डीडीए

कई किसानों की बाजरा का पंजीकरण न होने की शिकायत आई है। इसको लेकर उच्चाधिकारियों को सूचना दे दी है। वैसे यह तकनीकी खामी है। इसको लेकर आज वीसी में चर्चा हुई है। किसान घबरा नहीं। बाजरे का पंजीकरण भी होगा और सरकारी खरीद भी होगी।

- राजेश सिहाग, उपनिदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग।

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