Loin Day Special: मुगल से ब्रिटिश काल तक शिकार से भारत में कम हो गई थी एशियन शेरों की आबादी

Loin Day Special विश्व भर में शेर के संरक्षण और जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व शेर दिवस हर वर्ष 10 अगस्त को मनाया जाता है। आइए जानें शेर के बारे में कुछ रोचक तथ्‍य और बातें।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Mon, 10 Aug 2020 01:11 PM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 01:11 PM (IST)
Loin Day Special: मुगल से ब्रिटिश काल तक शिकार से भारत में कम हो गई थी एशियन शेरों की आबादी
Loin Day Special: मुगल से ब्रिटिश काल तक शिकार से भारत में कम हो गई थी एशियन शेरों की आबादी

हिसार, जेएनएन। Loin Day Special विश्व भर में शेर के संरक्षण और जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व शेर दिवस हर वर्ष 10 अगस्त को मनाया जाता है। शेर एक विशालकाय, सर्व-परिचित तथा सर्वाधिक चमत्कारी प्राणी है। शेर भारत में रहने वाली पांच पंथेरायन कैट्स में से एक है, जिसमें बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुआ, हिम तेंदुए भी शामिल हैं। प्राचीन भारतीय काल इतिहास में एशियाई शेर इंडो-गंगाटिक प्लेन में सिंध से लेकर पश्चिम में बिहार तक पाए जाते थे। अगर प्राचीन भारतीय इतिहास के साहित्य, पेंटिंग और राजस्व  रिकॉर्ड का अवलोकन किया जाए तो मौर्य काल, गुप्तकाल और मुगलकालीन सल्तनत के शुरुआती काल में एशियाई शेर को रॉयल एनिमल माना जाता था। परंतु मुगलकालीन पीरियड से लेकर ब्रिटिश काल तक इनका व्यापक स्तर पर शिकार किया गया, जिसके फलस्वरूप ये भारत के अधिकतर क्षेत्रों से लुप्त हो गए।

एशियाई शेर के बारे में रोचक तथ्य

शेर सामान्यत: रात और सुबह के जल्दी समय में अपना शिकार करता है। सामान्यत: शेर 2-4 दिन में शिकार करता है, मगर यह एक सप्ताह तक भी बिना शिकार के रह सकता है। शेर सामान्यत: अपने प्राकृतिक आवास में चीतल, नीलगाय सांभर और जंगली सुअर का शिकार करना पसंद करता। एशियाई शेर 2-2.5 मीटर लंबा और इसका वजन 115-200 किलोग्राम होता है और यह छोटी दूरी में 65 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से अपने शिकार का पीछा कर सकता है।

शेर कब शिकार करता है

शेर और जंगल  के अन्य जानवरों में एक बेहद खास विभिन्नता है कि शेर केवल तभी शिकार करता है, जब वह भूखा होता है। यह कभी भी एक्सेस किलिंग में विश्वास नहीं करता। दिन के समय यह जल स्रोत के पास घास में छिपकर बैठा रहता है और जैसे ही शिकार पानी पिने आता है तो उस पर आक्रमण कर देता है। शेर एक सामाजिक प्राणी हैं। यह शिकार करना, प्राकृतिक आवास में रहना और अपने छोटे बच्चों की रक्षा एक समूह में रहकर करते हैं। इनके समूह को प्राइड कहा जाता है। एक प्राइड  में 1-2 डोमिनेंट  नर, 4-5 जवान मादाएं और कुछ बच्चे होते हैं। एक समूह दूसरे समूह से अपने टेरिटरी की रक्षा करता है। जब कोई सब एडल्ट 3-4 साल का हो जाता है तो उसे जबरदस्ती ग्रुप से बाहर कर दिया जाता है। वह कोई अन्य जगह जाकर अपनी नई टेरिटरी खोजता है।

एशियाटिक शेर बनाम अफ्रीकन शेर

1- आकार-एशियाटिक शेरों का आकार अफ्रीकन शेर से छोटा लगता है।

2- त्वचा की परत एशियाटिक शेर की सबसे विशिष्ट विशेषता त्वचा के एक लंबवत परत होती है, जो इसके पेट के साथ-साथ विकसित होती है। यह लक्षण केवल एशियाई शेरों में पाया जाता है। अफ्रीकन में नहीं।

3- एशियाई शेरों का झुंड आफ्रिकन शेरों की तुलना में छोटा होता है।

गिर राष्ट्रीय उधान और एशियाई शेर

भारत में इसकी जनसंख्या गुजरात के पांच संरक्षित क्षेत्रों तक ही सीमित है-ये हैं गिर राष्ट्रीय उधान, गिर अभयारण्य, पनिया अभ्यारण्य, मिटिया अभयारण्य और गिरनार अभयारण्य शामिल हैं।

यह जनजाति शेरों को नहीं मानती खतरा

गिर अभयारण्य में मलधारी जनजाति के लोग रहते हैं। मलधारी जनजाति के लोग और एशियाई शेर सदियों से साथ-साथ रहते आए हैं। यह जनजाति शेरों को अपने लिए खतरा नहीं मानते हैं। मलधारी जनजाति के लोग बफलो की जाफराबादी ब्रीड और गाय की गिर ब्रीड को पालते हैं। इस क्षेत्र में पशुपालन डेयरी प्रोडक्ट के लिए किया जाता है न कि मीट को कंज्यूम करने के लिए। समय के साथ काफी ज्यादा कैटल बूढ़े और कमजोर पड़ जाते हैं, जिनकी प्राकृतिक मृत्यु दर काफी ज्यादा होने का चांस रहता है।

प्रस्तुतिकर्ता-डा. सुनील कुमार (भारतीय वन सेवा, हरियाणा कैडर)

यदु भारद्वाज(भारतीय वन सेवा, गुजरात कैडर)

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