हिसार में ईको-फ्रेंडली होगी अंतिम विदाई, गोबर और पराली से बनी लकड़ी पर होगा दाह संस्कार

श्मशानघाट समिति ने दक्षिण भारत के हैदराबाद के बैकुंठ धाम की तर्ज पर एक प्रोजेक्ट बनाया है। मेयर गौतम सरदाना और कमिश्नर अशोक कुमार गर्ग के सामने प्रोजेक्ट रखा। उन्हें बताया कि हैदराबाद के बैकुंठ धाम की तर्ज पर ही हिसार के ऋषि नगर श्मशानघाट को बेहतर बनाया जाएगा।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 03:32 PM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 03:32 PM (IST)
हिसार में ईको-फ्रेंडली होगी अंतिम विदाई, गोबर और पराली से बनी लकड़ी पर होगा दाह संस्कार
हिसार में 5 करोड़ का प्राेजेक्ट तैयार किया है, जिसकी मुख्यमंत्री मनोहरलाल भी सराहना कर चुके हैं।

हिसार, जेएनएन। जीवन की अंतिम विदाई ईको फ्रेंडली हो, ताकि पेड़-पौधों का जीवन बचे। अंतिम विदाई में शव को श्मशान तक लेकर आने वाले लोग कुछ समय श्मशानघाट में बैठकर सोच सकें कि अंतिम मंजिल यहीं है। ऐसे में कुछ बेहतर और सकारात्मक दिशा में समाज के लिए और खुद के लिए करना चाहिए।

लोगों में सकारात्मक सोच को विकसित करने और श्मशानघाट को पर्यावरण हितैषी बनाने के लिए शहर के मौजूद लोगों व श्मशानघाट समिति ने दक्षिण भारत के हैदराबाद के बैकुंठ धाम की तर्ज पर एक प्रोजेक्ट बनाया है। इसमें दाह संस्कार में पेड़ की लकड़ी की बजाय गोबर व पराली से बनी लकड़ी (ठोस कंडे यानि लकड़ी की आकृति में ठोस आकार) का प्रयोग किया जाएगा। साथ ही इस प्रकार का सांचा तैयार किया जाएगा। व्यापारी राकेश अग्रवाल, सुशील खरींटा, कटला रामलीला कमेटी के पूर्व प्रधान वीर भान बंसल और श्मशानघाट समिति के प्रधान महावीर सैनी ने श्मशान को ईको-फ्रेंडली बनाने की संभावना तलाशते हुए प्रोजेक्ट मेयर गौतम सरदाना और कमिश्नर अशोक कुमार गर्ग के सामने प्रस्तुत किया। उन्हें बताया कि हैदराबाद के बैकुंठ धाम की तर्ज पर ही हिसार के ऋषि नगर श्मशानघाट को बेहतर बनाया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने भी की थी प्रोजेक्ट की सराहना

व्यापारी राकेश अग्रवाल ने बताया कि हम साथियों ने मिलकर दक्षिण भारत के कई राज्यों में जाकर उनके श्मशानघाट देखे। इनमें एक निजी कंपनी ने कई ऐसे श्मशानघाट बनाए हुए हैं जहां इंसान कुछ समय बिताए तो शांति सी महसूस होती है और जीवन का सार समझ आने लगता है। वहां श्मशानघाट में हरियाली और धार्मिक स्थान की तरह बेहतर वातावरण है। ऐसे में हमारा प्रयास है कि अंतिम विदाई इंसान की बेहतर हो। पर्यावरण को नुकसान भी न हो। इसी कड़ी में हमने हिसार में 5 करोड़ का प्राेजेक्ट तैयार किया है। इसे मुख्यमंत्री मनोहरलाल के सामने भी रखा गया था, जिसे उन्होंने भी सराहा था।

5 करोड़ से श्मशानघाट का होगा कायाकल्प

शहरवासियों व श्मशान समिति ने मिलकर 5 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया है। जिसमें दाह संस्कार के लिए आधुनिक सांचे का प्रयोग किया जाएगा। श्मशान में हरियाली को बढ़ावा दिया जाएगा। चारों तरफ पेड़ पौधे और खाली मैदान में घास लगाई जाएगी। बच्चों के लिए झूले लगाए जाएंगे। बिल्डिंग व दाह संस्कार के लिए प्रयोग होने वाला सांचा ऐसा तैयार करेंगे जो देखने में सुंदर हो। यहां दाह संस्कार में प्रयोग होने वाली लकड़ी पेड़ की नहीं हाेगी। बल्कि गोबर व पराली का प्रयोग कर मशीन से तैयार की गई लकड़ी होगी।

ऐसे होगा श्मशानघाट ईको-फ्रेंडली

एक शव के संस्कार में 9 मन यानि (3.60 क्विंटल) या अधिकत्तम 11 मन (4.40 क्विंटल) लकड़ी लगती है। प्रति मन 300 रुपये लकड़ी दी जाती है। लकड़ी से संस्कार में एक पेड़ खत्म हो जाता है। संस्कार में लकड़ी का अधिकतम खर्च 3300 रुपये रहता है। जबकि ईको-फ्रेंडली बनने के बाद इसमें गोबर, पराली और पेड़ पौधों के पत्ते का प्रयोग कर मशीन से तैयार होने वाली लकड़ी लगाई जाएगी। जो 4 से 5 मन ही लगेगी। इस लकड़ी का खर्च भी पेड़ की लकड़ी से करीब 50 फीसद कम हो जाएगा। प्रदूषण भी कम होगा।

एलपीजी से किया जा रहा दाह संस्कार

ऋषि नगर श्मशानघाट में वर्तमान में ही दाह संस्कार के लिए एलपीजी प्रोजेक्ट भी लगाया गया है। जिसमें भी प्रदूषण कम हो रहा है। दाह संस्कार का खर्च भी करीब 1500 रुपये तक पहुंच गया है। कोविड-19 में कई शवों का एलपीजी से दाह संस्कार भी किया गया है।

यह भी जानें

प्रदेश मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश के श्मशानघाट की स्थिति सुधाने के लिए पूर्व में अफसरों को दिशा निर्देश दिए थे। तभी से हिसार में श्मशानघाटों को बेहतर बनाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में यह एक और बेहतर प्रयास है। 

मेयर सीएम के सामने रखेंगे प्रस्ताव

व्यापारी राकेश अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश मुख्यमंत्री को यह प्रोजेक्ट दिखाया था। उन्होंने भी इस पर सहमति दी थी। अब मेयर व कमिश्नर के सामने अपना प्रोजेक्ट रखा है। मेयर गौतम सरदाना ने हमें आश्वासन दिया है कि इस प्रोजेक्ट को निगम की ओर से सीएम के सामने प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने हामी भरी तो इसे सिरे चढ़वाया जाएगा।

हरियाणा में वन क्षेत्र दूसरे राज्यों से कम

नगर निगम कमिश्नर अशोक कुमार गर्ग ने बताया कि राकेश अग्रवाल सहित कई शहरवासी मेरे पाए आए थे। उन्होंने श्मशानघाट से जुड़ा हुआ प्रोजेक्ट दिखाया था। यह पर्यावरण हितैषी है। मेरा मानना है कि मौजूदा स्थिति के अनुसार लकड़ी से दाह संस्कार का कोई औचित्य नहीं है। हरियाणा में वन क्षेत्र देश के अन्य राज्यों के मुकाबले कम है। ऐसे में हमें पेड़ों का संरक्षण करना चाहिए। इसकी जरूरत भी है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रोजेक्ट पर विचार विमर्श किया जा रहा है।

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