रोहतक में पहली बार दूषित पानी का मामला पहुंचा कोर्ट, भारत बंद के चलते वर्क सस्पेंड, नहीं हुई सुनवाई

रोहतक में दूषित पानी की आपूर्ति और सीवरेज लाइन की सफाई न होने के मामले में पहली बार पीएलए(परमानेंट लोक अदालत) कोर्ट में मामला पहुंचा। सोमवार को सुनवाई होनी थी हालांकि किसान संगठनों के भारत बंद के आह्वान के चलते अधिवक्ताओं ने वर्क सस्पेंड रखा।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 11:51 AM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 11:51 AM (IST)
रोहतक में पहली बार दूषित पानी का मामला पहुंचा कोर्ट, भारत बंद के चलते वर्क सस्पेंड,  नहीं हुई सुनवाई
अधिवक्ता जगदीश सिंह की दूषित पानी की आपूर्ति और सीवरेज की सफाई की याचिका मामले में होनी थी आज सुनवाई

जागरण संवाददाता, रोहतक। शहरी क्षेत्र की एक कालोनी में दूषित पानी की आपूर्ति और सीवरेज लाइन की सफाई न होने के मामले में पहली बार पीएलए(परमानेंट लोक अदालत) कोर्ट में मामला पहुंचा। सोमवार को सुनवाई होनी थी, हालांकि किसान संगठनों के भारत बंद के आह्वान के चलते अधिवक्ताओं ने वर्क सस्पेंड रखा। इस वजह से काम-काज पूरी तरह से प्रभावित रहे। इसी कारण से कोर्ट में दूषित पानी के प्रकरण में सुनवाई नहीं हो सकी। अब नई तारीख मिलने के बाद ही सुनवाई होगी।

रोहतक के प्रेम नगर निवासी अधिवक्ता जगदीश सिंह खत्री ने प्रेम नगर में दूषित पानी की आपूर्ति और सीवरेज लाइन की सफाई न होने के मामले में कोर्ट केस किया था। यही कारण रहा कि अधिवक्ता जगदीश कोर्ट पहुंचे। लेकिन उन्हें अधिवक्ताओं ने बताया कि वर्क सस्पेंड है। इस वजह से अधिवक्ता वापस लौट आए। अब नई तारीख मिलने पर ही सुनवाई होगी। उस दौरान भी अधिवक्ता दूषित पानी के सैंपल लेकर जाएंगे।

देर रात तक अधिवक्ता को मनाने का दौर चला

बताया गया है कि अधिवक्ता के प्रेम नगर स्थित आवास पर जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारी देर रात तक पहुंचे। अधिकारियों ने तीन दिन की मोहलत मांगी। यह भी कहा कि तीन दिन के अंदर दूषित पानी की आपूर्ति से पूरी तरह से निजात दिला दी जाएगी। जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जिस वक्त अधिवक्ता के घर पहुंचे उस दौरान वह सेक्टर-6 स्थित अपने रिश्तेदार के घर के शुद्ध पानी लेकर आए थे। इन्होंने बताया कि कैंपर के पानी की कोई गारंटी नहीं। इसलिए रिश्तेदारों के घर से पानी भरकर लाते हैं। अधिवक्ता ने कहा कि अधिकारी यदि झूठे साक्ष्य देंगे और जनता को भ्रमित करने की कोशिश करेंगे तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।

वर्क सस्पेंड के साथ ही 11 हजार तक का जुर्माना

अधिवक्ता खत्री ने बताया कि भारत बंद के आह्वान का समर्थन किया गया है। यदि कोई अधिवक्ता नियमों का पालन नहीं करेगा तो उनके खिलाफ आर्थिक जुर्माने का भी नियम तय कर दिया है। इन्होंने बताया कि नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिवक्ताओं पर 11 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

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