बच्चों को इस जानलेवा वायरस से बचाएगा शुरु हुआ खसरा-रुबेला टीकाकरण अभियान

खसरा और रुबेला टीकाकरण अभियान की शुरुआत बुधवार को प्रदेशभर में की गई। इसी कड़ी में हिसार में अभियान शुरु हुआ

By JagranEdited By: Publish:Wed, 25 Apr 2018 01:38 PM (IST) Updated:Wed, 25 Apr 2018 01:38 PM (IST)
बच्चों को इस जानलेवा वायरस से बचाएगा शुरु हुआ खसरा-रुबेला टीकाकरण अभियान
बच्चों को इस जानलेवा वायरस से बचाएगा शुरु हुआ खसरा-रुबेला टीकाकरण अभियान

जेएनएन, हिसार :

खसरा और रुबेला टीकाकरण अभियान की शुरुआत बुधवार को प्रदेशभर में की गई। इसी कड़ी हिसार जिले में भी विधायक डा. कमल गुप्ता ने पटेल नगर के सरकारी स्कूल से इसकी शुरुआत की। वहीं अभियान को तैयारियों को लेकर मंगलवार को एक बैठक भी की गई थी। जिसमें अतिरिक्त उपायुक्त एएस मान ने बताया कि जिला में 15 वर्ष तक की आयु के 5 लाख 17 हजार 550 बच्चों को खसरा-रुबेला बीमारियों से बचाव के टीके लगाए जाएंगे। इसके लिए जिला के सभी पीएचसी, सीएचसी, नागरिक अस्पतालों, सरकारी व निजी विद्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों तथा प्ले स्कूलों में सघन टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। जिला के 870 सरकारी स्कूलों के 132881, 953 निजी स्कूलों के 243386 तथा 1741 आंगनबाड़ी केंद्रों के 141733 बच्चों को इस अभियान के तहत कवर किया जाएगा। 418 वैक्सीनेटर तथा 160 सुपरवाइजर्स नियुक्त

उन्होंने बताया कि जिला के स्कूलों में 26 अप्रैल से 11 मई तक और आंगनबाड़ी केंद्रों, ईट-भट्ठों आदि पर 7 मई से 2 जून तक व्यापक टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। अभियान की सफलता के लिए जिला में 418 वैक्सीनेटर तथा 160 सुपरवाइजर्स नियुक्त किए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिला के सभी 1823 स्कूलों में 2313 कैंप लगाकर हर बच्चे को टीकाकरण अभियान में कवर किया जाएगा। दो हजार रुपये की कीमत का टीका लगेगा मुफ्त

एडीसी मान ने कहा यह एक टीका खसरा और रुबेला, दोनों बीमारियों से बचाव करता है। निजी स्तर पर 2 हजार रुपये कीमत को यह टीका हर बच्चे को निशुल्क लगाया जाएगा। सहयोग नहीं करेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बिजली निगम को निर्देश दिए कि निर्धारित शैड्यूल के अनुसार स्कूलों को पर्याप्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए ताकि वैक्सीन को सुरक्षित रखा जा सके।

जानलेवा भी हो सकता है वायरस:

खसरा, जिसे रुबेला के रूप में भी जाना जाता है, मुख्य रूप से नाक, साँस की नली और फेफड़ों का एक संक्रमण है, जो बहुत संक्रामक है।

खसरा वायरस आमतौर पर तब फैलता है जब किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा बूंदों जिसमें वायरस होता है के साथ कोई संपर्क में आता है। यह तब हो सकता है जब वायरस के साथ कोई खांसता या छींकता है, हाथ या वस्तु को छूता है। एक बार जब वायरस शरीर में चला जाता है, संक्रमण पूर्णतया नाक, सांस की नली और फेफड़ों, त्वचा और शरीर के अन्य अंगों में फैलता है। खसरा आम तौर पर औसत दर्जे की बीमारी का कारण बनता है। छोटे बच्चों में, जटिलताओं में मध्य कान का संक्रमण (ओटिटिस मीडिया), निमोनिया, क्रूप और दस्त शामिल हैं। वयस्कों में, बीमारी की और भी गंभीर होने की संभावना हो जाती है। खसरे के सबसे गंभीर परिणाम दुर्लभ हैं। हर 1,000 मामलों में से 1 से कम में, खसरा दौरों, कोमा और मौत के तत्काल जोखिम, और मानसिक मंदता या मिर्गी के लंबी अवधि के जोखिम के साथ, इन्सेफेलाइटिस (मस्तिष्क का संक्रमण) का कारण बनता है। एक गर्भवती औरत जो खसरे से संक्रमित है को समयपूर्व प्रसव, गर्भपात, या एक जन्म के समय कम भार वाले शिशु के प्रसव का बढ़ा हुआ खतरा होता है।

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