गरीबी को हरा विश्‍व नंबर दो बॉक्सर बनी मंजू, पेड़ से पंचिंग बैग बांधकर कर रहीं ओलंपिक की तैयारी

हरियाणा की महिला मुक्‍केबाज मंजू रानी की कहानी बेहद अनोखी और प्रेरणा देनेवाली है। मंजू रानी अभावों और गरीबी को मात देकर मुक्‍केबाजी में नाम कमाया और आज विश्‍व की नंबर दो बॉक्‍सर हैं। वह घर के पास नीम के पेड़ में पंचिंग बैग बांधकर पैक्टिस करती हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 12:34 PM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 06:45 PM (IST)
गरीबी को हरा विश्‍व नंबर दो बॉक्सर बनी मंजू, पेड़ से पंचिंग बैग बांधकर कर रहीं ओलंपिक की तैयारी
विश्‍व की नंबर दो बॉक्‍सर मंजू रानी पेड़ पर पंचिंग पैड बांधकर पैक्टिस करती हुईं।

रोहतक, [रतन चंदेल]। हरियाणा की महिला बॉक्‍सर मंजू रानी की कहानी अनोखी है और यह हर बुरे हालात से लड़कर अपनी मंजिल की ओर बढ़ने की प्रेरणा देती है। 20 साल की मंजू रानी ने गरीबी और अभावों के बावजूद हिम्‍मत नहीं हारी और आज विश्‍व की नंबर दो महिला बॉक्‍सर हैं। सुविधाओं के अभाव से भी वह कभी विचलित नहीं हुईं। रिठाल फौगाट गांव की रहनेवाली मंजू घर के बाहर नीम के पेड़ में पंचिंग बैग बांधकर पैक्टिस करती हैं और ओलंपिक उनका मुख्‍य टारगेट है।

रिठाल फौगाट गांव से 22 किलोमीटर दूर रोहतक में करती हैं अभ्यास  

बॉक्सर मंजू रानी ने कभी मुफलिसी को अपने मुक्केबाजी पर हावी नहीं होने दिया और आज दिनरात अभ्यास कर ओलंपिक के अपने टारगेट पर फोकस किए हुए हैं। मंजू रानी आज भी पूरी तन्‍मयता से उसी नीम के पेड़ पर बांधे पंङ्क्षचग बैग पर प्रैक्टिस करती है जहां वह शुरुआती दौर में अभ्यास करती थीं। मुजे को गांव से 22 किलोमीटर दूर रोहतक शहर में प्रैक्टिस के लिए जाना पड़ता है। जहां न तो सरकारी रिंग है और न ही छत। मंजू ने किसी तरह जुगाड़ से ही यहां खेल संसाधन जुटाए हैं।

मंजू ने अब तक प्रदेश व नेशनल स्तर पर भी अनेक बार नाम रोशन किया है। पिछले साल वर्ल्‍ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाली मंजू रानी अब ओलंपिक 2024 में गोल्ड मेडल हासिल करने के लिए पसीना बहा रही हैं।

मुफलिसी में बॉक्सिंग प्रैक्टिस कर ओलंपिक का टारगेट

48 किलोग्राम वेट कैटेगरी में दुनिया की दूसरे नंबर की बॉक्सर मंजू रानी के प्रारंभिक कोच साहब सिंह ने बताया कि यह उनके करियर की अब तक की बेस्ट रैंकिंग है। स्थानीय स्तर पर मिलने वाली बॉक्सिंग रिंग आदि सरकारी संसाधनों की जरूरत है, ताकि वहां मंजू के साथ अभ्यास कर अन्य खिलाड़ी भी प्रदेश व जिले का नाम रोशन कर सकें। मंजू का कहना है कि वह 51 किलोग्राम में ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना चाहती हैं।

पंजाब से खेली थी सीनियर नेशनल

मंजू रानी सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में पंजाब से खेली थी, जिसमें उसने शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता। उनके प्रारंभिक कोच साहब सिंह का कहना है कि मंजू ने राजीव गांधी स्थित साई सेंटर में कुछ माह के लिए अभ्यास किया था। लेकिन यहां तालमेल का अभाव रहा।

पहले खेलती थीं कबड्डी

मंजू जब 10 साल की थी तो गांव रिठाल फौगाट में दूसरी लड़कियों को देख कबड्डी खेलना शुरू किया। मंजू ने एक साल कबड्डी खेली, लेकिन उसे एकल गेम में आगे बढऩा था तो उनके चाचा साहब सिंह ने बॉक्सिंग की प्रैक्टिस करानी शुरू कर दी। उसके बाद मंजू ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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'' ओलंपिक 2024 की तैयारी में जुटी हूं। बेहतरीन पंच लगाने के साथ ही शानदार फुटवर्क पर भी ज्यादा से ज्यादा ध्यान दे रही हूं। बॉक्सिंग में जीत के लिए बेहतरीन पंच के साथ ही शानदार फुटवर्क की भी जरूरत रहती है।

                                                                                              - मंजू रानी, अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर।

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मंजू रानी की उपलब्धियां

-  वर्ष 2020 में 48 किलोग्राम में दुनिया की दूसरे नंबर की बॉक्सर बनीं।

- अक्टूबर 2019 में हुई वूमेन वर्ल्‍ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता।

- जुलाई 2019 में थाईलैंड ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता।

- मई 2019 में हुए इंडिया ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता।

- फरवरी 2019 में बुलगारिया में हुए इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल।

- इलाइट वूमेन नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता।

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