पैकेजिग फूड से दूरी बनाएं और एक पौधा लगाएं तो प्रदूषण मुक्त होगा शहर

हिसार स्कूलों को पॉलीथिन फ्री होना चाहिए जिससे बच्चे पॉलीथिन से दूरी ब

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Apr 2019 02:19 AM (IST) Updated:Wed, 24 Apr 2019 06:32 AM (IST)
पैकेजिग फूड से दूरी बनाएं और एक पौधा लगाएं तो प्रदूषण मुक्त होगा शहर
पैकेजिग फूड से दूरी बनाएं और एक पौधा लगाएं तो प्रदूषण मुक्त होगा शहर

जागरण संवाददाता, हिसार : स्कूलों को पॉलीथिन फ्री होना चाहिए, जिससे बच्चे पॉलीथिन से दूरी बना सके। स्कूलों में हमें संस्कारों को बढ़ावा देना चाहिए। हमें हमारे पूर्वजों ने संस्कार के रूप में पर्यावरण को कैसे सहेजकर रखना है, यह सिखाया था। हमें वहीं संस्कार बच्चों को देने हैं, क्योंकि स्कूली बच्चे ही देश का सुनहरा भविष्य है। हम आज पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाएंगे, तभी हमें स्वच्छ वातावरण में जी सकेंगे। बस, हम प्रण ले कि पैकेजिग फूड से दूरी बना, हर बच्चा एक पौधा जरूर लगाएगा और उसकी देखभाल की जिम्मेदारी लेगा। जब सालों बाद बच्चा स्कूल वापस आए तो अपने लगाए पेड़ से जुड़े संस्कार अपने बच्चों को दे सके। नगर निगम कार्यालय के सेमिनार हाल में दैनिक जागरण द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों के बच्चों को संबोधित करते हुए निगम आयुक्त अशोक कुमार गर्ग ने कहे।

दैनिक जागरण के सहयोग से विभिन्न स्कूलों में बच्चों ने 22 अप्रैल को अर्थ डे पर पॉलीथिन मुक्त शहर हमारा अभियान के तहत वेस्ट मैटीरियल से पेपर बैग और बैग आदि बनाए थे। स्कूली बच्चों ने उनके द्वारा बनाई चीजें मंगलवार को नगर निगम कार्यालय पहुंच कर निगम आयुक्त अशोक कुमार गर्ग व एसई रामजीलाल को भेंट की। नगर निगम के सेमिनार हाल में एक घंटे तक बच्चों और निगम आयुक्त अशोक कुमार गर्ग व एसई रामजीलाल के बीच पर्यावरण को कैसे प्रदूषित होने से रोक सकते है, इस विषय पर संवाद हुआ। बच्चों ने स्वच्छ व शुद्ध वातावरण मुहैया करवाने की मांग की। कार्यक्रम में सेंट जोसफ इंटरनेशनल स्कूल, इंडस पब्लिक स्कूल, आइडी डीएवी पब्लिक स्कूल, स्मॉल वंडर पब्लिक स्कूल और विश्वास सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों ने भाग लिया। बच्चों ने प्रण लिया कि वह घर से कचरा प्रबंधन की शुरुआत करेंगे और एक पौधा जरूर लगाएंगे।

यह पूछे बच्चों ने सवाल

. सेक्टरों में डस्टबिन बंटवा दें सर, लोग खुले में बाहर कचरा नहीं फेंकेगे।

. गायों को अब माता कहते हैं। फिर माता को सड़कों पर क्यों छोड़ा हुआ है। उन्हें गोशालाओं रखवा दो सर, कचरा तो नहीं खाएंगी।

. प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों पर कंट्रोल होना चाहिए। जिससे वातावरण प्रदूषित नहीं हो।

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पर्यावरण पर बच्चों ने यह दिए जवाब

बच्चों ने बताया कैसे पर्यावरण प्रदूषित कैसे होता है --

. खुले में कचरा डालने से पर्यावरण प्रदूषित होता है। इस कचरे को दबाने से भूमि खराब होता है और भूमिगत पानी दूषित होता है।

. वाहनों के कारण फैलने वाले धुंए से।

. फैक्ट्रियों से उठने वाले धुंए से।

. फैक्ट्रियों से निकलने वाले कैमिकल युक्त पानी का वाष्पीकरण होकर एसिड रैन बरसाना।

बच्चों ने यह गिनाए नुकसान

. कचरे को जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है। ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचता है और ग्लोबल वार्मिंग होती है।

. प्लास्टिक खाने से गायों की मौत हो रही है।

. दूध वाली गाय खुली लोग छोड़ देते है। जब वह कचरा और अन्य हानिकारक चीजें खाती है तो उनको दूध पीने वालों को नुकसान पहुंचाता है।

. एसिड रैन से मनुष्य को कई तरह की स्किन आदि की बीमारियां होती है।

. पॉलीथिन आदि को जमीन में न दबाया जाए। इससे कैमिकल जमीन में मिलते है और भूमिगत पानी पहुंच जाते हैं। जब भूमिगत पानी को पीते है तो मनुष्य व जानवरों को नुकसान पहुंचता है।

यह निकला निष्कर्ष

. हमें पॉलीथिन फ्री स्कूलों की दिशा में काम करना चाहिए। हर स्कूल का दायित्व बना है कि इसे गंभीरता से ले।

. जिस स्कूल में पौधें लगाने के लिए जितनी जगह हैं। वहां पर बच्चे और शिक्षक पौधे जरूर लगाए।

. घरों में सेग्रीगेशन को बढ़वा दे। किचन वेस्ट से खाद बनाए।

. स्कूलों में गार्डन वेस्ट और पेड़ों के पत्तों से खाद तैयार की जाए।

. बच्चें अपने आस पड़ोस में कोई खुले में कचरा डालता है तो उसे जागरूक करें।

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बच्चे प्लास्टिक वेस्ट को कम कर सकते हैं। जब वह पैकेजिग फूड से दूरी बना लेंगे। पैकेजिग फूड से बड़े स्तर पर प्लास्टिक वेस्ट निकलता है। जो जरूरी है वहीं प्लास्टिक पैकिग की चीज ले। बच्चों से बात कर अच्छा लगा। क्योंकि वह पर्यावरण को लेकर सकारात्मक सोच रखते हैं। हमें बच्चों में संस्कार को बढ़ावा देना हो, जिससे वह पर्यावरण और समाजिक बदलाव में अपना योगदान दे सके। मैंने स्कूलों से अपील कि है कि वह स्कूलों में प्लास्टिक बैन करें। सभी बच्चों से एक पौधा जरूर लगाए। जिससे पर्यावरण प्रदूषण को रोका जा सके। हम अपने स्तर पर कचरा प्रबंधन पर काम कर रहे हैं।

- अशोक कुमार गर्ग, निगम आयुक्त, नगर निगम

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मुझे बहुत खुशी हुई कि छोटे - छोटे बच्चे आज पर्यावरण को लेकर इतनी गंभीर हैं। बड़ों से ज्यादा उन्हें पर्यावरण को लेकर जानकारी है। हमें सरकारी तंत्र से जुड़े हैं और अपना प्रयास कर रहे हैं। मगर समाज में बदलाव की सोच बच्चों में स्कूली दिनों से ही पैदा हो सकती है। यही सोच पर्यावरण को सुरक्षित रखने में कारगर होगी। मेरी बच्चों से बस यही अपील है कि वह अपने आस पड़ोस में लोगों को खुले में कचरा फैलाने से रोके। बच्चे अपने ग्रुप बनाए और लोगों को जागरूक करें।

- रामजीलाल, एसई नगर निगम

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